राजस्थान के चर्चित IPS ऑफिसर पंकज चौधरी (IPS Pankaj Choudhary Demotion) को राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने डिमोट कर दिया है. ये डिमोशन तीन साल के लिए किया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करने से जुड़ा है. इसे लेकर पंकज चौधरी के खिलाफ काफी समय से केस चल रहा था. हालांकि उनका कहना है कि अदालतों उन्हें राहत दे चुकी हैं. बावजूद इसके सरकार ने उन्हें डिमोट करने का आदेश जारी किया है. पंकज ने इस आदेश को ‘कोर्ट की अवमानना’ करार दिया है.
पहली पत्नी के होते दूसरी शादी की, इस IPS का डिमोशन हो गया, बोले- 'कोर्ट ने मुझे राहत दी थी'
पंकज चौधरी के डिमोशन को लेकर पिछले हफ्ते राज्य के कार्मिक विभाग ने आदेश जारी किए थे. आदेश के मुताबिक, पंकज को सीनियर पे स्केल (लेवल 11) से जूनियर पे स्केल (लेवल 10) पर डिमोट किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पंकज चौधरी के डिमोशन को लेकर पिछले हफ्ते राज्य के कार्मिक विभाग ने आदेश जारी किए थे. आदेश के मुताबिक, पंकज को सीनियर पे स्केल (लेवल 11) से जूनियर पे स्केल (लेवल 10) पर डिमोट किया गया है. इसका मतलब है कि सीनियर होने के बावजूद जूनियर लेवल की सैलरी दी जाएगी. डिमोशन की अवधि 18 दिसंबर 2024 से शुरू होकर तीन साल तक के लिए है.
पंकज चौधरी ने ऑर्डर की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया. उनका कहना है कि अदालतों से क्लीन चिट मिलने के क़रीब चार साल बाद ये ऑर्डर जारी किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा,
“सरकार का यह आदेश अवैध और कोर्ट के ऑर्डर के ख़िलाफ है. मैं इस आदेश को चुनौती दूंगा. CAT, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में मेरे पक्ष में फैसला सुना चुके हैं.”
उन्होंने X पर भी लिखा,
“विषय ये नहीं है की प्रमोशन हुआ या डिमोशन. विषय है माननीय न्यायालयों के आदेशों की जानबूझकर की जाने वाली अवमानना, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. ये लक्षण व परिपाटी राज्य के लिए घातक है, दुखद है. सिस्टम से विश्वास टूटता है. निष्पक्ष व न्याय शांति का आधार है.”

उन्होंने आगे लिखा,
“हर जंग एक क़ीमत मांगती है. ये जंग खास है, जो कि संगठित करप्ट और अवसरवादियों से है. चापलूसी और चाटुकारिता के कलियुग में ये जंग आने वाली पीढ़ियों की बेहतरी के लिए है.”

2009 बैच के IPS पंकज चौधरी फिलहाल जयपुर में पुलिस हेडक्वार्टर के कम्युनिटी पुलिसिंग के पुलिस अधीक्षक (SP) के पद पर तैनात हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 में इसी मामले को लेकर उनको बर्खास्त कर दिया गया था. लेकिन मई 2021 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT), दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें बहाल कर दिया था.
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