राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और जनशक्ति जनता दल के चीफ तेज प्रताप यादव पर FIR हो गई है. उन पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के 'नमक हराम' वाले बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. गिरिराज के इस बयान से ना सिर्फ विपक्ष बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) भी नाराज नजर आई.
बिहार चुनाव: तेज प्रताप पर FIR, गिरिराज सिंह के 'नमक हराम' बयान से सहयोगी JDU भी नाराज
Tej Pratap Yadav पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप है. उनके खिलाफ Vaishali जिले के Mahua थाने में FIR दर्ज की गई है. वहीं, Giriraj Singh की 'नमक हराम' वाले बयान को लेकर आलोचना हो रही है.


तेज प्रताप पर FIR
बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव इस बार वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने रविवार, 19 अक्टूबर को जानकारी दी कि नामांकन के दिन (गुरुवार, 16 अक्टूबर) उनके काफिले में पुलिस की गाड़ी जैसी दिखने वाली SUV स्कॉट करते हुए दिखाई दी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
पुलिस का दावा है कि इस गाड़ी पर पुलिस का लोगो और नीली और लाल बत्ती लगी थी. इस मामले को लेकर महुआ के सर्किल ऑफिसर (CO) मनी कुमार वर्मा ने महुआ थाना में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि यह घटना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है क्योंकि चुनाव के दौरान किसी नेता के लिए पुलिस स्कॉट की इजाजत नहीं होती.
पुलिस ने अपने बयान में कहा,
"इस मामले की गहराई से जांच की गई और पाया गया कि गाड़ी पर लगा पुलिस लोगो और लाइट निजी थे. इसलिए चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया."
गिरिराज सिंह का 'नमक हराम' बयान
वहीं, शनिवार, 18 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अरवल में एक चुनावी सभा के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर विवादित बयान दे दिया. उन्होंने एक मुस्लिम मौलवी से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा,
"मैंने पूछा मौलवी साहब आयुष्मान कार्ड मिला? कहा, हां मिला। हिंदू-मुसलमान हुआ? कहा, नहीं हुआ? बड़ा अच्छा. आपने हमको वोट दिया था? कहा, हां दिया था. हमने कहा कि खुदा का नाम लेकर बोलिए... तो कहा, नहीं दिया था. हमने कहा नरेंद्र मोदी ने गाली दी थी? तो कहा, नहीं. हमने गाली दी थी? तो कहा, नहीं. मैंने कहा, तो मेरी गलती क्या थी? जो किसी के उपकार को ना उपकार माने, उसको क्या बोलते हैं? अरे जो किसी का उपकार ना माने, उसको क्या बोलते हैं? उसको क्या बोलते हैं? मैंने कहा मौलवी साहब, मुझे नमक हरामों का वोट नहीं चाहिए."
गिरिराज सिंह यह बयान उस रैली में दे रहे थे जहां NDA उम्मीदवार BJP के मनोज शर्मा और JDU के पप्पू वर्मा के समर्थन में प्रचार हो रहा था. इस रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे. अपने बयान पर ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सफाई देते हुए कहा,
"कुछ लोग कहते हैं कि उनके धर्म में हराम खाना गलत है. ये कहते हैं कि इस्लाम में मुफ्त का खाना हराम है. क्या वे 5 किलो राशन नहीं ले रहे हैं? क्या हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला? क्या हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को शौचालय नहीं मिले? क्या नल-जल योजना, गैस सिलेंडर या 5 किलो राशन में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव था?..."
JDU भड़की
गिरिराज सिंह के इस बयान की आलोचना सिर्फ विपक्ष ने नहीं बल्कि NDA की सहयोगी पार्टी JDU ने भी की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, JDU के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा:
“गिरिराज सिंह का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के खिलाफ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा सबको साथ लेकर चलने की बात की है, ना कि सिर्फ वोट के लिए.”
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
RJD ने गिरिराज सिंह को तुरंत केंद्रीय कैबिनेट से हटाने की मांग की है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा,
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गिरिराज सिंह जैसे लोगों को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए. लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि BJP नफरत की राजनीति में विश्वास करती है. चुनाव आते ही गिरिराज सिंह जैसे लोग जानबूझकर ऐसे भड़काऊ बयान देते हैं ताकि वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके.”
गिरिराज सिंह पहले भी कई बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं. फरवरी 2020 में पूर्णिया की एक सभा में उन्होंने कहा था कि 'सभी मुसलमानों' को बंटवारे के समय पाकिस्तान भेज देना चाहिए था.
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