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सोनिया गांधी के बारे में जानना है तो ये पांच किताबें आपकी आंखें खोल देंगी

इनमें से कुछ किताबों पर जमकर बवाल भी मचा था.

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सोनिया गांधी वैसे तो राजनीति में आना नहीं चाहती थीं, लेकिन आईं. उनके बारे में ज्यादा जानकारी प्रणब मुखर्जी और जेवियर मोरो की किताब में मिलेगी. (फोटो- PTI/एमेज़ॉन का स्क्रीनशॉट)

सोनिया गांधी. कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं. 9 दिसंबर को उनका बर्थडे होता है. अब वह 74 बरस की हो गई हैं. जन्म हुआ था भारत की आज़ादी से ठीक एक साल पहले, यानी 1946 में. सोनिया के बर्थडे के मौके पर उन्हें लगातार शुभकामनाएं मिल रही हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर सोनिया को बर्थडे विश किया.


सोनिया. आज भारत के नामी नेताओं में से एक मानी जाती हैं. हां, कह सकते हैं कि उनकी पार्टी अभी मुरझाई-मुरझाई सी दिखती है, वो अलग बात है. लेकिन फैक्ट ये भी है कि भारत की मज़बूत महिला नेताओं में सोनिया का नाम हमेशा ही शुमार रहता है. सोनिया को हम में से ज्यादातर लोग उतना ही जानते हैं, जितना उनके बारे में खबरों में आता है. लेकिन असल में वो कैसी हैं, राजनीति से नफरत होने के बाद भी कैसे इसमें आईं, कैसे राजीव गांधी से मिलीं, राजनीतिक सफर में क्या-क्या देखा, किन दिक्कतों का सामना किया, इन सबके बारे में कुछ विद्वानों ने कुछ किताबें लिखी हैं. जिन्हें आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए. ऐसी तो कई किताबें हैं, लेकिन कुछेक के बारे में हम बता देते हैं-


# द रेड साड़ी

किसने लिखी- जेवियर मोरो, स्पैनिश राइटर हैं.

पब्लिश कब हुई- साल 2008 में पहली बार पब्लिश हुई थी, लेकिन भारत में नहीं, स्पेन में. 'El sari rojo' टाइटल के साथ. फिर इटेलियन, फ्रेंच, डच और अंग्रेज़ी में भी इसे ट्रांसलेट किया गया.


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सोनिया गांधी के ऊपर 'द रेड साड़ी' किताब स्पैनिश राइज़ जेवियर मोरो ने लिखी. (फोटो- एमेज़ॉन/वीडियो स्क्रीनशॉट)

क्या है किताब में- सोनिया गांधी का बचपन इटली में कैसा बीता. वो कैसे 19 बरस की उम्र में कैंब्रिज में राजीव गांधी से मिलीं. कैसे वो लड़की, जो एक सादा जीवन जीना चाहती थी, उसने राजनीति में एंट्री ली. इन सबके बारे में लिखा है. किताब का टाइटल है 'द रेड साड़ी'. ये उस साड़ी के संदर्भ में है, जिसे सोनिया ने अपनी शादी में पहना था. जिसे नेहरू ने तब बुना था, जब वो जेल में थे. इस किताब को 'ए ड्रामेटाइज़्ड बायोग्राफी ऑफ सोनिया गांधी' कहा जाता है.

कांग्रेस ने किया था इस किताब का विरोध

'द रेड साड़ी' जब स्पेन और इटली के बुक स्टोर में गई, तो दनादन बिकने भी लगी. लेकिन भारत में कांग्रेस को इस बुक से दिक्कत हुई. 'द इंडियन एक्सप्रेस' की जून 2010 की एक रिपोर्ट है, जिसमें जेवियर से फोन पर बातचीत का जिक्र है. जेवियर ने बताया था कि वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनके स्पैनिश और इटेलियन पब्लिशर्स को मेल किया था, और कहा था कि स्टोर से इस किताब को हटा दिया जाए. कांग्रेस ने जेवियर पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने फैक्ट्स के साथ छेड़छाड़ की है और गलत जानकारी दी है. जेवियर मोरो ने तब कहा था कि उनकी किताब बायोग्राफी नहीं है, एक नॉवेल है. लेकिन नॉवेल होने के बाद भी सच्चाई से छेड़छाड़ नहीं की गई.

PTI की जून 2010 की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंघवी ने सोनिया गांधी की तरफ से जेवियर को लीगल नोटिस भी भेजा था. कहा था कि राइटर ने पैसे कमाने के लिए निजता का हनन किया है. खैर, इस मुद्दे पर जमकर बवाल मचा था. लेकिन राइटर भी अपनी बात पर अड़े रहे. आखिरकार साल 2015 में ये किताब भारत में रिलीज़ कर दी गई.

कहां मिलेगी किताब- किसी भी स्टोर में मिल जाएगी. ऑनलाइन भी आप ऑर्डर कर सकते हैं. एमेज़ॉन में इसकी कीमत 295 रुपए है.


