‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने कई बार भारत पर हमले की कोशिश की. लेकिन भारतीय सेना ने उसके सारे प्रयास विफल कर दिए. 12 मई को जब सेना के अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे ऑपरेशन की जानकारी दे रहे थे, तब उन्होंने एक बात खासतौर पर रेखांकित की. उन्होंने कहा कि भारत कभी युद्ध के लिए पहला कदम नहीं उठाता, लेकिन अगर उसकी क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा पर हमला होता है, तो वह मुंहतोड़ जवाब देने से भी पीछे नहीं हटता. पाकिस्तान के खिलाफ भारत की हालिया कार्रवाई में एक बार ऐसा देखने को मिला.
'राम के क्रोध' से पाकिस्तान को चेताया, रामचरितमानस की जो चौपाई एयर मार्शल ने पढ़ी उसका मतलब ये है
ऑपरेशन सिंदूर के संदेश के बारे में पूछे जाने पर एयर मार्शल ने तुलसीदास रचित रामचरितमानस की एक पंक्ति दोहराई. बिनय न मानत जलधि जड़. गए तीन दिन बीत. बोले राम सकोप तब, भय बिन होई न प्रीत'. एयर मार्शल ने कहा कि समझदार के लिए इशारा ही काफी है.

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद वायु सेना के मार्शल एके भारती को जब संदेश देने के लिए कहा गया तो उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई याद दिला दी.
भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से दुनिया को क्या संदेश दिया जा रहा है? इस पर जवाब देते हुए एके भारती ने कहा कि मैं बस रामचरितमानस की एक पंक्ति याद दिलाऊंगा. याद कीजिए वो पंक्ति,
बिनय न मानत जलधि जड़. गए तीन दिन बीति. बोले राम सकोप तब. भय बिनु होई न प्रीति.
भारती आगे कहते हैं कि समझदार के लिए इशारा ही काफी है.
क्या है अर्थ?
एयर मार्शल एके भारती ने जो चौपाई सुनाई वह रामचरितमानस के सुंदरकांड में आती है. भगवान राम तीन दिनों तक समुद्र की प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें रास्ता दे, ताकि वह सागर पार कर लंका में प्रवेश कर सकें. तीन दिनों तक प्रार्थना के बाद भी समुद्र की ओर से कोई जवाब नहीं आता. इस पर राम का दुर्लभ क्रोध सामने आता है. गोस्वामी तुलसीदास तब ये चौपाई लिखते हैं, जिसका अर्थ है-
तीन दिन बीतने के बाद भी जड़ (मूर्ख) समुद्र विनय नहीं मान रहा है. तब राम क्रोधित होकर कहते हैं कि भय के बिना प्रीति यानी कि प्रेम नहीं होता.
क्या है संदेश?
इस चौपाई के जरिए एयर मार्शल का संदेश साफ है, कि भारत धैर्य और संयम में विश्वास रखता है. लेकिन जब बार-बार आग्रह या विनय करने से काम नहीं चलता, तब जाकर क्रोध दिखाया जाता है.
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