'ओज़ेम्पिक वल्वा'. ये कोई बीमारी या मेडिकल टर्म नहीं है. लेकिन आजकल सोशल मीडिया पर इस शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि जो महिलाएं वज़न घटाने के लिए ओज़ेम्पिक जैसी दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं, उनके वल्वा में कुछ बदलाव आ रहे हैं. वल्वा यानी महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का बाहरी हिस्सा. उन्हें वजाइना में सूखापन, झुर्रियां या ढीलापन महसूस हो रहा है.
ओज़ेम्पिक जैसी दवाएं लेने वाली महिलाएं 'ओज़ेम्पिक वल्वा' से परेशान! ये क्या होता है?
वल्वा यानी महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का बाहरी हिस्सा. वज़न घटाने के लिए ओज़ेम्पिक लेने वाली महिलाओं को वजाइना में सूखापन, झुर्रियां या ढीलापन महसूस हो रहा है.
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कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर इसके बारे में खुलकर बात की है. एक महिला ने बताया- "मैंने ओज़ेम्पिक से चार महीने में लगभग 19 किलो वजन घटाया. लेकिन फिर मैंने नोटिस किया कि मेरी वजाइना की स्किन ढ़ीली हो गई है. फिर मैंने डॉक्टर से इलाज करवाया और फिलर (एक तरह का भराव) लगवाकर उस हिस्से की बनावट को ठीक किया."
क्या वाकई ओज़ेम्पिक और दूसरी वज़न घटाने वाली दवाओं से ऐसा होता है? ये जानने के लिए हमने बात की एलांटिस हेल्थकेयर, दिल्ली में गायनेकोलॉजी एंड आईवीएफ़ के चेयरमैन एंड हेड, डॉ. मनन गुप्ता से.

डॉक्टर मनन कहते हैं कि ये कहना ग़लत है कि ओज़ेम्पिक या वज़न घटाने वाली दवाएं लेने वाली हर महिला को ये समस्या होगी. लेकिन जिन महिलाओं के शरीर में ऐसे बदलाव आ रहे हैं, इसके पीछे एक बड़ी वजह तेज़ी से वजन कम होना हो सकता है. जब शरीर से अचानक चर्बी घटती है, तो वजाइना के आस-पास की चर्बी (फैट) भी कम हो जाती है. इससे वहां झुर्रियां पड़ सकती हैं. मांसपेशियां भी कमज़ोर हो सकती हैं, जिससे वजाइना वाला हिस्सा ढीला महसूस होने लगता है. इसके कारण कुछ महिलाओं को असुविधा या खुजली भी हो सकती है.
कुछ लोगों को दवा के साइड इफ़ेक्ट के तौर पर पेट में तकलीफ हो सकती है. जैसे उल्टी या दस्त लगना. इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. पानी की कमी से वजाइना में ड्राईनेस की समस्या बढ़ जाती है.
इसके अलावा ओज़ेम्पिक जैसी दवाओं से शरीर में हॉर्मोनल बदलाव भी होते हैं. क्योंकि, जब वजन अचानक घटता है, तो हॉर्मोन पर भी असर पड़ता है. महिलाओं में हॉर्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने से वजाइना में नमी की कमी हो जाती है. शरीर के अंदर मौजूद माइक्रोबायोम में भी बदलाव आ सकता है, जिससे वहां संक्रमण या जलन हो सकती है.

माइक्रोबायोम यानी बैक्टीरिया का एक समूह जो हमारे शरीर में रहता है. इनमें गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया, दोनों शामिल हैं. डॉक्टर मनन का कहना है कि ओज़ेम्पिक समेत बाकी वज़न घटाने वाली दवाओं के इस साइड इफ़ेक्ट पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है. लेकिन वज़न तेजी से कम होने पर शरीर के ऊतकों यानी टिशू में बदलाव आना सामान्य है. हालांकि, वज़न कम होने से ज़्यादातर महिलाओं की सेहत बेहतर होती है. मगर कुछ को वजाइना में ड्राईनेस या सेंसिटिविटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए ओज़ेम्पिक या वज़न घटाने वाली कोई भी दवा इस्तेमाल करने से पहले, डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें. अगर कोई समस्या महसूस हो रही है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं.
बचाव के तौर पर खूब पानी पिएं. वजाइना में ड्राईनेस से निपटने के लिए डॉक्टर खास क्रीम या लोशन लगाने के लिए देते हैं. ये नमी बनाए रखने में मदद करते हैं. मांसपेशियों को मज़बूत रखने के लिए कीगल एक्सरसाइज करें. अगर जरूरत महसूस हो, तो डॉक्टर से मिलकर कॉस्मेटिक इलाज भी करवाया जा सकता है. जैसे फिलर लगवाना या सर्जरी कराना.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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