# द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

किसने लिखी- संजय बारू. कई अहम पदों पर सरकार के साथ काम कर चुके हैं. 2004 से 2008 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइज़र और चीफ स्पोक्सपर्सन रहे थे.

पब्लिश कब हुई- अप्रैल 2014 में 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पब्लिश हुई थी. लोकसभा चुनाव के माहौल के बीच.


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'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' किताब पर फिल्म भी बन चुकी है. किताब संजय बारू ने लिखी है. (फोटो- एमेज़ॉन)

किताब में जो था, उससे जमकर विवाद हुआ था

संजय बारू ने अपनी किताब में मनमोहन सिंह के पीएम बनने, और उनके कार्यकाल में उनके पीएम के तौर पर अधिकारों के बारे में लिखा था. इस किताब में उन्होंने ज़िक्र किया था कि किस तरह मनमोहन सिंह के काम में कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी का दखल होता था. लिखा था कि मनमोहन सिंह के हाथों में असल में देश की सत्ता नहीं थी.

हालांकि इस किताब में संजय ने मनमोहन सिंह की पॉजिटिव चीजों के बारे में भी बात की थी. संजय की इस किताब के आने के बाद जमकर विवाद हुआ था. विवाद इतना बढ़ा था कि पीएमओ ने ऑफिशियली इसकी निंदा करते हुए इसे फिक्शन बताया था. कांग्रेस ने इस किताब को 'पीठ में छुरा घोंपना' भी कहा था.

विवादों के बीच संजय बारू ने एक इंटरव्यू में कहा था-

मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और कांग्रेस के बारे में मैं जितना जानता हूं, उसका 50 प्रतिशत ही बताया है मैंने इस किताब में.

इस किताब का पूरा नाम है- 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह'. एक्सीडेंटल नाम इसलिए डाला गया था, क्योंकि पहले सोनिया गांधी पीएम बनने वाली थीं, लेकिन विरोध के चलते आखिर में मनमोहन सिंह को पीएम बनाया गया था. जो कि अनएक्सपेक्टेड था.

कहां मिलेगी ये किताब- लगभग-लगभग सभी बुक स्टोर में मिल जाएगी. ऑनलाइन भी आप इसे मंगा सकते हैं. 400-500 रुपए में ये किताब आ जाएगी. इस पर इसी नाम से फिल्म भी बन चुकी है, इसे भी आप देख सकते हैं.


# वन लाइफ इज़ नॉट इनफ

किसने लिखी- के. नटवर सिंह ने. IFS (इंडियन फॉरेन सर्विस) अधिकारी रह चुके हैं. लेकिन इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 1984 में चुनाव लड़ा. चुनाव जीत भी गए. उसके बाद राजनीति में एक्टिव रहे. मई 2004 से दिसंबर 2005 के बीच विदेश मामलों के मंत्री रहे. हालांकि अभी कांग्रेस में नहीं हैं.

कब पब्लिश हुई- जुलाई 2014 में.


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'वन लाइफ इज़ नॉट इनफ' के राइटर पूर्व मंत्री नटवर सिंह हैं. (फोटो- एमेज़ॉन)

क्या कहानी है और क्यों हुआ विवाद?

'वन लाइफ इज़ नॉट इनफ' किताब नटवर सिंह की ऑटोबायोग्राफी है. ये किताब संजय बारू की किताब के रिलीज़ होने के कुछ ही महीनों बाद रिलीज़ हुई. और इसने भी जमकर विवाद खड़ा किया. दरअसल, इस किताब में नटवर ने अपनी लाइफ के हर किस्से के बारे में बताया, कांग्रेस पार्टी में रहने के दौरान क्या-क्या हुआ, वो भी लिखा था.

विवाद इसलिए हुआ, क्योंकि नटवर सिंह ने इसमें सोनिया द्वारा पीएम का पद न लेने के मुद्दे पर लिखा था. 'लाइव मिंट' और 'BBC' समेत अन्य मीडिया हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, नटवर सिंह ने लिखा था कि 2004 में पार्टी को जीत दिलाने के बाद भी सोनिया गांधी ने पीएम का पद न लेने का फैसला किया था, ऐसा उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के कहने पर किया था. क्योंकि उन्हें डर था कि सोनिया को उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी की तरह मार दिया जाएगा. इसके अलावा नटवर सिंह ने अपनी किताब में सोनिया को सत्तावादी, हठी, सीक्रेसिव और संदिग्ध महिला की तौर पर डिस्क्राइब किया था. इसका कांग्रेस और सोनिया गांधी ने विरोध किया था. 'इकोनमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया ने कहा था कि सच्चाई सामने लाने के लिए वो खुद की एक किताब लिखेंगी.

ये किताब भी बुक स्टोर या ऑनलाइन स्टोर में आपको मिल जाएगी. कीमत 300 रुपए के आस-पास है.


# 'द कोएलिशन ईयर्स' और 'द टर्बुलेंट ईयर्स'

किसने लिखी हैं- प्रणब मुखर्जी. पूर्व राष्ट्रपति थे. UPA के कार्यकाल में वित्त मंत्री भी रहे. कांग्रेस के बड़े नेता थे. करीब चार दशक तक राजनीति में एक्टिव रहे. कई अहम ज़िम्मेदारियां निभाईं.

