कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 का आयोजन भारत में होगा. ये कॉमनवेल्थ गेम्स का 100वां एडिशन होगा. कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने अहमदाबाद को होस्ट सिटी के तौर पर नामित किया है. बुधवार, 15 अक्टूबर को हुई बोर्ड की बैठक में अहमदाबाद का नाम प्रपोज किया गया. कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स ने एक बयान में कहा,
2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स भारत में होंगे, इस शहर की मिली मेजबानी
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि शताब्दी खेलों की मेजबानी देश के लिए एक बड़ा सम्मान होगा.


“अहमदाबाद को अब 26 नवंबर को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाली जनरल असेंबली में औपचारिक मंजूरी के लिए कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की पूर्ण सदस्यता के लिए रखा जाएगा.”
भारत ने इससे पहले साल 2010 के CWG को होस्ट किया था. हालांकि, दिल्ली में हुए इस आयोजन को खराब प्लानिंग, बुनियादी ढांचे की कमी और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से जाना गया था.
खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने 2030 के खेलों के आयोजन को लेकर X पर पोस्ट कर लिखा,
“भारतीय खेलों के लिए एक बहुत बड़ा क्षण! 2030 में शताब्दी कॉमनवेल्थ खेलों के लिए अहमदाबाद को प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में भेजे जाने के लिए कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स के एग्जीक्यूटिव बोर्ड का आभार. ये हमारे राष्ट्र के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है. यह निर्णय वैश्विक खेलों में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व द्वारा संभव हुआ है.”
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि शताब्दी खेलों की मेजबानी देश के लिए एक बड़ा सम्मान होगा. उन्होंने कहा,
"ये खेल न केवल भारत की विश्वस्तरीय खेल और आयोजन क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे, बल्कि विकसित भारत 2047 की ओर हमारी राष्ट्रीय यात्रा में भी एक सार्थक भूमिका निभाएंगे."
उन्होंने आगे कहा,
"हम 2030 के खेलों को अपने युवाओं को प्रेरित करने, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने और राष्ट्रमंडल देशों के साझा भविष्य में योगदान देने के एक सशक्त अवसर के रूप में देखते हैं."
इस खेल के आयोजन के लिए अहमदाबाद और नाइजीरिया की राजधानी अबुजा दावेदार थे. 2022 के खेल पहले दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित होने थे. लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण देश ने अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद ये बर्मिंघम में आयोजित किए गए. इसी तरह, 2026 के कॉमनवेल्थ खेल ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में आयोजित होने थे. हालांकि, उन्होंने भी नाम वापस ले लिया. जिसके बाद ग्लासगो ने इसकी मेजबानी करनी पड़ी.
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