The Lallantop

बिहार के 'आदर्श' को मिला ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज, लंदन से 88 लाख रुपये का इनाम लेकर आएंगे

Chegg.org ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज ऐसी असाधारण प्रतिभा वाले छात्रों को दिया जाता है, जिन्होंने सीखने और समझने के क्षेत्र में समाज पर खासा प्रभाव डाला हो.

Advertisement
post-main-image
आदर्श कुमार ने ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज, 2025 जीता है. (फोटो- ANI)

बिहार के 18 साल के छात्र और इनोवेटर आदर्श कुमार को ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज, 2025 का विजेता घोषित किया गया है. गरीबी में पले-बढ़े आदर्श को लंदन के एक कार्यक्रम में 148 देशों से आए लगभग 11,000 आवेदनों और नामांकनों में से चुना गया. इस पुरस्कार के साथ उन्हें 1 लाख डॉलर (यानी करीब 88 लाख रुपये) भी दिए जाएंगे. पुरस्कार जीतने के बाद आदर्श ने कहा,

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

इस पुरस्कार को जीतने से मुझे और कड़ी मेहनत करने का आत्मविश्वास मिला है. मेरा संदेश सरल है: खुद वो बदलाव बनिए, जो आप देखना चाहते हैं. बदलाव भीतर से शुरू होता है, फिर दुनिया भर में फैलता है. दुनिया उन लोगों का सम्मान करती है जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं, इसलिए कृपया बड़े सपने देखें.

Chegg.org ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज ऐसी असाधारण प्रतिभा वाले छात्रों को दिया जाता है, जिन्होंने सीखने और समझने के क्षेत्र में समाज पर खासा प्रभाव डाला हो. इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक, पुरस्कार देने वाली संस्था Chegg Inc के CEO और अध्यक्ष नाथन शुल्त्स ने कहा,

Advertisement

आदर्श की कहानी एक व्यक्तिगत विजय से कहीं ज्यादा है. ये दुनियाभर के युवाओं के साहस और धैर्य का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जिनकी आवाज सुनी जानी चाहिए और जिनकी कहानियां दुनिया को प्रेरित कर सकती हैं.

कौन हैं Adarsh Kumar?

बिहार के चंपारण में जन्मे आदर्श का पालन-पोषण उनकी मां ने किया. उन्होंने आदर्श की शिक्षा के लिए घरों की सफाई की. आदर्श को इससे पहले जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल (JPIS) में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली थी. वो 30 लाख रुपये की ये फुल-राइड स्कॉलरशिप जीतने वाले पहले छात्र बने थे.

आदर्श को कम उम्र में ही यूट्यूब और गूगल के जरिए कोडिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम का पता चला. उनकी रुचि को देखकर उनकी मां ने उन्हें लैपटॉप दिलाने के लिए अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी खर्च कर दी थी. उन्होंने आठवीं कक्षा में अपना पहला स्टार्ट-अप शुरू किया, जो असफल रहा. लेकिन उनके दूसरे वेंचर ‘मिशन बदलाव’ ने 1,300 परिवारों तक पहुंच बनाई और उन्हें आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड, पेंशन, टीकाकरण और स्कूल प्रवेश जैसी सरकारी वेल्फेयर स्कीम्स तक पहुंचने में मदद की.

Advertisement

बताया जाता है कि 14 साल की उम्र में आदर्श कुमार सिर्फ 1,000 रुपये लेकर IIT-JEE की कोचिंग की तलाश में कोटा चले गए. जब ​​वो कोचिंग का खर्च उठा नहीं पा रहे थे, तो उन्होंने मुफ्त लाइब्रेरी के वाई-फाई का इस्तेमाल मेंटर्स को ईमेल भेजने के लिए किया. इससे वो आखिरकार कई प्रोग्राम्स में शामिल हो पाए, स्टार्टअप्स में इंटर्नशिप कर पाए और संस्थापकों के साथ काम कर पाए.

इसके बाद, आदर्श कुमार ने Skillzo की शुरुआत की, जो इंटरपेन्योर स्किल्स में ट्रेनिंग और मार्गदर्शन देने वाला एक मंच है. इससे करीब 20,000 से ज्यादा वंचित छात्रों को फायदा पहुंचा है. इनमें से कई अब स्कॉलरशिप पा रहे हैं, नए वेंचर्स शुरू कर रहे हैं और नेशनल कम्पटीशन जीत रहे हैं.

वीडियो: खेल रत्न पुरस्कार लिस्ट से मनु भाकर का नाम गायब, पिता बोले ओलंपिक्स में भेजना नहीं चाहिए था

Advertisement