The Lallantop

अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंगवार की असली कहानी ये रही, जो किसी ने नहीं बताई

Bihar के Mokama में Anant Singh और सोनू-मोनू गुट के बीच टकराव में जमकर गोलियां चली. अनंत सिंह के वर्चस्व को चुनौती देने वाले इन दोनों भाइयों पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. और ये लोग विवेका पहलवान के गैंग से जुड़े रहे हैं.

post-main-image
सोनू सिंह (बाएं) और अनंत सिंह (दाएं) ने सरेंडर कर दिया है. (आजतक)

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. जिसमें अंधाधुंध फायरिंग होती दिख रही है. इस दौरान कहीं भी पुलिस प्रशासन का कोई नामोनिशान नहीं है. घटना मोकामा (Mokama Firing Anant Singh) की है, जोकि पटना जिले का एक ब्लॉक है. जहां राज्य के मुखिया नीतीश कुमार बैठते हैं. और इस घटना का एक किरदार नीतीश कुमार की पार्टी से जुड़ा है. जिसने कभी नीतीश कुमार को सिक्के से तौला था. साथ ही इस कहानी के कुछ और किरदार हैं. जिनके नाम हैं सोनू सिंह, मोनू सिंह और मुकेश.

पैसे को लेकर हुआ विवाद 

जमालपुर नौरंगा पंचायत के रहने वाले सोनू-मोनू का उनके ईंट-भट्ठे पर मुंशी का काम करने वाले मुकेश कुमार से पैसे का विवाद चल रहा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकेश कुमार जमालपुर नौरंगा पंचायत के हेमजा गांव का रहने वाला है और वह लखीसराय जिले के खुटहा गांव स्थित चिमनी में मुंशी का काम करता था. उसमें सोनू-मोनू पार्टनर थे. इस चिमनी के संचालक ने मुकेश पर 60 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाया था. इसी सिलसिले में 4 दिन पहले सोनू-मोनू ने उनके घर पर ताला जड़ दिया था.

अनंत सिंह की एंट्री कैसे हुई?

मुकेश कुमार ने बताया कि इस घटना के बाद वह शिकायत करने थाने पहुंचे. लेकिन वहां उसकी सुनवाई नहीं हुई. जिसके बाद वह एसपी कार्यालय पहुंचे. यहां भी उचित कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिला. जिसके बाद वह अनंत सिंह के पास पहुंचे. अनंत सिंह पहले भी इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करते रहे हैं. 

अनंत सिंह ने पहले तो सोनू-मोनू से फोन पर बात की. इस दौरान दोनों ओर से तीखी बहस हो गई. उसके बाद अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ हमजा गांव पहुंचे. और अपनी मौजूदगी में ताला खुलवाया. फिर इसके बाद सोनू-मोनू के गांव नौरंगा पहुंचे. अनंत सिंह के नौरंगा पहुंचते ही दोनों ओर से गोलियां चलने लगीं.

दोनों गुटों के अपने-अपने दावे

आजतक से बातचीत में अनंत सिंह ने बताया, 

 नौरंगा से कुछ लोग उनके पास आए कि सोनू-मोनू ने उनको घर से बाहर निकालकर ताला लगा दिया है. सोनू-मोनू ने वहां प्लास से तीन लोगों के दांत भी उखाड़ दिए थे. हमने उन लोगों से कहा कि DSP के पास चले जाओ. वे लोग गए. लेकिन DSP से भेंट नहीं हुई. तो वे लोग फिर हमारे पास आए.

अनंत सिंह का दावा है कि इसके बाद वो हमजा गांव गए. और अपने समर्थकों के साथ ताला खुलवा दिया. फिर वो सोनू-मोनू को ये बताने नौरंगा गए कि उन्होंने ताला खुलवा दिया है. और आगे से वो लोग ऐसा न करे. अनंत सिंह ने आगे बताया, 

हम सोनू-मोनू के गांव पहुंचे. और उनके घर के बाहर ही गाड़ी रुकवा दी. फिर अपने दो समर्थकों को उनको बुलाकर लाने को कहा. मगर जैसे ही हमारे समर्थक उनके यहां पहुंचे, उनके लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी. फिर फायरिंग से बचने के लिए हमारे लोगों ने भी फायरिंग की.

वहीं इस घटना में शामिल सोनू-मोनू गैंग से जुड़े सोनू सिंह ने बिहार तक से बातचीत में बताया कि अनंत सिंह उन दोनों भाइयों की हत्या करने के इरादे से उसके गांव पहुंचे थे. और वहां पहुंचते ही उनके समर्थकों ने गोली चलानी शुरू कर दी. सोनू ने आगे बताया कि इस दौरान वह पास के खेत में सिंचाई के लिए गया था. और गोलीबारी की आवाज सुनकर घर पर लौटा. फिर उसके गांव के लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई की.

सियासी दुश्मनी में हुई गोलीबारी

सोनू सिंह के पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि अनंत सिंह हत्या की नीयत से आए थे. उनकी सदस्य़ता जाने के बाद उनकी पत्नी उपचुनाव में राजद से खड़ी हुई थीं. उस समय वे लोग NDA की तरफ से थे. वहीं सोनू की मां और जमालपुर नौरंगा पंचायत की मुखिया उर्मिला देवी ने बताया कि अनंत सिंह खुद मौके पर मौजूद थे. और उन्होंने खुद से गोली चलाई.

