महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में बड़े फेरबदल की अटकलें शुरू हो गई हैं. विधानसभा चुनाव के बाद अब इस बात की चर्चा है कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) और उनके चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) के बीच चल रहा विवाद खत्म हो सकता है. फिलहाल NCP दो धड़ों में बंटी हुई है, NCP (अजित पवार) और NCP (शरद पवार). अजित पवार की मां आशा पवार ने इस चर्चा को हवा दी है.
अजित पवार और शरद पवार होंगे एक? दोनों गुटों के नेता बोले, महाराष्ट्र में बड़ी तैयारी!
Ajit Pawar लंबे समय तक अपने चाचा Sharad Pawar के साथ रहें. इसके बाद जून 2023 में उन्होंने अलग रास्ता चुना. 40 विधायकों के साथ शरद से अलग हो गए. भाजपा और शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर महाराष्ट्र की महायुति सरकार का हिस्सा बन गए.

दरअसल, नए साल के मौके पर वो पंढरपुर पहुंची थीं. विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में दर्शन के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा,
"सभी विवाद समाप्त होने चाहिए. शरद पवार और अजित पवार को फिर से एक होना चाहिए."
आशा पवार ने ये भी कहा कि उन्होंने अजित पवार की सभी इच्छाओं के पूरा होने की भी कामना की. हालांकि, अजित की मां अकेली नहीं हैं जो चुनाव के बाद चाचा-भतीजे के “पुनर्मिलन” की कामना कर रही हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अजित की पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी कुछ ऐसा ही कहा है. उन्होंने कहा है कि शरद पवार उनके लिए भगवान जैसे हैं और वो उनका बहुत सम्मान करते हैं. प्रफुल्ल ने कहा कि वो खुद को पवार परिवार का सदस्य मानते हैं और अगर ये परिवार फिर से एक साथ आता है तो उन्हें बहुत खुशी होगी.
अजित की ही पार्टी के विधायक नरहरि जिरवाल भी यही बात दोहराते हैं. जून 2023 में अजित और शरद के रास्ते अलग हो गए थे. जिरवाल इस बारे में कहते हैं कि शरद पवार को छोड़ना अजीब लगा, कई और लोग भी ऐसा ही महसूस करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि वो शरद के पास जाएंगे और आग्रह करेंगे कि वो अजित के साथ आ जाएं.
NCP (अजित पवार) के प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने कहा कि चाचा-भतीजे की जोड़ी साथ आ सकती है, बशर्ते कि दोनों प्रयास करें. लेकिन, उन्होंने कहा कि जितेंद्र अव्हाड़ (शरद पवार के प्रमुख सहयोगी) और रोहित पवार (शरद पवार के पोते) जैसे कुछ NCP (शरद पवार) नेता इसमें बाधा बन सकते हैं. मिटकरी ने कहा कि वो कभी नहीं चाहेंगे कि दोनों एक साथ आएं. लेकिन आशा पवार की प्रार्थना NCP के दोनों समूहों के हर कार्यकर्ता की प्रार्थना है. उन्होंने कहा कि सभी को लगता है कि उन्हें एक साथ आना चाहिए.
इस बारे में पूछे जाने पर अह्वाड ने कहा कि इस मामले में कोई भी फैसला लेना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. और पवार परिवार को खुद ही फैसला करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर आशा पवार कह रही हैं कि पवार परिवार को साथ आना चाहिए, तो इसके बाद अह्वाड क्या ही कह सकते हैं? ये उनका पारिवारिक मामला है. उन्हें ही फैसला लेना होगा. उन्होंने बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो इस बारे में क्या सोचते हैं.
BJP ने क्या कहा?NCP (अजित पवार) की सहयोगी पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस बारे में कहा कि अगर दोनों पवार एक साथ आ रहे हैं, तो भाजपा के लिए इस पर आपत्ति जताने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बारे में फैसला उन्हें ही करना है.
अजित पवार लंबे समय तक अपने चाचा शरद पवार के साथ रहे. इसके बाद जून 2023 में उन्होंने अलग रास्ता चुना. 40 विधायकों के साथ शरद से अलग हो गए. भाजपा और शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर महाराष्ट्र की महायुति सरकार का हिस्सा बन गए. नवंबर, 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शरद पवार की अगुआई वाली NCP छह प्रमुख पार्टियों में सबसे आखिरी स्थान पर रही. 86 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 10 सीटें ही जीत पाई. दोनों NCP ने 36 सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा, जिसमें से NCP (अजित पवार) ने 29 सीटें जीतीं, जिसमें पवार परिवार का बारामती क्षेत्र भी शामिल है.
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