बचपन में खेलते, दौड़ते-भागते हम अक्सर गिर जाया करते थे. घुटनों में चोट लग जाती थी. वक़्त के साथ चोट ठीक भी हो जाती थी. फिर सालों बाद अचानक उसी चोट में दर्द होने लगता था. अगर किसी का एक्सीडेंट हो चुका है. घुटने में चोट आई है, तो भी ये दर्द आसानी से नहीं जाता. हर कुछ सालों में दोबारा उठता है. लेकिन ऐसा क्यों?
घुटने में चोट लगे तो तुरंत कराएं जांच, दिक्कत बढ़ी तो पैर में बड़ी समस्या हो जाएगी
अगर कभी घुटने में चोट लग जाए, तो जांच कराकर पता करें कि चोट किस ग्रेड की है. अगर ग्रेड 1 या ग्रेड 2 की चोट है, तो वो आसानी से ठीक हो सकती है. लेकिन अगर चोट ग्रेड 3 की है, तो तुरंत इलाज कराना ज़रूरी है.
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कहा ये जाता है कि अगर एक बार घुटने में चोट लग जाए, तो वो अपने आप ठीक नहीं होती. अब क्या वाकई ऐसा होता है? चलिए समझते हैं.
क्या घुटनों में लगी चोट अपने आप ठीक नहीं होती?
ये हमें बताया डॉक्टर सिनुकुमार भास्करन ने.

घुटने के जोड़ में बाहर की तरफ दो लिगामेंट्स होते हैं. इन्हें कोलेटरल लिगामेंट कहा जाता है. घुटने के बीच में भी दो लिगामेंट होते हैं. इन्हें क्रुशिएट लिगामेंट कहते हैं. लिगामेंट यानी हड्डियों को जोड़ने वाला मजबूत बैंड. इन लिगामेंट में चोट के कई ग्रेड होते हैं. अगर ग्रेड 1 या ग्रेड 2 की चोट है. यानी लिगामेंट आधा फटा हुआ है. तब ऐसी चोट अक्सर अपने आप ठीक हो जाती है. इसके लिए आराम करने, फिज़ियोथेरेपी कराने और ब्रेस की ज़रूरत पड़ती है. ब्रेस एक तरह का पट्टा होता है.
वहीं अगर लिगामेंट में ग्रेड 3 की चोट है. यानी लिगामेंट पूरी तरह फट गया है. तो घुटने की मूवमेंट गड़बड़ा जाती है. इससे जोड़ के कुछ हिस्सों पर ज़्यादा दबाव पड़ने लगता है. ऐसे में घुटने की अंदरूनी परत या गद्दी (कार्टिलेज) को लंबे समय में नुकसान पहुंच सकता है. इससे अर्थराइटिस यानी गठिया होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
घुटना सिर्फ हिंज जॉइंट नहीं है. यानी ऐसा जोड़ जो सिर्फ एक दिशा में मुड़ता हो. आपका घुटना केवल पैर मोड़ने और सीधा करने के लिए नहीं होता. इसमें ट्विस्टिंग (मरोड़ना), पिवटिंग (धुरी पर घूमना), ट्रांसलेटिंग (हल्का खिसकना) जैसे कई जटिल मूवमेंट होते हैं. इन मूवमेंट्स को गाइड करने के लिए लिगामेंट्स बहुत ज़रूरी होते हैं. अगर लिगामेंट पूरी तरह फट गया है. यानी ग्रेड 3 की चोट है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह-मशविरा करें. जिससे सही इलाज हो सके.
कारण
ग्रेड 1 और ग्रेड 2 की चोट में लिगामेंट्स में थोड़ा-बहुत कनेक्शन बचा रहता है. उस जगह फाइबर जैसे टिशू बनने लगते हैं. इससे लिगामेंट अपने आप जुड़ सकता है. लेकिन ग्रेड 3 चोट में लिगामेंट पूरी तरह से टूट जाता है. उसके दोनों सिरों में कोई कनेक्शन ही नहीं बचता. ऐसे में वहां कोई नया टिशू आकर दोनों सिरों को जोड़ नहीं सकता. इसलिए लिगामेंट अपने आप ठीक नहीं हो पाता. ऐसे में सर्जरी या किसी दूसरे तरीके से लिगामेंट के टूटे सिरों को पास लाना पड़ता है.

किस तरह की चोट गंभीर हो सकती है?
ग्रेड 3 की इंजरी, जिसमें घुटने का ACL लिगामेंट या क्रूशिएट लिगामेंट पूरी तरह से फट गया है. या फिर मेनिस्कस (घुटने के बीच की गद्दी) पूरी तरह फट गई है. और मेनिस्कस का टूटा हुआ हिस्सा घुटने के बीच में फंस गया है. जिससे घुटने की मूवमेंट पूरी तरह रुक गई है. ऐसी चोटों का जल्द इलाज ज़रूरी होता है. खासकर जब मेनिस्कस का टूटा टुकड़ा घुटने के अंदर फंसकर मूवमेंट रोक दे. तब तुरंत आर्थोस्कोपी करके उस टुकड़े को सही जगह पर लगाकर ठीक किया जाता है. ACL लिगामेंट टूटने पर उसे जोड़ा नहीं जा सकता, नया लिगामेंट लगाना पड़ता है. इसके लिए 4 से 6 हफ्ते रुककर ही सर्जरी करते हैं.
अगर घुटने में चोट लग जाए तो तुरंत क्या करना चाहिए?
सबसे पहले घुटने को स्थिर रखें, हिलाएं नहीं. लोग अक्सर उसे हिलाने या चलाने की कोशिश करते हैं, ये बिल्कुल गलत है. घुटने को स्प्लिंट (एक कठोर पट्टी) या ब्रेस से स्थिर करें. अगर मेडिकल स्टोर पास है, तो ब्रेस लेकर पहनें. नहीं तो किसी कड़ी चीज़ से बांधकर घुटने को हिलने से रोकें.
ठंडी सिकाई करें. चोट लगने पर आइस पैक लगाएं. लोग अक्सर गर्म पानी से सिकाई कर देते हैं, जो गलत है. इससे खून का बहाव और सूजन बढ़ सकती है.
घुटने पर वजन न डालें, न ही चलना शुरू करें. आराम करें, बर्फ लगाएं और पैर को ऊंचा रखें ताकि सूजन कम हो. जैसे ही मौका मिले, डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं ताकि अगली जांच या इलाज किया जा सके.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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