Netflix पर एक वेब सीरीज़ आई है Scoop. इस सीरीज़ की कहानी जिग्ना वोरा की किताब Behind The Bars In Byculla: My Days in Prison पर बेस्ड है. जून 2011 में क्राइम जर्नलिस्ट ज्योतिर्मोय डे की हत्या कर दी गई. इस केस में जिग्ना वोरा को जेल भेजा गया. जिग्ना तब एशियन एज नाम के अखबार की डिप्टी ब्यूरो चीफ थीं. जिग्ना पर आरोप था कि उनकी ज्योतिर्मोय डे के साथ आपसी रंज़िश थी. इसकी वजह से उन्होंने छोटा राजन गैंग को कुछ जानकारियां मुहैया करवाईं. उसी के आधार पर ज्योतिर्मोय की पहचान कर उनकी हत्या कर दी गई. इस सीरीज़ में ज़ाहिर तौर पर किरदारों और अखबारों के नाम बदल दिए गए हैं.
वेब सीरीज़ रिव्यू- स्कूप
'स्कूप' उस खाई की बात करती है, जो ईमानदारी और अखबार बेचने वाली पत्रकारिता के बीच है. असलियत और आप तक पहुंचने वाली कहानी के बीच है.

'स्कूप' की कहानी इस घटना पर आधारित है. मगर इस कहानी का केंद्र भारतीय मीडिया और उसकी सनसनीखेज़ रिपोर्टिंग है. खैर, जागृति पाठक नाम की एक क्राइम रिपोर्टर है. सात साल की नौकरी में वो तीन-चार प्रमोशन पाकर ईस्टर्न एज नाम के अखबार की डिप्टी ब्यूरो चीफ बन जाती है. इसी बीच जयदेब सेन नाम के सीनियर क्राइम रिपोर्टर की हत्या हो जाती है. इस केस में शक की सुई जागृति पर आकर अटक जाती है. क्योंकि जागृति का कनेक्शन आला पुलिस अफसरों से लेकर क्रिमिनल्स तक है. इसकी वजह से उसे 9 महीने जेल में बिताने पड़ते हैं. मगर जब ये केस परत दर परत खुलता है, तो खेल कुछ और निकलता है.
'स्कूप' इस कहानी का इस्तेमाल देश में मीडिया के काम करने के तरीके और सनसनीखेज़ रिपोर्टिंग पर प्रकाश डालने के लिए करती है. वो मीडिया को ग़लत या सही होने का सर्टिफिकेट नहीं देती. बस उसके काम करने के तरीके को बहुत करीब और बारीकी से दिखाने की कोशिश करती है. और ये कहा जा सकता है कि इसमें वो काफी हद तक सफल हो जाती है. मीडिया, पुलिस और अंडरवर्ल्ड के नेक्सस पर अब तक इंडिया में अब तक जो कुछ भी बना है, उसमें 'स्कूप' सबसे यकीनी लगती है. क्योंकि इस सीरीज़ को देखते हुए आपको कहीं भी ये आभास नहीं होता कि आप कोई पिक्चर या सीरीज़ देख रहे हैं. क्योंकि ये बहुत डिटेल्ड काम है. इस वजह से ये सीरीज़ कहीं भी अपनी ऑथेंटिसिटी नहीं खोती.
ये सीरीज़ बताती है कि एक ऐसा मामला है, जिसकी देशभर में चर्चा है. उस असल घटना और आम जनता तक पहुंचने वाली कहानी में कितना फर्क होता है. मीडिया के काम में बिज़नेस का दखल. पुरुषवादी समाज में एक महिला की सफलता को उसके दिमाग की बजाय उसके शरीर से जोड़कर देखा जाना. ईमान और इनाम के बीच की लड़ाई. इन सभी मसलों पर ये सीरीज़ बात करती है. और आराम से करती है. हड़बड़ाती नहीं है. ताकि आपको हर चीज़ को देखकर समझने और उसे प्रोसेस करने का समय मिले. वो आपके सामने तथ्य पेश करती है, नतीजे नहीं बताती.