पुलिस ने क्या बताया ?

पटना ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग ने बताया कि इस मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं. एक एफआईआर मुकेश की ओर से की गई है. दूसरी एफआईआर सोनू-मोनू के परिवारवालों ने कराई है. वहीं पुलिस ने आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत एक और मामला दर्ज किया है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, फायरिंग मामले में आरोपी सोनू ने पंचमहला थाने की पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है.

ftrttrrfg
सोनू (दाएं) और मोनू (बाएं) का आपराधिक ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.
कौन हैं सोनू-मोनू?

जलालपुर नौरंगा गांव के रहने वाले सोनू-मोनू कुख्यात अपराधी हैं. इन पर मर्डर, अपहरण और फिरौती समेत 12 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2009 से इन दोनों भाइयों ने गांव में दरबार लगाना शुरू कर दिया. इनके पास ऐसे लोग आते थे, जिनकी समस्या सरकारी अधिकारी दूर नहीं कर पाते थे. लोगों की समस्याओं का समाधान करके ये लोग जनता की नजर में रॉबिनहुड बन गए. लेकिन पर्दे के पीछे से रंगदारी, लूटपाट और सुपारी लेकर मर्डर करने जैसे अपराधों को अंजाम देते रहे.

ट्रेन में लूट से इन दोनों भाइयों की जरायम के पेशे में इंट्री हुई थी. दोनों के खिलाफ मोकामा GRP में कई मामले दर्ज हैं. सभी ट्रेन में लूटपाट से संबंधित हैं. इसके अलावा झारखंड से लेकर लखीसराय जिले के कई थाना क्षेत्रों में उन पर एक दर्जन से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं.

अनंत सिंह से क्या कनेक्शन है?

सोनू और मोनू की अनंत सिंह से सीधी अदावत नहीं रही है. लेकिन ये दोनों लंबे समय तक अनंत सिंह के प्रतिद्वंद्वी रहे विवेका पहलवान के लिए काम करते रहे हैं. विवेका पहलवान अनंत सिंह के परिवार से ही है. और रिश्ते में उनका चाचा लगता है. विवेका और अनंत सिंह की अदावत में इन दोनों के परिवार के कई लोगों की हत्या हो चुकी है. जिनमें अनंत सिंह के भाई और उनके बहनोई की हत्या हो चुकी थी. विवेका पहलवान और अनंत सिंह के बीच लंबे वक्त से दुश्मनी थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में अनंत सिंह और विवेका के बीच की बर्फ पिघल चुकी है. पिछले उपचुनाव में विवेका अनंत सिंह का समर्थन करते दिखे थे. बताया जाता है कि इनकी सुलह कराने में केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह की अहम भूमिका रही है.

सियासी रसूख बढ़ाना चाहते हैं सोनू-मोनू

अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच पैचअप हो गया. लेकिन उनके शूटर रहे सोनू-मोनू का पैचअप नहीं हुआ. विवेका जहां अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी का प्रचार कर रहे थे, वहीं ये दोनों भाई NDA कैंडिडेट ललन सिंह (बीजेपी नेता) की पत्नी का समर्थन कर रहे थे. इस दौरान अनंत सिंह जेल में थे. 
सीनियर पत्रकार प्रियदर्शन शर्मा बताते हैं, 

 सोनू-मोनू की मां जमालपुर हमजा पंचायत की निर्विरोध मुखिया चुनी गई हैं. और अब आगे इनकी भी राजनीतिक महत्वकांक्षा है. जिसके रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा अनंत सिंह हैं.

retettt
अनंत सिंह के साथ सोनू
अनंत सिंह ने सुलह की कोशिश की

अनंत सिंह 2005 से 2022 तक अलग-अलग दलों से मोकामा से विधायक रहे हैं. 2022 में उनकी सदस्यता रद्द होने के बाद उनकी पत्नी यहां से विधायक चुनी गई थीं. अनंत सिंह का भी आपराधिक इतिहास रहा है. उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनपर 52 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें हत्या से लेकर अपहरण और यूएपीए के तहत मुकदमे शामिल हैं. यूएपीए मामले में अनंत सिंह को साल 2024 में बेल मिल गई. जेल से आने के बाद उन्होंने सोनू-मोनू से मुलाकात की. जिसकी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल है. लेकिन शायद बात नहीं बन पाई.

अनंत सिंह के सियासी रुख को चुनौती 

मोकामा मुंगेर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस क्षेत्र से 2024 में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह जदयू के उम्मीदवार थे. उनको चुनावी लाभ पहुंचाने के लिए अनंत सिंह को पैरोल पर जेल से बाहर निकाला गया था. लेकिन चुनाव आयोग के एक आंकड़े के मुताबिक ललन सिंह मुंगेर के बाकी विधानसभाओं में तो आगे रहे लेकिन मोकामा में पिछड़ गए. इस घटना को मोकामा में भूमिहारों की आपसी अदावत से जोड़ कर देखा गया. जिसके सोनू-मोनू भी एक अहम किरदार हैं.

(फिलहाल इस पूरे मामले में अपडेट यह है कि सोनू और अनंत सिंह सरेंडर कर चुके हैं. )

वीडियो: सोनू-मोनू गैंग के हमले वाले दिन क्या हुआ,अनंत सिंह ने सब बता दिया