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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 6 साल बाद भी अयोध्या में नहीं बन सकी मस्जिद, दिक्कत कहां आ रही?

Ayodhya में Ram Mandir और एक मस्जिद के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला सुनाया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए जो 5 एकड़ जमीन दी गई थी, उस पर काम अब तक शुरू नहीं हुआ है. इससे जुड़े लोगों ने इसके पीछे की सभी वजहें बताई हैं.

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अयोध्या फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ की जमीन मिली. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाए हुए 34 साल बीत चुके हैं और 6 दिसंबर का दिन फिर आ गया है. इसे लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आया और इस फैसले के आधार पर राम मंदिर का निर्माण हुआ. उस फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद (Ayodhya Masjid) बनाने के लिए भी 5 एकड़ जमीन दी गई थी, लेकिन उस पर काम अब तक शुरू नहीं हुआ है. 

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन अब अधिकारियों को इमारत का नक्शा सौंपने की तैयारी कर रहा है. लेकिन दान की कमी की वजह से काम रुका हुआ है, इसलिए काम की शुरुआत मार्च 2026 के बाद ही हो पाएगी. जो मस्जिद बनेगी उसे 'मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद' के नाम से जाना जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अपने अयोध्या फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था. इसके बाद अयोध्या के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दी गई. जिसने मस्जिद निर्माण के लिए ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ का गठन किया.

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फाउंडेशन के अध्यक्ष ज़फ़र अहमद फ़ारूक़ी का कहना है कि अभी जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि पहले तैयार किया गया मस्जिद का डिजाइन बदला गया था और नए डिज़ाइन के हिसाब से अब एक नया नक्शा बनाया जा रहा है. उम्मीद है कि महीने के आखिर तक इसे अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) को भेज दिया जाएगा.

सूत्रों के मुताबिक, नक्शा जमा होने के बाद मंजूरी मिलने में कम से कम तीन महीने लगेंगे. फाउंडेशन के सदस्य अब भी फंड को लेकर चिंतित हैं, हालांकि नए डिजाइन के तय होने के बाद दान आने की रफ्तार कुछ बढ़ी है. फ़ारूक़ी ने कहा, “दान (पैसा) आ रहा है, लेकिन बहुत धीरे-धीरे.”

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2021 में जारी किए गए मस्जिद के पहले डिजाइन में कांच का बड़ा गुंबद और रोशनदान जैसी आधुनिक चीजें थीं. सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय को यह डिजाइन बहुत ‘आधुनिक’ और ‘भविष्यवादी’ लगा, इसलिए दान देने में लोग हिचक गए. अब नया डिजाइन पारंपरिक शैली में तैयार किया गया है, जिसमें पांच मीनारें और पारंपरिक गुंबद शामिल हैं.

ज्यादा दानदाताओं को जोड़ने के लिए फाउंडेशन मस्जिद परिसर में बनने वाली दूसरी सुविधाओं पर भी जोर दे रहा है. इनमें एक अस्पताल, सामुदायिक रसोई, इंडो-इस्लामिक सांस्कृतिक रिसर्च सेंटर, आर्काइव और म्यूज़ियम शामिल होंगे.

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