The Lallantop

अर्चना तिवारी ने खुद बनाया था गायब होने का प्लान, नेपाल बॉर्डर के पास पकड़े जाने पर खुली कहानी

MP की Archana Tiwari का पता लगाने के लिए पुलिस की 70 लोगों की टीम ने 12 से 13 दिनों तक काम किया. 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज देखे गए. लेकिन पुलिस उस तक पहुंची कैसे? पुलिस ने बताया है कि इस पूरे खेल की मास्टरमाइंड अर्चना ही है और इसमें उसकी मदद उसके एक दोस्त ने की. अर्चना ने ऐसा क्यों किया? ये सब भी पता लगा है.

Advertisement
post-main-image
पुलिस ने अर्चना तिवारी को खोज लिया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
author-image
रवीश पाल सिंह

नर्मदा एक्सप्रेस से बीच सफर में गायब हुई अर्चना तिवारी (Archana Tiwari) को लेकर नई जानकारी सामने आई है. भोपाल रेलवे एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने कहा है कि परिवार के दबाव में शादी से बचने के लिए, अर्चना ने खुद ही अपनी गुमशुदगी की योजना बनाई थी. उन्होंने कहा है कि अर्चना तिवारी ही इस मामले की मास्टरमाइंड है.

Add Lallantop As A Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

लड़की मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली है. 19 अगस्त को वो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी नेपाल बॉर्डर के पास मिली. पुलिस ने बताया है कि अर्चना के परिवार वाले उसकी शादी के लिए रिश्ते ला रहे थे. एक पटवारी लड़के से उसका रिश्ता तय हुआ था. लेकिन अर्चना इससे खुश नहीं थी. परिवार वालों ने पढ़ाई छोड़कर शादी करने को कहा.

पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की

इंदौर में पढ़ाई के दौरान अर्चना की मुलाकात सारांश नाम के एक लड़के से हुई थी. उसने सारांश और तेजिंदर नाम के ड्राइवर के साथ मिलकर 6 अगस्त को हरदा में गायब होने की योजना बनाई. इसी के अनुसार, अर्चना ने ट्रेन से गायब होने का नाटक किया. रेलवे एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने कहा,

Advertisement

अर्चना ने ट्रेन से गायब होने की योजना बनाई. क्योंकि वो खुद वकील है और उसको ऐसा लगा कि GRP में केस रजिस्टर होगा तो ज्यादा गहराई से जांच नहीं की जाएगी.

तेजिंदर इटारसी तक अर्चना के साथ गया. वहां उसने अर्चना के कपड़े और मोबाइल लिए और उसे मिडघाट के जंगल में फेंक दिया. ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके. 

मध्य प्रदेश में रेंट पर कमरा ले लिया था

इटारसी में सारांश कार से पहुंचा और अर्चना को अपने साथ ले गया. दोनों ऐसे रास्ते से गए, जहां टोल टैक्स या CCTV कैमरे न हों. वो शुजालपुर से बुरहानपुर, फिर हैदराबाद, जोधपुर, दिल्ली और अंत में नेपाल पहुंचे. नेपाल में अर्चना को छोड़कर सारांश शुजालपुर लौट आया. पुलिस ने बताया,

Advertisement

लड़की ने पहले मध्य प्रदेश में ही रहने की योजना बनाई थी. उसने रेंट पर एक कमरा भी ले लिया था. लेकिन जब मीडिया में इस केस की चर्चा होने लगी, तो उसको लगा कि राज्य में रहना सुरक्षित नहीं है. इसके बाद वो हैदराबाद चली गई. 14 अगस्त को लड़की और सारांश नेपाल चले गए थे.

इस दौरान अर्चना पूरी तरह सावधान रही. पुलिस ने बताया है कि उसने दस दिन पहले से ही मोबाइल का इस्तेमाल बंद कर दिया था. नया फोन या सिम भी मध्य प्रदेश से नहीं लिया था. पूरे रास्ते वो कार की सीट पर लेटी रही, ताकि वो CCTV कैमरों में न दिखे.

पुलिस को अर्चना तिवारी की जानकारी कैसे मिली?

राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि अर्चना का पता लगाने के लिए पुलिस की 70 लोगों की टीम ने 12 से 13 दिनों तक काम किया. 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज देखे गए. आखिरकार अर्चना के कॉल डिटेल से मामले का सुराग मिला. दरअसल, पुलिस को कॉल डिटेल में एक ऐसे नंबर का पता चला, जिससे अर्चना की ज्यादा बातचीत हुई थी. जांच के बाद पता चला कि वो नंबर सारांश नाम के व्यक्ति का है.

इसके बाद सारांश के नंबर को ट्रैक करके ये पता लगाया गया कि वो किन-किन जगहों पर गया था. फिर उसे पकड़ा गया और उससे पूछताछ की गई. पुलिस ने बताया कि सारांश ने उनको सब सच बता दिया. रेलवे एसपी ने कहा कि जब अर्चना को पता चल गया कि पुलिस ने सारांश को पकड़ लिया है, तब उसने अपने परिवार से बात की. तब तक वो नेपाल बॉर्डर तक आने के लिए निकल चुकी थी.

जांच में कांस्टेबल का भी नाम सामने आया

इस मामले से ग्वालियर के कांस्टेबल राम तोमर का नाम भी जुड़ा था. हालांकि, GRP ने अब स्पष्ट किया है कि अर्चना की गुमशुदगी में राम तोमर की कोई भूमिका नहीं है. ग्वालियर में प्रैक्टिस के दौरान वो अर्चना से मिला था और वो चाहता था कि अर्चना ग्वालियर में प्रैक्टिस करे. उसने अर्चना के लिए टिकट बुक किया था. हालांकि, अर्चना उससे परेशान थी और उसके टिकट बुक करने के बाद भी ग्वालियर नहीं गई.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: भिवानी में हर जगह प्रोटेस्ट, इंटरनेट बैन, मनीषा की मौत पर इंसाफ कब?

Advertisement