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फिल्म रिव्यू- RRR

ये फिल्म देखकर समझ आता है कि जब किसी फिल्ममेकर का विज़न क्लीयर हो और उसे अपना क्राफ्टबोध हो, तो एक साधारण कहानी पर भी अद्भुत फिल्म बनाई जा सकती है.

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फिल्म RRR के एक सीन में NTR जूनियर और राम चरण.
एस.एस. राजामौली की RRR लंबे इंतज़ार के बाद फाइनली थिएटर्स में रिलीज़ हो चुकी है. RRR दो रियल लाइफ स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम की फिक्शनल कहानी है. सीताराम राजू और कोमाराम भीम समकालीन होते हुए भी एक-दूसरे से कभी नहीं मिले. अगर वो एक-दूसरे से मिल पाते, तो क्या होता? RRR इसी आइडिया को सिनेमैटिक ढंग से एक्सप्लोर करती है. आपको ये फिल्म देखकर समझ आता है कि जब किसी फिल्ममेकर का विज़न क्लीयर हो और उसे अपना क्राफ्टबोध हो, तो एक साधारण कहानी पर भी अद्भुत फिल्म बनाई जा सकती है.
RRR की कहानी सन 1920 की दिल्ली में घटती है. ब्रिटिश पुलिस फोर्स में रामा राजू नाम का ऑफिसर है. वो जल्द से जल्द स्पेशल ऑफिसर के ओहदे पर पहुंचना चाहता है. वहां पहुंचकर वो अपने पापा का अधूरा छोड़ा काम पूरा करना चाहता है. दूसरी तरफ है गोंड नेता कोमाराम भीम. वो अख्तर के नाम से दिल्ली में रह रहा है. उसका प्लान है गवर्नर हाउस में घुसने का. ब्रिटिश अफसरों ने उसकी बहन को बंधक रखा था, जो उसी घर में कैद है. ये दोनों अपने नकली नामों से एक-दूसरे से मिलते हैं. कुछ ही समय में तगड़े वाले दोस्त बन जाते हैं. अब उन्हें अपने-अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए रास्ते में आई सभी बाधाओं को हटाना है. और क्या होगा जब राजू और भीम को एक-दूसरे की असलियत पता चलेगी?
रामा राजू के रोल में राम चरण और कोमाराम भीम के किरदार में NTR जूनियर. ये बिना एक-दूसरे की असलियत जाने इन दोनों की दोस्ती की शुरुआत है.
रामा राजू के रोल में राम चरण और कोमाराम भीम के किरदार में NTR जूनियर. ये बिना एक-दूसरे की असलियत जाने इन दोनों की दोस्ती की शुरुआत है.


RRR की मज़ेदार बात ये है कि फैंटसी, मायथोलॉजी और रियलिटी का मिश्रण है. जिन लोगों की कहानी है, वो असल हैं. जिस तरह से ये कहानी घटती है, वो फैंटसी है. फिल्म के पात्रों के नाम हैं, राम, सीता और भीम. रामायण और महाभारत को एक साथ लाना फिल्म में पौराणिकता का पुट ऐड करता है. फैंटसी और मायथोलॉजी की मिलावट तो हमने दुनियाभर की फिल्मों में देखी है. मगर ये फिल्म खुद को रियलिटी से जैसे जोड़ती है, वो इसे खास बनाता है.
आमतौर पर ये होता है कि फिल्मों में एक कहानी होती है, जिसे बल देने के लिए एक्शन और ड्रामा जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है. मगर ये फिल्म उससे उलट काम करती है. इसमें एक्शन सीक्वेंस और ड्रामा की बदौलत कहानी को आगे बढ़ाया जाता है. और ऐसा नहीं है कि फिल्म देखते वक्त आपको ये चीज़ खलती हो. आप उसे एंजॉय करते हैं. क्योंकि इन सीन्स के लिए कहानी के साथ समझौता नहीं किया जाता. हर सीन किसी वजह से शुरू होता है और अगले सीन के लिए जमीन तैयार करता है. फ्लो बना रहता है. पिछले दिनों अजीत कुमार की 'वलिमई' के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही थी. वो फिल्म अपने एक्शन पर इतनी फोकस्ड थी कि उसे कहानी की परवाह ही नहीं थी. वहां कहानी को एक्शन के बीच फिल-अप की तरह इस्तेमाल किया गया था.
मगर ये फिल्म उससे उलट काम करती है. इसमें एक्शन सीक्वेंस और ड्रामा की बदौलत कहानी को आगे बढ़ाया जाता है. और ऐसा नहीं है कि फिल्म देखते वक्त आपको ये चीज़ खलती हो. आप उसे एंजॉय करते हैं
मगर ये फिल्म उससे उलट काम करती है. इसमें एक्शन सीक्वेंस और ड्रामा की बदौलत कहानी को आगे बढ़ाया जाता है. और ऐसा नहीं है कि फिल्म देखते वक्त आपको ये चीज़ खलती हो. आप उसे एंजॉय करते हैं.


