The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तानी कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड से BJP को चंदा दिया?

Election Commission की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा में एक कंपनी Hub Power Company का नाम सामने आया है. कहा जा रहा है कि यह एक पाकिस्तानी कंपनी है जिसने पुलवामा हमले के बाद लाखों रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर भाजपा को चंदा दिया. सच क्या है?

post-main-image
इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा में पाकिस्तान एंगल सामने आने का दावा. (तस्वीर:PTI/सोशल मीडिया)
दावा:

इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) के डेटा को चुनाव आयोग ने 14 मार्च की शाम अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया. डेटा सामने आने के बाद पैटर्न खोजे जा रहे हैं और पैटर्न की व्याख्या भी जारी है. क्या छापे के बाद बॉन्ड खरीदा गया, क्या बॉन्ड खरीदने के बाद ठेका मिला, आदि इत्यादि. एक तरफ ये काम चल रहा है, दूसरी तरफ सोशल मीडिया की जनता अलग लेवल पर खेल रही है. दावा किया जा रहा कि पुलवामा हमले के बाद एक पाकिस्तानी कंपनी ने बॉन्ड खरीदकर भाजपा को दे दिये. कुछ ये भी कह रहे हैं कि बॉन्ड तो पाकिस्तानी कंपनी ने खरीदे, लेकिन दिए कांग्रेस को, भाजपा को नहीं. क्या है पूरा गड़बड़झाला, आइये समझें.

चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर जो डेटा जारी किया है उसमें Hub Power Company के भी बॉन्ड खरीदने की बात सामने आई है. Hub Power Company ने कुल 95 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदा हैं. कंपनी ने सिर्फ एक बार बॉन्ड खरीदे - 18 अप्रैल, 2019 को.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रियंका देशमुख नाम की यूज़र ने एक पोस्ट शेयर करते हुए दावा किया कि पाकिस्तानी कंपनी ने बीजेपी को बॉन्ड के ज़रिए चंदा दिया. 

वहीं, कुछ यूजर्स ने ये भी दावा किया कि Hub Power Company ने बॉन्ड खरीदकर कांग्रेस को चंदा दिया. जितेंद्र प्रताप सिंह नाम के यूजर ने भी यही दावा किया है. उन्होंने अपने बायो में लिखा है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फॉलोबैक का 'सौभाग्य' प्राप्त है. ये पहले भी फेक न्यूज फैला चुके हैं. 

पड़ताल

इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने से संबंधित नियम भारत सरकार के अधीन आने वाली कई वेबसाइट पर स्पष्ट रूप से लिखे हैं. वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले आयकर विभाग की वेबसाइट पर इलोक्टोरल बॉन्ड को खरीदने की पात्रता लिखी है. इसके अनुसार, भारत का नागरिक या भारत में बनी कंपनी ही इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद सकते हैं. इसके अलावा SBI की वेबसाइट पर दिए गए FAQ में भी यही बात लिखी हुई है.

 

हमने इस बारे में अधिक जानकारी के लिए सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट निज़ाम पाशा से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि किसी पाकिस्तानी कंपनी के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का दावा बेबुनियाद है. उन्होंने कहा,  

 “इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के नियम को देखें तो इससे साफ है कि भारत के अलावा किसी अन्य देश का नागरिक या कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड को नहीं खरीद सकते हैं.”

#क्या कोई अन्य विदेशी कंपनी अपनी भारतीय सहायक कंपनियों के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल कर सकती है?

भारत में रजिस्टर्ड कंपनियों में विदेशी निवेश (FDI) केंद्र सरकार के बनाए विदेशी मुद्रा प्रबंधन (FEMA) नियमों के तहत होता है. इस कानून के अनुसार, कोई विदेशी कंपनी भारत में बनी अपनी सब्सिडियरी कंपनी (सहायक) के तहत इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकती है. लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों की कंपनियों के लिए ये लगभग नामुमकिन है. इसके बारे में निज़ाम पाशा बताते हैं,  

“भारत में कोई विदेशी कंपनी अपनी सहायक बनाकर उसमें निवेश कर सकती है, लेकिन अगर वो कंपनी पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका की है तो उसके लिए यह काम करना बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसके लिए उसे FEMA नियमों के तहत आरबीआई की और FDI के नियमों के तहत भारत सरकार की परमिशन लेनी पड़ेगी. और ये परमिशन आसानी से मिलती नहीं है. ऐसे में इन तीन देशों की कंपनियों का भारत में निवेश करने की बात बहुत दूर की कौड़ी लगती है. लगभग बेबुनियाद.” 

पड़ताल के दौरान हमें पाकिस्तान की असली Hub Power Limited के हैंडल से 15 मार्च को किया गया एक ट्वीट मिला. जिसमें कंपनी ने कहा है कि उनका इस मामले या भारत की किसी भी कंपनी से कोई संबंध नहीं है.

ऐसे में पाकिस्तान की HUB Power Limited कंपनी द्वारा भारत में इल्कोटोरल बॉन्ड खरीदे जाने के दावे में दम नहीं लगता.

लिस्ट में मौजूद Hub Power Company एक भारतीय कंपनी है

गूगल पर Hub Power Company सर्च करने पर हमें ‘India Mart’ की वेबसाइट पर इस कंपनी का GST नंबर  मिला. इसे GST पोर्टल पर सर्च करने के दौरान पता चला कि Hub Power Company भारत की एक कंपनी है.  इसका रजिस्ट्रेशन 12 नवंबर, 2018 को हुआ था और जीएसटी की वेबसाइट की मानें तो इसी दिन इसका GST भी कैंसिल हो गया. कंपनी रवि मेहरा के नाम से नई दिल्ली के गीता कॉलोनी में रजिस्टर्ड है. यह कंपनी LED लाइट से जुड़े काम करती है.

क्या Hub Power Company ने बॉन्ड खरीदकर भाजपा को दिए? 

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दो डेटा-सेट उपलब्ध हैं. एक सेट में बॉन्ड खरीदने वाले लोगों के नाम हैं तो वहीं दूसरे सेट में बॉन्ड को भुनाने वाले राजनीतिक दलों के नाम दिए गए हैं. 763 पन्नों की दोनों लिस्ट से अभी यह तय नहीं किया जा सकता कि किसने बॉन्ड खरीदा और किसको दिया. अगर बॉन्ड जारी करने वाला भारतीय स्टेट बैंक यूनीक नंबर जारी करता है. तभी बॉन्ड को ट्रैक किया जा सकता है. ऐसे में फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है कि Hub Power Company ने किस पार्टी को चंदा दिया.   

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की किसी कंपनी का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का दावा भ्रामक है. 

पड़ताल की वॉट्सऐप हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. 
ट्विटर और फेसबुक पर फॉलो करने के लिए ट्विटर लिंक और फेसबुक लिंक पर क्लिक करें. 

वीडियो: इलेक्टोरल बॉन्ड लिस्ट में लक्ष्मी मित्तल से सुनील मित्तल तक किन उद्योगपतियों के नाम?