The Lallantop

एयरफोर्स को मिलेंगे I-STAR जासूसी विमान, चीन-पाकिस्तान के ठिकानों पर पैनी निगाह

Defence Ministry of India तीन अत्याधुनिक I-STAR विमान खरीदने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

post-main-image
I-Star विमान जासूसी और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है (PHOTO-DRDO)

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत ने पाकिस्तान के चाइनीज़ एयर डिफेंस सिस्टम्स (HQ-9P) को तबाह कर दिया था. भारत ने जिस सिस्टम की बदौलत पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम्स की लोकेशन का पता लगाया था, वो थे भारत के ISR यानी Intelligence, Surveillance and Reconnaissance सिस्टम्स. और अब खबर आई है कि इस ऑपरेशन के बाद भारत ने अपनी ISR क्षमता में इजाफा करने का फैसला किया है. इस कड़ी में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने 3 उन्नत I-STAR (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance) जासूसी विमान खरीदने का फैसला किया है.

खबरें हैैं कि डिफेंस मिनिस्ट्री तीन अत्याधुनिक जासूसी विमान खरीदने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इससे इंडियन एयरफोर्स को हवा से जमीन पर मार करने के लिए एक क्लियर तस्वीर मिलेगी. इससे दुश्मन के ग्राउंड टारगेट्स जैसे रडार स्टेशन, एयर डिफेंस सिस्टम यूनिट्स और चलती गाड़ियों पर पर सटीक हमले किए जा सकेंगे.

रक्षा अधिकारियों ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि खुफिया मिशंस, निगरानी, ​​टारगेट ढ़ूंढने और टोही मिशंस के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को जून के चौथे सप्ताह में होने वाली रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है. ये I-STAR विमान, हवा से जमीन की निगरानी करता है. इससे सेना को उन टारगेट्स पर सटीक हमले माने Precision Strikes करने में मदद मिलती है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डेवलप की जा रही परियोजना में तीन विमानों की जरूरत है. इन विमानों की खरीद के लिए ओपन टेंडर जारी किए जाएंगे. जिसमें बोइंग (Boeing) और बॉम्बार्डियर (Bombardier) जैसी दिग्गज एयरक्राफ्ट कंपनियां भी शामिल हैं.

यह भी पढ़ें: ट्रंप ने किया पुतिन के साथ खेल: US की खुफिया मदद से यूक्रेन ने लिखी ऑपरेशन स्पाइडवेब की स्क्रिप्ट! 

DRDO के अधिकारियों ने बताया कि विमान विदेशी होंगे लेकिन उसमें लगी प्रणालियां जैसे सेंसर्स और रडार पूरी तरह स्वदेशी होंगे. DRDO के सेंटर फॉर एयरबॉर्न सिस्टम्स (Centre for Airborne Systems-CABS) ने पहले ही इन्हें सफलतापूर्वक डेवलप कर लिया है. उन्होंने कहा  

ये प्रणालियां पहले ही CABS द्वारा डेवलप और टेस्ट की जा चुकी हैं. उन्हें केवल उन तीन विमानों के साथ इंटीग्रेट करना होगा जो इस प्रोजेक्ट के तहत खरीदे जाएंगे.

I-STAR सिस्टम के डेवलपमेंट के साथ ही भारत भी अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल जैसे चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा जिनके पास इस तरह का टोही विमान है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने एक शब्द खूब सुना, बियॉन्ड विजुअल रेंज हथियार या स्टैंड ऑफ वेपंस. ये वो हथियार होते हैं जो काफी दूर से बिना टारगेट को देखे ही रडार और सेंसर्स के माध्यम से लॉक कर लेते हैं. I-STAR सिस्टम भी स्टैंड-ऑफ रेंज में रहते हुए दिन-रात खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी, ​​टोही और टारगेट ढ़ूंढ़ने में सक्षम होगा.

वीडियो: शुभमन गिल के समर्थन में रिकी पोंटिंग, जसप्रीत बुमराह को लेकर क्यों जताई असहमति?

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स