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द बैड्स ऑफ बॉलीवुड - सीरीज़ रिव्यू

कैसी है आर्यन खान की डेब्यू सीरीज़ 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड', जानने के लिए रिव्यू पढ़िए.

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आमिर, सलमान, शाहरुख से लेकर रणबीर, रणवीर ने इस सीरीज़ में कैमियो किया था.

The Bads of Bollywood 
Director & Creator: Aryan Khan 
Cast: Lakshya, Raghav Juyal, Bobby Deol, Sahher Bambba 
Rating: 3 Stars

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Aryan Khan का डेब्यू शो The Bads of Bollywood नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो चुका है. आर्यन इस शो के राइटर, डायरेक्टर और क्रिएटर हैं. शो आने से पहले इसकी कहानी को लेकर कई थ्योरीज़ चल रही थी, कि ये एक लड़के की कहानी है जो दिल्ली से मुंबई आया और बॉलीवुड का बादशाह बन गया. इसे शाहरुख खान की जर्नी से प्रेरित बताया गया. ये तो हो गई शो से एक्स्पेक्टेशन, और आर्यन इसी एक्स्पेक्टेशन के साथ खेलते हैं. भले ही सोशल मीडिया आ गया, पैपराज़ी कल्चर ने स्टार्स की दुनिया में एक खिड़की खोल दी (वो बात अलग है कि उस खिड़की की कुंडी उन लोगों के हाथ में ही है), फिर भी फिल्म इंडस्ट्री को लेकर एक रहस्यवाद, एक चार्म आज भी लोगों में मौजूद है. आर्यन और उनकी टीम ने उसी चार्म को कैद करना चाहा है. उन्होंने इस शो के ज़रिए हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को नहीं बल्कि बॉलीवुड को एक लेटर लिखने की कोशिश की है.

लेकिन वो आपको सिर्फ बॉलीवुड का जादू ही नहीं बेचना चाहते. पहले ही सीन में साफ कर दिया जाता है कि ये कितनी रुथलेस जगह है. बड़ा सेट लगा है. एक एक्शन सीन शूट होना है. स्टंट डबल ऊंची हाइट से कूदता है. उसका पांव फिसलता है और ज़मीन पर धम से आकर गिरता है. डायरेक्टर माइक्रफोन पर ‘कट, कट’ चिल्लाता है. स्टंट डबल का एक पांव टूट चुका है. सेट पर सभी लोग उसे घेर लेते हैं. सभी के चेहरे पर समान चिंता का भाव है. वो चिंता ये नहीं कि उस आदमी की सेहत का क्या होगा, बल्कि चिंता ये है कि अब आगे का शूट कैसे होगा. इसे स्क्रीन पर देखते हुए आप सोचते हैं कि यार कम से कम झूठी हमदर्दी ही दिखा दो. क्या तुम्हें उस इंसान की परवाह नहीं. लेकिन तब डर लगता है कि स्क्रीन पर दिख रहे किरदारों में से कोई पलटकर कह देगा कि प्रोड्यूसर का नुकसान कौन भरेगा. अगर शूटिंग बंद होगी तो इतने लोगों के रोजगार का क्या होगा. उनके घर कैसे चलेंगे. इस नैतिक मतभेद का आपके पास कोई जवाब नहीं. आप समझ जाते हैं कि ये कैसी दुनिया है. स्क्रीन पर प्ले दबा कर आगे की सीरीज़ पर बढ़ते हैं.

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bads of bollywood review
लक्ष्य लालवानी ने आसमान सिंह नाम के हीरो का रोल किया है.  

स्टंट डबल के चोटिल होने के बाद फिल्म का हीरो उसकी जगह लेता है. इस स्टंट को वो बिल्कुल फिल्मी ढंग से, हीरो की तरह परफॉर्म करता है, और हम इस सीरीज़ के हीरो आसमान सिंह से मिलते हैं. उसी के ज़रिए हम इस दुनिया में उतरते हैं. आसमान, फ्रेडी सोडावाला और करण जौहर जैसे नामी और खतरनाक प्रोड्यूसर्स के साथ कैसे काम करता है, इंडस्ट्री के सबसे बड़े सुपरस्टार अजय तलवार की दुश्मनी क्यों मोल ले लेता है, और उसका क्या परिणाम क्या होता है, बेसिकली एक बाहर का लड़का हीरो कैसे बनता है, यही इस सीरीज़ की कहानी है.

आर्यन और उनकी टीम आपको ग्लैमर और स्टार्स के ज़रिए अपनी सीरीज़ में खींचने की कोशिश करती है. शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान से लेकर रणवीर सिंह और रणबीर कपूर जैसे एक्टर्स के कैमियो हैं. आसमान की तरह आप भी चौंकते हैं. इतना चौंकते हैं कि एक पॉइंट के बाद चौंकना बंद कर देते हैं. एक रूटीन सा बन जाता है कि नया एपिसोड शुरू हो रहा है, अब कौन-सा एक्टर नज़र आने वाला है. लेकिन ये सभी कैमियो ज़ाया नहीं हुए. जैसे एक सीन में आमिर और एसएस राजामौली आपस में गंभीर बातचीत कर रहे होते हैं. इनको दूर से देख रहा आसमान सोचता है कि सीरियस बातें चल रही होंगी. क्राफ्ट पर चर्चा हो रही होगी. ऑडियंस के नाते ये सवाल आपके दिमाग में भी आते हैं. मगर कैमरा पास जाता है, और ये दोनों दिग्गज वडा पाव और इडली सांभर पर बहस कर रहे होते हैं. सिनेमा इज़ अ सीरियस बिज़नेस वाले मिथक को चुटकी में तोड़ दिया.