कब पब्लिश हुई- 'द टर्बुलेंट ईयर्स: 1980-1996' पब्लिश हुई फरवरी 2016 में. 'द कोएलिशन ईयर्स: 1996-2012' पब्लिश हुई अक्टूबर 2017 में.


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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी बायोग्राफी में अपने चार दशक के राजनीतिक सफर को लिखा है, इसमें सोनिया का भी ज़िक्र है. (फोटो- एमेज़ॉन)

क्या लिखा है किताबों में?

ये दोनों ही किताबें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बायोग्राफी हैं. 'द टर्बुलेंट ईयर्स: 1980-1996' में उन्होंने 1980 से लेकर 1996 के बीच मची राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के बारे में लिखा है. शुरुआत की 1980 में अचानक हुई संजय गांधी की मौत की घटना से. फिर राजीव गांधी के प्रधानमंत्री वाले चैप्टर में आए. उसके बाद उनके चुनाव हारने से लेकर 1991 में उनकी हत्या की घटना का ज़िक्र किया. राजीव गांधी के जाने के बाद कांग्रेस का नेतृत्व किसने और कैसे किया, ये भी बताया. इसी दौरान सोनिया गांधी भी राजनीति में दिखाई देने लगी थीं. दरअसल, राजीव जब पीएम थे, तब सोनिया उनके साथ कई देशों के राजनीतिक दौरों पर जाती थीं. उनकी मौत के बाद सोनिया को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात हुई थी, लेकिन उन्होंने ये पद नहीं लिया था. तब कांग्रेस की हालत थोड़ी डांवाडोल रही. इन्हीं हालातों का ज़िक्र प्रणब ने अपनी इस बायोग्राफी में किया है.

इसके बाद प्रणब ने  1996 से लेकर 2012 की राजनीति के बारे में अपनी किताब 'द कोएलिशन ईयर्स' में लिखा. 1998 में सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, उसके बाद से वो राजनीति में पूरी तरह एक्टिव रहीं. अपनी पार्टी को मज़बूती दी. पीएम बनने के कगार पर भी पहुंचीं. ये सबकुछ हुआ 1996 से 2012 के बीच. इस दौरान प्रणब मुखर्जी भी पार्टी और सरकार में अहम पदों पर रहे. उन्होंने सोनिया के साथ काम किया. अपना सारा एक्सपीरियंस उन्होंने अपनी इस किताब में लिखा है. 'द हिंदू' में अक्टूबर 2017 में किताब का रिव्यू छपा था. ये रिव्यू स्मिता गुप्ता ने दिया था. जिसके मुताबिक, इस किताब में प्रणब ने इकॉनमिक्स के मुद्दों पर मनमोहन सिंह से अपने मतभेद और राजनीति के मुद्दे पर सोनिया गांधी से अपने मतभेद के बारे में खुलकर लिखा था. ज़ाहिर तौर पर, अगर ये सबकुछ इस किताब में है, तो आपको ये जानने को मिलेगा कि सोनिया राजनीति को लेकर क्या सोचती हैं.

ये दोनों की किताबें आपको किसी भी बुक स्टोर और ऑनलाइन स्टोर पर मिल जाएंगी. इनकी कीमत 400 के करीब है.


# 24, अकबर रोड

किसने लिखी- राशिद किदवई. जर्नलिस्ट और राइटर हैं. पॉलिटिकल एनालिस्ट भी हैं.

कब पब्लिश हुई- 2011 में. लेकिन 2013 में इसे रिवाइज़ करके अपडेट किया गया और राहुल गांधी का चैप्टर इसमें जोड़ा गया.


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राशिद किदवई ने अपनी किताब '24 अकबर रोड' में कांग्रेस लीडरशिप के बारे में काफी कुछ लिखा है. (फोटो- एमेज़ॉन)

क्या है किताब में?

पूरा नाम है- '24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज़ ऑफ द कांग्रेस'. इसका मतलब ये हुआ कि कांग्रेस पार्टी के पतन और उदय के पीछे जिन लोगों का हाथ है, उनकी कहानी. और इसे '24 अकबर रोड' इसलिए नाम दिया गया है, क्योंकि यहीं कांग्रेस पार्टी के हेडक्वार्टर का आधिकारिक पता है दिल्ली में.

राइटर ने अपनी इस किताब में कांग्रेस के अहम लोगों के रोल के बारे में जानकारी दी है. इसमें इमरजेंसी के बाद से कांग्रेस के इतिहास को कम्पाइल किया गया है. इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी से लेकर सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी का पार्टी में किस तरह का रोल रहा, क्या योगदान रहा. उसे बताया है. यानी अगर कांग्रेस के आधिकारिक कामकाज में सोनिया के रोल के बारे में आपको जानना है, तो इस किताब को पढ़ा जा सकता है.

कहां मिलेगी- बुक स्टोर में. ऑनलाइन भी मिल जाएगी. 350 के करीब रुपए देने होंगे. आपको इसका किंडल एडिशन भी मिल सकता है.