‘स्कूप’ तमाम पहलूओं पर बात करती है. मगर निजी तौर पर मेरे लिए सबसे खास चीज़ पुष्कर के किरदार का कैरेक्टर आर्क है. ये रोल तन्मय धनानिया ने किया है. पुष्कर, जागृति का जूनियर है. मगर उसे लगता है कि जागृति को एडिटर-इन-चीफ इमरान के करीब होने का फायदा मिल रहा है. बेसिकली वो जागृति से जलता है. ऐसे में उसके साथ एक बड़ी दिलचस्प चीज़ होती है. उसकी पत्नी अनीता का प्रमोशन होता है. मगर ऑफिस वाले कहते हैं कि अनीता का प्रमोशन इसलिए हुआ क्योंकि वो उसके बॉस के साथ अंतरंग संबंध हैं. पुष्कर की पत्नी अनीता और जागृति, दोनों को कमोबेश एक ही चीज़ का सामना करना पड़ रहा है. उनके महिला होने को उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि हैरत की बात ये कि वो इस मामले को कभी खुद से जोड़कर नहीं देखता.

'स्कूप' में जागृति का किरदार करिश्मा तन्ना ने निभाया है. करिश्मा को मैं लंबे समय से देख रहा हूं. कई बार आपको लगता है न कि यार इसमें पोटेंशियल है. मगर सही मौके नहीं मिल रहे. 'स्कूप' उनके लिए वही सही मौका है. जहां उनके पास सिर्फ परफॉर्म करने का नहीं, उस किरदार को जीने का समय मिला. करिश्मा का गुजराती होना, उनके किरदार को समृद्ध बनाने में मदद करता है. ये ऐसी चीज़ है, जो उनके कैरेक्टर या सीरीज़ के कथानक में कुछ खास जोड़ता नहीं है. मगर वो चीज़ नहीं होती, तो कुछ कमी सी लगती. जागृति के मेंटॉर और ईस्टर्न एज अखबार के संपादक का रोल किया है मोहम्मद ज़ीशान अयूब ने. ये शायद पहला मौका है, जब ज़ीशान ने अपनी उम्र से बड़ा किरदार निभा रहे हैं. वो एक किस्म की संवेदनशीलता लेकर आते हैं. जो कि इस सीरीज़ के पक्ष में काम करती है. प्रोसेनजीत चैटर्जी ने जयदेब सेन नाम के क्राइम रिपोर्टर का रोल किया है, जिसकी गोली मारकर हत्या कर दी जाती है. ये कैमियो जितना बड़ा किरदार है. मगर वो पूरी सीरीज़ उसके आसपास घूमती है. दानिश सैत ने टीवी न्यूज़ एंकर का रोल किया है. एक कॉमेडियन को टीवी एंकर के रोल में कास्ट करने का मतलब काफी साफ है. बड़े लंबे समय के बाद हरमन बावेजा इस सीरीज़ में दिखे हैं. उन्होंने जेसीपी श्रॉफ का रोल किया है.

'स्कूप' को 'अलीगढ़', 'शाहिद' और 'स्कैम 1992' फेम हंसल मेहता ने डायरेक्ट किया है. 'स्कूप' उस खाई की बात करती है, जो ईमानदारी और अखबार बेचने वाली पत्रकारिता के बीच फर्क है. असलियत और आप तक पहुंचने वाली कहानी के बीच है. जाते-जाते हम आपको इस सीरीज़ के एक डायलॉग के साथ छोड़े जाते हैं. एक मौके पर इमरान अपनी टीम से बात करते हुए जोनाथन फ्रेज़र को कोट करते हुए कहता है-
''अगर एक आदमी कहे कि बाहर बारिश हो रही है और दूसरा कहे कि बाहर धूप है. ऐसे में मीडिया का काम दोनों का पक्ष बताना नहीं, बल्कि खुद खिड़की के बाहर देखकर सच बताना है.''
'स्कूप' 6 एपिसोड लंबी सीरीज़ है. इसे नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया जा सकता है.
वीडियो: वेब सीरीज़ रिव्यू- जुबली