RRR फुल ऑन मसाला एंटरटेनर है. ये बनाने वाले को भी पता है और देखने वालों को भी. कोई पर्दादारी नहीं है. ये चीज़ मेकर्स को तमाम पाबंदियों से मुक्त रखती है. वो अपनी फिल्म में कुछ भी दिखा सकते हैं और आप उसमें कमी नहीं निकाल सकते. हां, अगर इतने सब के बाद भी फिल्म में एंटरटेनमेंट कोशंट की कमी महसूस हो, तब आपकी शिकायत सुनी जा सकती है. मगर RRR आपको ऐसा कोई मौका नहीं देती. ये तीन घंटे से कुछ ऊपर की फिल्म है. पहला हाफ तकरीबन पौने दो घंटे लंबा है. मगर वो इतना एंटरटेनिंग और विज़ुअली रिच है कि आपको समय का पता ही नहीं चलता. पिछले कुछ सालों में आई RRR वो रेयर फिल्म है, जिसका फर्स्ट हाफ इतना शानदार बन पड़ा है. फिल्म के दूसरे हाफ में कुछ धीमेपन का अहसास होता है. मगर आखिरी आधे घंटे में फिल्म आपकी वो सारी शिकायतें दूर कर देती है.
रियलिटी को मायथोलॉजी से जोड़ने वाले एक दृश्य में राम चरण. सिनेमैटोग्रफी देख रहे हैं!
रियलिटी को मायथोलॉजी से जोड़ने वाले एक दृश्य में राम चरण. सिनेमैटोग्रफी देख रहे हैं!


फिल्में देखने से ज़्यादा फील करने वाली चीज़ें होती हैं. जब तक आप पब्लिक को कुछ महसूस नहीं करा पाएंगे, उनसे कनेक्ट नहीं कर पाएंगे. इस फिल्म में इसका खास ख्याल रखा गया है. RRR नाम की इस प्लैटर ऑफ अ फिल्म में आपको फैमिली बॉन्ड से लेकर रोमैंस और ब्रोमैंस सबकुछ मिलता है. और सही मात्रा में मिलता है. फिल्म में एक गाना है 'नाचो नाचो'. वो भी स्कीम ऑफ थिंग्स का हिस्सा है. मगर कोरियोग्राफी और परफॉरमेंस के लिहाज़ से वो क्या बवाल गाना है. इसमें दोनों लीड एक्टर्स के बीच की केमिस्ट्री और समन्वय भी देखनी वाली चीज़ है. यहां देखिए वो गाना-

RRR के नायक यूं तो नॉर्मल इंसान हैं. मगर उनका ट्रीटमेंट किसी सुपरहीरो जैसा है. उस लिहाज़ से ये फिल्म राम राजू और कोमाराम की ओरिजिन स्टोरी है. RRR में रामा राजू का रोल किया है राम चरण ने. राम चरण शरीर से ज़्यादा आंखों से परफॉर्म करते हैं. वो दिमाग वाला आदमी है. उस पता है कि वो क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है. कोमाराम भीम का रोल किया है NTR जूनियर ने. भीम के किरदार में एक बाल सुलभ चंचलता है. उस किरदार के नाम को फिज़िकल लेवल तक कैरी किया गया है. उसका दिमाग ज़्यादा नहीं चलता मगर वो शरीर से कुछ भी कर सकता है. मासूम भी बहुत है.
अजय देवगन ने फिल्म में एक स्वतंत्रता सेनानी का रोल किया है, जिसका सपना है कि ब्रिटिश के खिलाफ लड़ने वाले हर भारतीय के हाथ में हथियार होना चाहिए.
अजय देवगन ने फिल्म में एक स्वतंत्रता सेनानी का रोल किया है, जिसका सपना है कि ब्रिटिश के खिलाफ लड़ने वाले हर भारतीय के हाथ में हथियार होना चाहिए.


अजय देवगन फिल्म में एक गेस्ट अपीयरेंस में दिखाई देते हैं. मतलब ये बेस्ट कैमियो तो नहीं है. मगर उनका किरदार नैरेटिव का अहम हिस्सा है. वो अच्छे से लिखा हुआ कैरेक्टर है, जिसे अजय देवगन वजनदार तरीके से निभाते हैं. आलिया भट्ट ने राम की मंगेतर सीता का रोल किया है. मगर आलिया के हिस्से ज़्यादा सीन्स नहीं है. उनके कैरेक्टर के साथ वो अंग्रेज़ी में कहते हैं न- 'टू लिटल टू लेट' वाला खेल हो जाता है. रे स्टीवेंसन ने फिल्म के मेन विलन गवर्नर स्कॉट और एलिसन डूडी ने उनकी पत्नी का रोल किया है. ओलिविया मॉरिस ने जेनी का रोल किया है. वो संभवत: गवर्नर स्कॉट की बिटिया हैं. इस फिल्म में जितनी भी महिलाएं हैं, उनमें से सबसे ज़्यादा स्क्रीनटाइम ओलिविया को मिला है. वो 'नाचो नाचो' गाने और उसकी भूमिका वाले सीन्स में दिखती हैं. उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस बड़ी प्लेज़ेंट है.
आलिया भट्ट ने राम की मंगेतर सीता का रोल किया है. मगर आलिया के हिस्से ज़्यादा सीन्स नहीं है.
आलिया भट्ट ने राम की मंगेतर सीता का रोल किया है. मगर आलिया के हिस्से ज़्यादा सीन्स नहीं है.


RRR बड़े ग्रैंड लेवल पर बनी फिल्म है. आप जब इस कहानी को परदे पर घटते हुए देखते हैं, तो आपको आभास होता है कि आपने किसी इंडियन में फिल्म में ऐसा कुछ नहीं देखा. इनक्लूडिंग 'बाहुबली'. फिल्म के डांस और एक्शन सीक्वेंसेज़ में को-ऑर्डिनेशन वाला आइडिया कमाल का है. हमें इंडियन फिल्मों के VFX वर्क की क्वॉलिटी से हमेशा समस्या रही है. मगर ये फिल्म परदे पर फ्लॉलेस दिखती है. विज़ुअल्स के साथ-साथ ये फिल्म एक्टर्स की परफॉरमेंस, इमोशनल कोर, धुआंधार एक्शन सीक्वेंस और राइटिंग-आइडिएशन के लेवल पर क्रिएटिव स्टोरी के लिए भी ज़रूर देखी जानी चाहिए.