ये सीरीज़ जिस दुनिया में घट रही है, उसे कभी भी सीरियसली लेने की भूल नहीं करती. साथ ही फिल्म इंडस्ट्री और उसके लोगों को लेकर एक किस्म की जो राय बनी है, उसे भी भुनाया गया है. जैसे नेपोटिज़्म वाली बहस के बाद करण जौहर को मीडिया में किसी विलेन की तरह दिखाया गया. सीरीज में वो आसमान को धमकाते हैं कि मूवी माफिया से पंगा लेने की कोशिश मत करना. दिखाया कि सुपरस्टार अजय तलवार का बेटा हिन्दी नहीं बोल सकता, और बस पिता के पैसों पर ऐश कर रहा है. या फिर ये कि अमीर लोग क्रिन्ज किस्म के जोक मारते हैं, और उन पर जोर-जोर से खुद ही हंसते हैं. हंसते से बात निकलती है ह्यूमर की. इस सीरीज़ का ह्यूमर बहुत वैकी और ब्लैक किस्म का है. फ्रेडी सोडावाला एक मैसाज पार्लर में है. वहां उसे किडनैप करने कुछ लोग पहुंचते हैं. जब फ्रेडी को दिखता है कि उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है, तो वो अपने शरीर पर तेल रगड़कर उनके हाथों से निकलने की कोशिश करता है. वो भले ही कामयाब नहीं हो पाता, लेकिन उसे ऐसा करते हुए देखकर आपको हंसी ज़रूर आती है. कि एक इतनी बड़ी उम्र का आदमी ऐसी सीरियस सिचुऐशन में ये कर रहा है.

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bobby deol
बॉबी देओल एकदम टॉप फॉर्म में हैं. 

सीरीज़ के ह्यूमर के साथ मेकर्स ने प्रयोग किया है. वो सेफ नहीं खेले. ऐसा ही और भी पहलुओं के लिए कहा जा सकता है, कि अपने डेब्यू में आर्यन ने सेफ खेलने की कोशिश नहीं की. सबसे बड़ा रिस्क उन्होंने क्लाइमैक्स के साथ लिया. ये पूरा शो बहुत फिल्मी है. एक हीरो है, हीरोइन है जिसे बचाना है, हीरोइन का बाप इस लव स्टोरी का विलेन है, एक हीरो का दोस्त है जो हर मुश्किल वक्त में उसके साथ है. बस इस शो का एंड फिल्मी नहीं है. वो एंड आपको हैरान करता है. पहली नज़र में लगता है कि ये सिर्फ आपको चौंकाने के मकसद से किया गया, लेकिन याद करने पर ध्यान आता है कि इसके निशान पूरी सीरीज़ में छोड़े गए थे.

‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ ओवरऑल एक एंटरटेनिंग सीरीज़ है. स्टार्स से लेकर समीर वानखेडे जैसा दिखने वाला एक NCG ऑफिसर है जो बॉलीवुड वालों को ‘ड्रगिस्ट’ समझता है, कुलमिलाकर सब कुछ है. बस इसके साथ एक मेजर मसला है, कि इसमें इमोशन वाली गहराई नहीं है. आप इस दुनिया के किरदारों के लिए कुछ ज़्यादा महसूस नहीं करते. कुछ मौकों पर इमोशन पैदा करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्हें बहुत जल्दबाज़ी में निकाल दिया गया. वहां ठहराव की ज़रूरत थी जो सीरीज़ उसे नहीं बख्शती. बाकी इस सीरीज़ को एंटरटेनिंग बनाने में इसके एक्टर्स का बहुत बड़ा हाथ है. आसमान सिंह बने लक्ष्य अपनी बातों से, हरकतों से, हर तरह से हीरो की आत्मा में ही थे. हीरोइन करिश्मा बनीं सहर बाम्बा सिर्फ दुखियारी नहीं थी जिसे बचाया जाना हो, उनके पास कहने को बहुत कुछ था. अजय तलवार बने बॉबी देओल अपनी टॉप फॉर्म में है. वो आदमी विलेन होते हुए भी जल्लाद नहीं लगता. उसकी शख्सियत के और भी पहलू हैं जिन्हें बॉबी बिना कहे बाहर लाते हैं. हीरो का दोस्त परवेज़ बने थे राघव जुयाल. इस सीरीज़ के अधिकांश फनी सीन्स में आप उनके किरदार को पाएंगे. राघव जब स्क्रीन पर हैं, तो वो आपकी नज़र और समय के मोहताज नहीं दिखते. वो खुद को इस तरह पेश करते हैं कि आप उन पर ही फोकस रखेंगे. एक सीन है जहां परवेज़, इमरान हाशमी को देखकर गाना गाने लगता है. राघव का काम उस सीन को फन बनाता है. 

आर्यन के नाम से शुरू हुए इस रिव्यू को उनके नाम पर ही खत्म करना सही होगा. उनके पहले प्रोजेक्ट में आपको कुछ खामियां ज़रूर दिखती हैं, लेकिन वो अपने विज़न के साथ समझौता नहीं करते. ऐसा लगता है कि वो जो बनाने निकले थे, वही बनाकर बाहर निकले हैं. इस शो के ह्यूमर, उसकी दुनिया से आपको आपत्ति हो सकती है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी सेफ ढर्रे पर चलने की बजाय उन्होंने अपना रास्ता बनाना चुना. रिस्क लिया और उसका एक एंटरटेनिंग शो है. 

वीडियो: नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई आर्यन खान की 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड', सोशल मीडिया पर मिले मिले-जुले रिव्यूज़

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