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एक्यूट किडनी इंजरी को जानना जरूरी, अचानक से काम करना बंद कर देते हैं गुर्दे

एक्यूट किडनी इंजरी बीमारी काफी तेज़ी से बढ़ती है और कुछ घंटों से लेकर 1-2 दिनों में गंभीर हो सकती है. अगर लक्षण समझकर, सही समय पर इलाज न हो, तो किडनियां फेल होने तक की नौबत आ सकती है.

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एक्यूट किडनी इंजरी एक गंभीर बीमारी है (फोटो: Getty Images)

जब चाय पक रही हो. उससे अदरक और इलायची की खुशबू आ रही हो. तब चायप्रेमी बड़ी उम्मीद से छन्नी की तरफ देखते हैं. कब इसमें से चाय छनेगी. कब उन्हें पीने को मिलेगी.

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जो भूमिका चायप्रेमी के जीवन में छन्नी की है. वही भूमिका, शरीर में किडनी की है. किडनी भी शरीर की छन्नी ही है. इसका काम है, खून को फिल्टर करना. फिर जो भी गंदगी बचे, उसे यूरिन के ज़रिए शरीर से बाहर निकाल देना.

मगर, कभी-कभी अचानक किडनी में कुछ दिक्कत आ जाती है. तब वो शरीर की गंदगी, और एक्स्ट्रा लिक्विड को ठीक से छान नहीं पाती. ये बहुत ही गंभीर स्थिति है. इसे एक्यूट किडनी इंजरी कहा जाता है. ये बीमारी काफी तेज़ी से बढ़ती है और कुछ घंटों से लेकर 1-2 दिनों में गंभीर हो सकती है. अगर लक्षण समझकर, सही समय पर इलाज न हो, तो किडनियां फेल होने तक की नौबत आ सकती है.

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इसलिए, डॉक्टर से जानिए कि एक्यूट किडनी इंजरी क्या है. ये क्यों होती है. इसके लक्षण क्या हैं. और, एक्यूट किडनी इंजरी से बचाव व इलाज कैसे किया जाए. 

एक्यूट किडनी इंजरी क्या है?

ये हमें बताया डॉ. (प्रो.) विवेकानंद झा ने.

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डॉ. (प्रो.) विवेकानंद झा, नेफ्रोलॉजिस्ट एंड एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर, द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ

एक्यूट किडनी इंजरी में गुर्दे (किडनियां) अचानक अपना काम करना बंद कर देते हैं. इस बीमारी में गुर्दे शरीर से गंदगी और अतिरिक्त तरल पदार्थों को ठीक से छान नहीं पाते. ये बीमारी काफी तेज़ी से बढ़ती है और कुछ घंटों से लेकर 1-2 दिनों में गंभीर हो सकती है, अगर समय पर इलाज न मिले, तो इसका असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ सकता है.

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एक्यूट किडनी इंजरी के कारण क्या हैं?

- शरीर में अचानक पानी की कमी होना (डिहाइड्रेशन).

- कुछ तरह के इंफेक्शन होना.

- ऐसी दवाएं जो गुर्दों को नुकसान पहुंचा सकती हैं.

- पेशाब के रास्ते में रुकावट, जैसे पथरी या ट्यूमर.

एक्यूट किडनी इंजरी दो परिस्थितियों में हो सकती है. पहली स्थिति, किसी दूसरी बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती मरीज़ को कोई दवा दी गई हो. उसका कोई ऑपरेशन हुआ हो, जैसे दिल की सर्जरी. आमतौर पर बुज़ुर्गों में, जिन्हें दिल की कोई बीमारी होती है या फेफड़ों में इंफेक्शन होता है. उन्हें अस्पताल में जांच के दौरान किडनी इंजरी का पता चलता है. 

दूसरी स्थिति, पहले से स्वस्थ युवाओं में अचानक से कोई बीमारी या घटना होना, जिससे किडनी इंजरी हो जाती है. जैसे दस्त लगना. इंफेक्शन; जैसे मलेरिया, लेप्टोस्पाइरोसिस, स्क्रब टाइफस. ज़हरीले सांप के काटने से. प्रसव के दौरान जटिलताएं, जिससे गुर्दों का काम अचानक बंद हो सकता है.

ऐसा अक्सर गांवों और दूरदराज़ के इलाकों में होता है, जहां इलाज की सुविधा कम है. कम सुविधा के चलते ये बीमारियां तुरंत पकड़ में नहीं आतीं और उनका समय पर इलाज नहीं हो पाता. अगर इन जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं मज़बूत हों, तो एक्यूट किडनी इंजरी होने से रोका जा सकता है.

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एक्यूट किडनी इंजरी के लक्षण समझना बहुत ज़रूरी है (फोटो: Getty Images)

एक्यूट किडनी इंजरी के लक्षण

- पेशाब की मात्रा का कम होना.

- अगर बीमारी शुरुआती स्टेज में न पकड़ी जाए, तो और भी लक्षण दिख सकते हैं.

- जैसे शरीर में सूजन.

- सांस लेने में तकलीफ.

- लगातार थकान.

- मानसिक भ्रम.

- कई बार बेहोशी होना.

- कुछ लक्षण केवल लैब जांच से पता चलते हैं.

- जैसे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम) की कमी या असंतुलन.

एक्यूट किडनी इंजरी का उपचार

एक्यूट किडनी इंजरी के इलाज में तीन चीज़ों पर ध्यान दिया जाता है. पहला, बीमारी के कारण को ठीक करना. दूसरा, इसके लक्षणों को नियंत्रित करना. तीसरा, किडनी के काम करने की क्षमता बहाल करना.

पानी की कमी होने पर नस के ज़रिए तरल पदार्थ दिए जाते हैं. पोटैशियम, कैल्शियम और ब्लड प्रेशर असंतुलित होने पर दवाएं दी जाती हैं. 

सबसे ज़रूरी है कि बीमारी के कारण का सही इलाज किया जाए. अगर कोई दवा किडनी को नुकसान पहुंचा रही है, तो उसे तुरंत बंद किया जाए. इंफेक्शन होने पर सही एंटीबायोटिक्स दी जाएं. पेशाब के रास्ते में रुकावट (जैसे पथरी या ट्यूमर) को हटाया जाए. 

अगर मामला गंभीर हो जाए और शरीर में गंदगी या पानी बहुत ज़्यादा इकट्ठा हो जाए, तो डायलिसिस की ज़रूरत पड़ सकती है. ये इलाज आमतौर पर अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में किया जाता है. एक्यूट किडनी इंजरी गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर इलाज हो तो पूरी तरह ठीक हो सकती है. 

इलाज में देरी होने पर ये क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (लंबे समय तक चलने वाली बीमारी) में बदल सकती है. कुछ मामलों में गुर्दे पूरी तरह फेल भी हो सकते हैं. इसलिए, ठीक होने के बाद भी समय-समय पर गुर्दों की जांच कराते रहना ज़रूरी है. अगर पेशाब में बदलाव आए या कोई नई समस्या महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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