ज़ोया अख्तर की फिल्में हमेशा बिखराव के बारे में होती हैं. वहां सबकुछ ठीक नहीं होता. इस बार कुछ भी ठीक नहीं है. बदलहाली के भंवर में फंसी इस कहानी को किनारे पर लाती है सपनों की नौका, जो न जाने कब से मुराद खे रहा था. फिल्म में एक सीन है, जब बाप की शादी में बज रही शहनाई मुराद के कानों में चुभने लगती है. वो कानों में इयरफोन ठूंस लेता है. अपनी दुनिया में चला जाता है. तभी उसका बाप आता है और इयरफोन्स खींचकर उसे वापस वहीं ले आता है. ये सीन फिल्म में बहुत कॉन्ट्राडिक्टरी है. एक ओर जहां महिला सशक्तिकरण और कई और लिबरल थॉट्स के बारे में बात होती हैं, वहां मुराद का ये रवैया थोड़ा खटकता है. एक लड़की के साथ रिलेशनशिप में होने के बावजूद वो किसी और के साथ 'फिज़िकल' हो सकता है. लेकिन जब उसका बाप दूसरी शादी करता है, तो वो चिढ़ता है.

फिल्म में मुराद और उसके पापा के रिलेशनशिप पर भी बात करती है. मुराद के पापा का रोल विजय राज ने किया है.
इस फिल्म को देखते हुए लगता है रणवीर सिंह 'सिंबा' और 'पद्मावत' के बाद मेडिटेशन पर बैठे हैं. इस बार वो आवाज़ के बदले आंखों से काम लेते हैं. ऐसा लगता है जैसे कैमरा और रणवीर की आंख के बीच रार ठनी हुई है. दोनों में से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है. ये चीज़ें अच्छी लगती हैं. 'गली बॉय' एक ऐसी फिल्म है, जिसे अच्छा या बुरा नहीं माना जा सकता. ये बस अपने होने में है. लेकिन इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता. फिल्म की डीटेलिंग अच्छी लगती है. जैसे फिल्म के साउंडट्रैक में एक गाना है 'गोरिये'. फिल्म के एक सीन में लड़के इस गाने का मजाक उड़ाते हैं. ट्रेंड के मुताबिक एक कैची सॉन्ग ले लिया और फिल्म में उसकी बुराई करवाकर पाप काट लिया. सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी. गाना आप भी सुनिए:
आलिया भट्ट विराट कोहली जैसी कंसिस्टेंट हैं. उनके कैरेक्टर का नाम सफ़ीना है, जो एक मेडिकल स्टूडेंट का है. वो अपने हिसाब से चीज़ें करना चाहती है. और उसके लिए लड़ भी जाती है. फिल्म में एक किसिंग सीन है, जिसने सेंसर बोर्ड को इतना गरम कर दिया कि उन्होंने फिल्म से ही कटवा दिया. इस किसिंग सीन के दौरान मुराद और सफीना की बातचीत फिल्म के सबसे जबरदस्त सीन्स में से एक है. मुराद ड्राइवर की नौकरी के लिए जा रहा होता है. नाइट शिफ्ट में. उसे रातभर जागना था. सफीना उसे अपना आईपैड दे देती है. मुराद मना करता है क्योंकि वो उसे इतनी महंगी चीज़ें नहीं दे पाएगा. सफीना जवाब देती है कि उसके लिए सबसे कीमती वो है. क्योंकि वो उसे वैसी ही रहने देता है, जैसी वो है. इस समय मुराद 'कैसे मुझे तुम मिल गई' गाना चाहता है, लेकिन उसे ध्यान आ जाता है कि ये फिल्म रैपिंग के ऊपर है.

