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जब 'छेल्लो शो' की कास्टिंग के चक्कर में मॉब लिंचिंग होने वाली थी!

'छेल्लो शो' के डायरेक्टर को अपना नायक ढूंढने में बहुत मुश्किल झेलनी पड़ी थी.

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पान नलिन ने बताया कि समय बने भाविन की क्या बात उन्हें सबसे अच्छी लगी.

गुजरात का एक छोटा गांव. बाकी दुनिया से काफी कटा हुआ. इतना कि सिनेमा से कोई खास सरोकार या लगाव नहीं. ऐसे में एक दिन एक आदमी इस गांव में पधारता है. शहरी एकदम, बन-ठन के. गांव का ‘नैचुरल इंडिया’ देखने नहीं आया. उसे चाहिए बच्चे. एक या दो नहीं, बल्कि कई सारे. गांव में ये बात पता चली. फिर फैली. इतनी कि सबने मान लिया कि ये बच्चा चोरों के गिरोह का आदमी है. और गांव में बच्चे चुराने आया हैं. ये बात पहुंची और पब्लिक ने मन बना लिया. कि इस शहरी बाबू से फुरसत में मुक्कालात करेंगे. 

शहर से गांव आए बंदे को घेरा गया. तसल्लीपूर्वक उन पर प्रहार किए गए. उनकी कराह की आवाज़ द साउंड निकली. जो पड़ी वहां से गुज़र रहे एक स्कूल के प्रिंसीपल के गांव में. उन्होंने इस पिटाई को अखबार में छपने वाली मॉब लिंचिंग की घटना में नहीं बदलने दिया. गांव वालों को समझाया कि ये सज्जन मुंबई से आए हैं. एक फिल्म बनाने. और उसी में काम करने के लिए बच्चों को ढूंढ रहे हैं. जिस आदमी को लोग बच्चा चोर समझ रहे थे, वो वास्तविकता में एक फिल्म की कास्टिंग के लिए गांव आया था. वो फिल्म जिसके भविष्य में इंडिया की तरफ से ऑस्कर की ऑफिशियल एंट्री बनकर जाना लिखा था. ये फिल्म थी ‘छेल्लो शो’. 

फिल्म 14 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. इस मौके पर फिल्म के डायरेक्टर पान नलिन ने आजतक से बात की. और कास्टिंग से जुड़ा ये किस्सा साझा किया. ‘छेल्लो शो’ का नायक समय नाम का बच्चा है. सिनेमा की दुनिया से राब्ता होने के बाद खुद अपनी फिल्म बनाना चाहता है. फिल्म में समय और उसके दोस्तों के रोल लिए कई सारे बच्चों की ज़रूरत थी. पान ने बताया कि उन्हें ऐसे गांव के बच्चे चाहिए थे जहां सिनेमा का एक्सपोज़र कम हो. सबसे ज़्यादा दिक्कत उन्हें समय की कास्टिंग में हुई. समय के लिए उन्होंने 3000 बच्चों का ऑडिशन लिया. ज़्यादातर ऑडिशन उन्हें बनावटी लगे. बच्चों की समय से पहले समझदारी उनके आड़े आ रही थी. 

फिर उनकी तलाश भाविन पर जाकर पूरी हुई. जिसके लिए वो कहते हैं कि उसने मेरी फिल्म को बचा लिया. नलिन के मुताबिक भाविन पूरी तरह रॉ हैं. साथ ही उनकी बॉडी लैंग्वेज और आंखें नैचुरल लगती हैं. पान नलिन के लिए भाविन के पेरेंट्स को मनाना मुश्किल था. उन्हें डर था कि फिल्मों से उनका बच्चा कुछ गलत न सीख जाए. लेकिन नलिन ने उनसे बात की और आखिरकार मना लिया.                           

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