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अयोध्या के अस्पताल में शर्मनाक नज़ारा: मरीज को बेड़ियों में जकड़ा, इलाज न मिलने से गई जान

Ayodhya Hospital Patient Viral Video: यह घटना अयोध्या ही नहीं पूरे Uttar Pradesh की स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करने वाली है. अस्पताल प्रशासन ने मामले पर लीपा-पोती करते हुए कहा है कि मरीज की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. उसे 'एल्कोहॉलिक साइको' बताया गया यानी ज्यादा शराब पीने की वजह से उसकी मानसिक हालत बिगड़ गई थी.

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हाथ-पैर बांधकर मरीज को अस्पताल में रखा गया. (Photo: ITG)
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मयंक शुक्ला

एक शख्स बिस्तर पर बेसुध पड़ा हुआ है. उसके हाथ-पांव बंधे हुए हैं और उसके सामने भोजन की थाली रखी हुई है. यह नजारा किसी जेल का नहीं बल्कि एक अस्पताल का है. वह भी किसी मामूली अस्पताल का नहीं, बल्कि अयोध्या के जिला अस्पताल का. इस अमानवीय हरकत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है. इसके बाद जाकर अस्पताल प्रशासन हरकत में आता है और मरीज को आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है. लेकिन अफसोस, उसे बचाया नहीं जा सका. शायद अस्पताल में सही समय पर उसका अच्छे से इलाज किया जाता तो शख्स की जान बचाई जा सकती थी.

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यह घटना अयोध्या ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करने वाली है. यह उस सरकारी तंत्र पर भी सवालिया निशान खड़ा करती है, जहां एक मरीज के साथ मानवीय व्यवहार तक नहीं किया जाता. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार मरीज के हाथ-पैर बांधकर उस वार्ड में रखा गया था, जो ऑपरेशनल ही नहीं था यानी पहले से बंद चल रहा था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उसे तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा गया था. लेकिन उसका इलाज कैसे किया गया होगा, इसका अंदाजा वीडियो से लगाया सकता है. हालांकि, बेहद संवेदनशील होने की वजह से वीडियो यहां शेयर नहीं किया जा रहा है. 

'मरीज की मानसिक हालत ठीक नहीं थी'

अस्पताल प्रशासन ने मामले पर लीपा-पोती करते हुए कहा है कि मरीज की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. उसे 'एल्कोहॉलिक साइको' बताया गया यानी ज्यादा शराब पीने की वजह से उसकी मानसिक हालत बिगड़ गई थी. जिला अस्पताल के सीएमएस राजेश कुमार सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा,

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मरीज को किसी ने गेट पर छोड़ दिया था. उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं लग रही थी, वह कपड़े फाड़ रहा था और इधर-उधर घूमता था. वह 5 नवंबर को भर्ती हुआ और 8 नवंबर की सुबह 8:20 पर दर्शन नगर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया.

हालांकि, मेडिकल कॉलेज और मरीज के रिश्तेदारों का बयान अस्पताल के दावे से ठीक उलट है. मरीज को बाद में दर्शन नगर के जिस मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया था, उसके इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज डॉ. विनोद कुमार आर्य का कहना है,

मरीज को बेहोशी की हालत में लाया गया था. उसका उपचार किया गया. वह पागल नहीं था. उसे शुगर की बीमारी थी जैसा कि परिवार वालों ने बताया. 8 नवंबर को सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज में लाया गया था. बाद में परिजन उसे लखनऊ ले गए. वह क्रॉनिक एल्कोहॉलिक (शराब के नशे का आदी) भी था.

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वहीं मरीज के भतीजे राहुल का कहना है कि उसके चाचा पागल नहीं थे. उन्हें शुगर की बीमारी थी. उसने बताया कि जब वह लोग उन्हें डिस्चार्ज करवाकर लखनऊ ले जा रहे थे, तभी रास्ते में उनकी मौत हो गई. मरीज के भतीजे का कहना है कि मौत से पहले वह बात कर रहे थे और सब कुछ समझ रहे थे. 

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विपक्षी दलों ने साधा सरकार पर निशाना

बहरहाल, घटना को लेकर सियासी दलों ने भी राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मरीज की मौत पर दुख जताते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है. सपा ने कहा कि यूपी शोषण के नए कीर्तिमान रच रहा है, क्योंकि यहां के मुख्यमंत्री योगी हैं. पार्टी ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. वहीं यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह अमानवीय कृत्य भाजपा सरकार के घोर पाप का प्रमाण है. भाजपा सरकार सिर्फ शोषण और जुल्म की प्रतीक बन चुकी है.

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