The Lallantop

ट्रेलर रिव्यू झलकीः बाल मजदूरी पर बनी ये फिल्म समय निकालकर देखनी ही चाहिए

शहर लाकर मजदूरी में धकेले गए भाई को ढूंढ़ती बच्ची की कहानी.

Advertisement
post-main-image
झलकी इस दौर में कही जाने वाली वो कहानी है जो कही जानी चाहिए
बढ़ई-बढ़ई खूंटा चीर खूंटा
खूंटा में मोर दाल है
का खाईं का पीं का ले परदेस जाईं ...

27 सितंबर को आ रही फ़िल्म ‘झलकी’ का ट्रेलर इसी गाने से खुलता है. उत्तर भारत के पूर्वांचल में शायद ही कोई ऐसा बच्चा होगा जिसने अपनी दादी-नानी से ये गीत न सुना हो. एक चिड़िया का क़िस्सा है जिसके पास ले दे कर दाल का एक दाना है और वही दाना खो गया है. ‘झलकी’ में ये दाल का दाना है बाबू नाम का एक बच्चा. और चिड़िया है बाबू की बहन झलकी. झलकी का भाई बाबू ग़ायब है. जिसे गांव का एक आदमी रामप्रसाद और बच्चों के साथ शहर लाया था काम कराने. रामप्रसाद का रोल निभा रहे हैं गोविंद नामदेव. रामप्रसाद गांव से बच्चों को शहर लाकर उनसे मज़दूरी कराता है.

Advertisement

झलकी का भाई बाबू जो शहर आकर ग़ायब हो जाता है
झलकी का भाई बाबू जो शहर आकर ग़ायब हो जाता है

# झलकी के बहाने रात का सफ़र

ढेरों सपने दिखाकर शहर लाए गए बच्चे कहां गुम हो जाते हैं? इसी सवाल का पीछा करती दिख रही है फ़िल्म. जब ज़िम्मेदार लोग सिस्टम की दुहाई देने लगते हैं तब झलकी कहती है ‘हिम्मत तो करनी होगी.’

सैकड़ों करोड़ लगाकर सफ़लता का खेल खेलने वाली फ़िल्मों के बीच ‘झलकी’ को भी हिम्मत का दूसरा नाम ही कहना चाहिए. वो कहानियां जो कही जानी चाहिए लेकिन नहीं कही जाती हैं. बाज़ार की आंखों से आंखें मिलाकर खड़ीं हैं ‘झलकी’ जैसी कहानियां. जो उन अनगिनत बच्चों का क़िस्सा कहती हैं जिन्हें लोगों ने सिर्फ़ शहर जाते हुए देखा. जिनकी कोई वापसी नहीं हुई.

Advertisement

झलकी जैसी फ़िल्में हिट और फ्लॉप से अलग रास्ते पर चलती हैं
झलकी जैसी फ़िल्में हिट और फ्लॉप से अलग रास्ते पर चलती हैं

# ऐक्टर ढेर सारे हैं

गोविंद नामदेव के साथ और भी जाने-पहचाने चेहरे देखने को मिलेंगे. संजय सूरी, दिव्या दत्ता और बमन ईरानी और लगान फ़ेम अखिलेन्द्र मिश्रा भी फ़िल्म में अहम कैरेक्टर्स निभा रहे हैं. 2015 में आई फ़िल्म Parched में दिखीं तनिष्ठा चटर्जी सोशल वर्कर का कैरेक्टर प्ले कर रही हैं.


गोविंद नामदेव, बमन ईरानी, तनिष्ठा चटर्जी
गोविंद नामदेव, बमन ईरानी, तनिष्ठा चटर्जी

# किसने बनाई है

ब्रह्मानन्द एस सिंह लेकर आए हैं ये फ़िल्म. जगजीत सिंह की ज़िंदगी पर एक फ़िल्म ‘काग़ज़ की कश्ती’ बना चुके हैं. कई अवॉर्ड विनिंग काम इनके खाते में दर्ज हैं.

तन्वी जैन, कमलेश कुंती सिंह और मशहूर डायरेक्टर प्रकाश झा ने ‘झलकी’ की कहानी लिखी है.

Advertisement

झलकी के बहाने अच्छी कहानियां भी सिनेमा के खाते में दर्ज होती रहनी चाहिए
झलकी के बहाने अच्छी कहानियां भी सिनेमा के खाते में दर्ज होती रहनी चाहिए

ट्रेलर साफ़तौर पर शानदार दिख रहा है. ट्रेलर की कला सीख चुके बॉलीवुड में ट्रेलर एक ट्रेन की तरह धड़धड़ाते हुए आते हैं, और इससे पहले कि आप कुछ सोच समझ सकें पटरियां ख़ाली हो चुकी होती हैं.

लेकिन झलकी का ट्रेलर उस ट्रेन की तरह है जिसमें आप भीतर बैठे होते हैं और ट्रेन आपको ले जाती है उस अनजान सफ़र पर जहां देखने-सोचने-समझने के लिए बहुत कुछ है.

फ़िल्म का ट्रेलर ये रहा-




वीडियो देखें:

एके हंगल: एक दर्जी जो 20 रूपये लेकर मुंबई चला गया और बड़ा एक्टर बना

Advertisement