जिस सीन की ऊपर बात हो रही थी, वो ये नहीं है.
शुरुआती एक घंटे में फिल्म बेस तैयार करती है, जिस पर चढ़कर आखिर में मुराद रैप करता है. लेकिन रैप करने से पहले वो चुप रहता है. ये चुप रहने वाले सीन्स फिल्म की जान हैं. फिल्म के एक सीन में रणवीर का कैरेक्टर पहली बार लोकल रैप बैटल में जाता है. जिससे उसकी फाइट है, वो लड़का उसे अपने रैप से तोड़ देता है. मुराद की बारी आती है, लेकिन वो कुछ नहीं कहता है. चुप रहता है. लेकिन ऐसा लगता है मानो फिल्म कान में कह रही हो- 'क्यों चौंक गए?' यहां 'गली बॉय' आपका विश्वास जीतती है और हाथ पकड़कर आगे ले जाती है, जहां आपको एक से बढ़कर एक लाइनें और रैप सुनने को मिलते हैं. फिल्म का ज्यूकबॉक्स फिल्म से पहले रिलीज़ कर दिए जाने के चलते किसी खास सिचुएशन में बज रहे गाने सुनने पर बासी लगते हैं. लेकिन इन गानों के लिरिक्स इतने हार्ड हैं कि आपको पिघला देते हैं. जैसे मुराद एक लाइन गाता है- नैनों को मैं नम करूं, सुकून मैं देता कान को! ये सुनकर सच में सुकून मिलता है.

फिल्म के एक सीन में रैप करते रणवीर सिंह. रणवीर सिंह ने फिल्म में इस्तेमाल हुए रैप को भी अपनी आवाज़ दी है.
फिल्म कास्टिंग में बहुत अच्छी है. दिक्कत बस ये है कि ये सबको बराबर मौका देने का दिखावा करती है. फिल्म से सिद्धांत चतुर्वेदी अपना फिल्मी डेब्यू कर रहे हैं. इससे पहले एमेजॉन प्राइम की 'इनसाइड एज' में काम कर चुके हैं. वो बहुत इंप्रेस करते हैं. उनके किरदार का नाम है 'एमसी शेर'. शेर का मतलब शेर तो होता ही है, कविता भी होती है. ये नाम सिद्धांत के किरदार पर सौ टका फिट बैठता है. साथ में विजय वर्मा हैं, जिन्होंने मुराद के दोस्त मोइन का रोल किया. ये लड़का गली के उस भैया जैसा, जहां आप पांचवी क्लास में मार पीट के बाद हेल्प मांगने जाते थे. म्यूज़िक स्टूडेंट स्मिता उर्फ स्काई का रोल किया है कल्कि केकलां ने. ऐसा लगता है जैसे कल्कि ने ये फिल्म इसलिए की क्योंकि उनकी ज़ोया के साथ अच्छी बनती है. क्योंकि करने के लिए तो फिल्म में उनके लिए कुछ था ही नहीं. एक छोटा सा किरदार, जिसे फिल्म कहीं गुम कर देती है. फिल्म में डायलॉग्स कम रखे गए हैं लेकिन जो भी हैं मारक हैं. कुछ लाइनें तो इतनी जबरदस्त हैं कि खुद स्टैंडआउट करती हैं. जैसे मुराद और उसके बाप के बीच घटने वाले क्लाइमैक्स सीन में कही बातें. इसे लिखा है विजय मौर्य ने, जिन्होंने मुराद के मामा का किरदार निभाया है.

फिल्म के एक सीन में रणवीर सिंह के साथ सिद्धांत चतुर्वेदी. सिद्धांत ने फिल्म में एमसी शेर नाम के रैपर का रोल किया है.
अगर ओवरऑल फिल्म की बात करें, तो ये मुराद का सुपरस्टारडम नहीं दिखाती. बस उसे रास्ता बताकर अपने रस्ते चली जाती है. लिबरल का चोला ओढ़कर भी ये कंज़र्वेटिव है. लेकिन दिमाग की नसों पर ज़ोर डालती है. 'अपना टाइम आएगा' जैसी ऑप्टिमिस्टिक (आशावादी) लाइन देती है. गली के लड़कों को भरोसा देती है कि लोग उन्हें सुनते हैं और सुनेंगे. ऐसी फिल्में और बनें इसके लिए बढ़ावा देकर जाती है. फिर कुर्सी पर चिपके लोगों को वहीं छोड़कर झटके में खत्म हो जाती है.
वीडियो देखें: रणवीर की अगली फ़िल्म Gully Boy की अंदर की बातें