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अनिल अंबानी और ADA ने 41000 करोड़ का खेल किया? रिपोर्ट पर कंपनी बोली- 'जांच हो चुकी है'

रिपोर्ट आने से पहले ही अनिल अंबानी की कंपनियों ने इसे ‘बदनाम करने की साजिश’ बता दिया. बुधवार, 29 अक्टूबर को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी फाइलिंग में रिलायंस ग्रुप ने कहा, कोबरापोस्ट का कथित खुलासा सार्वजनिक रूप से पहले से उपलब्ध सूचनाओं का महज दोहराव है और उन्हें तोड़-मरोड़कर एवं संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा है.

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अनिल अंबानी की कंपनी पर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं (india today)

अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप 29 अक्टूबर को जिस ‘बदनाम करने की साजिश’ के बारे में बात कर रहा था, 30 अक्टूबर को उसे लेकर स्थिति साफ हो गई. ‘कोबरापोस्ट’ नाम के न्यूज पोर्टल पर छपी एक रिपोर्ट में अनिल अंबानी की कंपनी पर बड़ी ‘वित्तीय धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया गया है. इसमें दावा किया गया है कि साल 2006 से लेकर अब तक अनिल अंबानी और उनके परिवार की कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी समूह यानी ADA ने ‘28 हजार 874 करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी’ की है. ये पैसे कथित तौर पर एडीए ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों से अलग-अलग तरीकों से बाहर निकाले गए, जो बैंकों से लिए गए कर्ज, आईपीओ (IPO) में जुटाई गई रकम और बॉन्ड के जरिए उठाए गए फंड से आया था. 

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इससे पहले कोबरापोस्ट ने 29 अक्टूबर को मीडिया को प्रेस कॉन्फ्रेंस का न्योता भेजा था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि एक बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप ने धोखाधड़ी से 28 हजार करोड़ रुपये की धनराशि दूसरी जगहों पर भेजी. इस निमंत्रण पत्र के बाद अलग-अलग मीडिया संस्थानों के लोगों ने अनिल अंबानी की कंपनियों को कुछ सवाल भेजे थे.

रिलायंस ने साजिश का आरोप लगाया

इस बारे में बताते हुए रिलायंस ग्रुप ने कहा, ‘हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वी नामित व्यक्तियों और संबंधित संस्थाओं के माध्यम से हमारे खिलाफ निरंतर दुष्प्रचार, गलत सूचना और चरित्र हनन का अभियान चला रहे हैं. यह ‘दुर्भावनापूर्ण अभियान’ रिलायंस ग्रुप के शेयरों की कीमत गिराने और शेयर बाजार में ‘घबराहट’ फैलाकर उसकी परिसंपत्तियों को सस्ते दामों पर हथियाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है.’

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रिलायंस ग्रुप की ओर से ये बयान आने के बाद भी कोबरापोस्ट ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट जारी की. ‘The Lootwallahs: How Indian Business is Robbing Indians – I.’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं. कहा गया, 

कोबरापोस्ट ने एक जांच में 28 हजार 874 करोड़ रुपये से ज्यादा की एक बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है. ये धोखाधड़ी अनिल अंबानी और उनके परिवार द्वारा संचालित रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह- एडीए ग्रुप 2006 से बेखौफ होकर कर रहा है. इस धोखाधड़ी में एडीए समूह की लिस्टेड कंपनियों से धन की हेराफेरी शामिल है. इस धन का सोर्स बैंक लोन, आईपीओ से प्राप्त पैसे और बॉन्ड से जुटाई गई रकम थी.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि विदेशों से करीब 1535 मिलियन अमेरिकी डॉलर भारत लाए गए, जो धोखाधड़ी के जरिए भेजे गए थे. इसमें से 750 मिलियन डॉलर (6652 करोड़ रुपये) एक ‘रहस्यमय कंपनी’ नेक्सजेन कैपिटल ने सिंगापुर की इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट्स एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (EMITS) को दिए थे. ये पैसा एडीए ग्रुप की होल्डिंग कंपनी रिलायंस इनोवेंचर्स के साथ एक अस्थायी समझौते (Temporary Custody Arrangement) के तहत दिया गया था. 

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बाद में ये पूरी 750 मिलियन डॉलर की रकम ‘भारत भेज दी गई और फिर उसका कोई पता नहीं चला’. जिन कंपनियों के जरिए ये पैसा ट्रांसफर हुआ था, वो भी गायब कर दी गईं. रिपोर्ट कहती है कि इस पूरे मामले को मनी लॉन्ड्रिंग यानी काले धन को सफेद करने जैसी गतिविधि माना जा सकता है. इसी तरह, 785 मिलियन डॉलर (6963 करोड़ रुपये) के बाहरी कर्ज (external commercial borrowings) भी अलग-अलग ADA ग्रुप कंपनियों में भेजे गए. यानी 13 हजार 615 करोड़ रुपये से भी ज्यादा. रिपोर्ट कहती है कि इन सभी पैसों को मिलाकर देखा जाए तो कुल घोटाले की राशि 41 हजार 921 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बनती है.

कानूनों का उल्लंघन

रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि एडीए ग्रुप की कंपनियों और उनके बड़े अफसरों ने कई कानूनों का खुला उल्लंघन करते हुए ये फ्रॉड किया है. इनमें कंपनीज एक्ट 2013, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), सेबी एक्ट (SEBI Act) और इनकम टैक्स एक्ट जैसे कानून शामिल हैं, जिनके साथ खिलवाड़ किया गया है.

कोबरापोस्ट ने ये भी बताया है कि उसकी जांच कई ऑफिशियल और सार्वजनिक स्रोतों की गहराई से अध्ययन पर आधारित है. इनमें कानून के तहत जारी आदेश, मंत्रालयों और संस्थाओं जैसे- कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, सेबी, एनसीएलटी और रिजर्व बैंक की ओर से जारी दस्तावेज, कोर्ट के आदेश, विदेशों में दाखिल किए गए कागज और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी शामिल हैं. इन सभी स्रोतों से डेटा निकालने, जोड़ने, समझने और उसकी पुष्टि करने में पूरी सावधानी बरती गई है.

अंबानी ने पत्नी को गिफ्ट की थी यॉट

रिपोर्ट में याद दिलाया गया है कि अनिल अंबानी ने साल 2008 में करीब 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक लग्जरी यॉट खरीदने की इजाजत मांगी थी और उसे अपनी पत्नी टीना अंबानी को तोहफे में दे दिया था. कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि बाद में पता चला कि ये यॉट अनिल अंबानी के निजी पैसे से नहीं बल्कि रिलायंस कम्युनिकेशन के पैसों से खरीदी गई थी.

ग्रुप ने कहा- पुरानी जानकारी को तोड़ा-मरोड़ा 

हालांकि, बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ये रिपोर्ट आने से पहले ही अनिल अंबानी की कंपनियों ने इसे ‘बदनाम करने की साजिश’ बता दिया. बुधवार, 29 अक्टूबर को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी फाइलिंग में रिलायंस ग्रुप ने कहा, 

कोबरापोस्ट का कथित खुलासा सार्वजनिक रूप से पहले से उपलब्ध सूचनाओं का महज दोहराव है और उन्हें तोड़-मरोड़कर एवं संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा है.

रिलायंस ग्रुप ने जोर देकर कहा कि सारी जानकारी पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में मौजूद है और CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो), ED (प्रवर्तन निदेशालय) और SEBI (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) जैसी संस्थाओं ने इसमें पहले ही जांच कर ली है.

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