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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों में कुरान पढ़ाना अनिवार्य कर दिया?

एक स्कूल का वीडियो वायरल है. इसमें एक छात्रा धार्मिक संदेश पढ़ते नज़र आ रही है. वहां मौजूद बाकी बच्चे अपनी आंखें बंद किए और हाथ जोड़कर बैठे हुए हैं और ब्लैकबोर्ड पर 'बकरीद' की शुभकामनाएं लिखी हैं.

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कर्नाटक के स्कूलों से जुड़ा एक दावा सोशल मीडिया पर वायरल है. (तस्वीर: ट्विटर@ManojSr60583090, तस्वीर@PTI)
दावा

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को लेकर एक दावा सोशल मीडिया पर वायरल है. दावा ये कि कर्नाटक में संभालने के बाद कांग्रेस ने राज्य के सभी स्कूलों में कुरान पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. कई सोशल मीडिया यूजर्स इस दावे के साथ एक स्कूल का वीडियो भी शेयर कर रहे हैं, जिसमें एक छात्रा धार्मिक संदेश पढ़ते नज़र आ रही है. वहां मौजूद बाकी बच्चे अपनी आंखें बंद किए और हाथ जोड़कर बैठे हुए हैं और ब्लैकबोर्ड पर 'बकरीद' की शुभकामनाएं लिखी हैं.  

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मिसाल के तौर पर एक ट्विटर (X) यूजर ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों में कुरान पढ़ाना अनिवार्य कर द‍िया है. फ्री टिकट और 200 यूनिट फ्री बिजली के चक्कर में हिंदुओं ने बीजेपी के विरोध में मतदान किया था.

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(पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है.)

इसके अलावा कई अन्य यूजर्स ने भी वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कर्नाटक के स्कूलों में कुरान पढ़ाए जाने का दावा किया है.

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पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. कर्नाटक के स्कूलों में अनिवार्य रूप से कुरान पढ़ाए जाने का दावा गलत है.

दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम्स बनाए और एक कीफ्रेम को रिवर्स सर्च किया. हमें News18 Kannada के यूट्यूब पर 1 जुलाई को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. इसमें वायरल वीडियो का हिस्सा देखा जा सकता है.

वीडियो के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, यह कर्नाटक के हासन जिले में मौजूद ज्ञानसागर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल का है. घटना 30 जून की है जब स्कूल में बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा था. इसका वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. जिसके बाद स्कूल ने अपनी सफाई में कहा कि कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों में से केवल तीन बच्चों ने कुरान की आयतें पढ़ी थीं. बाकी बच्चे केवल अपनी आंख बंदकर के हाथ जोड़कर बैठे हुए थे.

इसके अलावा हमें News9 की वेबसाइट पर 1 जुलाई को पब्लिश की गई एक रिपोर्ट मिली. इसमें स्कूल की प्रिसिंपल सुजा फिलिप के हवाले से बताया गया है,

”हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि स्कूल के किसी भी छात्र को कुरान नहीं पढ़ाया गया. कार्यक्रम में भाग लेने वाले केवल तीन मुस्लिम छात्रों ने ही कुरान की आयतें पढ़ीं. हम सभी त्यौहार मनाते हैं. हमारा विद्यालय एक सेकुलर संस्थान है.”

News9 की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट.

रिपोर्ट में हसन के एसपी हरिराम शंकर का भी बयान छपा है. उन्होंने बताया कि छात्रों ने एक नाटक के जरिए अपने त्यौहार की प्रस्तुति दी थी. स्कूल में हिंदुओं और ईसाइयों के त्यौहार पर भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं.

मामले की अधिक जानकारी के लिए हमने स्कूल की प्रिंसिपल सुजा फिलिप से संपर्क करने का प्रयास किया है. उनका जवाब आने पर लेख को अपडेट किया जाएगा. 

अब बात कर्नाटक के स्कूल में कुरान अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने वाले दावे की. हमें ऐसी कोई प्रमाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे इस दावे की पुष्टि होती हो. हमने कर्नाटक सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग की वेबसाइट को खंगाला, लेकिन वहां भी इसको लेकर कुछ नहीं मिला.

नतीजा

कुलमिलाकर, हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि कर्नाटक के स्कूलों में कुरान पढ़ाए जाने का फर्जी दावा सोशल मीडिया पर वायरल है.  

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