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मूवी रिव्यू: इंडिया लॉकडाउन

मेकर्स ने 'इंडिया लॉकडाउन' में हम सबकी ज़िन्दगी को छुआ ज़रूर है, पर कहानी कहीं-कहीं पर थोडा और पकड़कर रखने की ज़रुरत थी.

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प्रतीक बब्बर प्रवासी मजदूर के किरदार में

'Isolation' नहीं ‘Co-operation’, नफरत नहीं, सहयोग

COVID- 19 से लड़ाई के दौरान कुछ ऐसा ही मानना था मशहूर इसरायली इतिहासकार युवाल नोआह हर्रारी का. यह बातें उन्होंने 14 अप्रैल, 2020 को इंडिया टुडे के e-conclave में कही थी. इससे लगभग 20 दिन पहले , 24 मार्च, 2020 की सुबह खबर आती है कि प्रधानमंत्री शाम को देश को संबोधित करेंगे. सोशल मीडिया पर buzz क्रिएट हुआ, मीम्स बनने लगे. इस रिएक्शन का कारण था 8 नवम्बर, 2016 का वो भाषण जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि'आज रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे.' कुछ इसी तरह के शब्द Lockdown के लिए सुनने को मिले. बस फर्क यह था कि इस बार बात नोटों की नहीं बल्कि इंसानों को बंद करने की हो रही थी.

माधव प्रकाश के किरदार में प्रतीक बब्बर 

देखते ही देखते सामान से लदे प्रवासी मजदूरों की भीड़ बस अड्डों और सड़कों पर दिखाई देने लगी. ख़बरों में लोगों के डिप्रेशन और स्ट्रेस के बारे में बातें होनी शुरू हो गई. पढ़ाई के साथ-साथ हम में से ज़्यादातर लोग ऑनलाइन हो गए. इन्ही कहानियों, किरदारों और ख़बरों से मिलकर बनी है फिल्म India Lockdown, जिसे डायरेक्ट किया है मधुर भंडारकर ने और लिखा है अमित जोशी और आराधना शाह ने.

मुंबई में रह रहे अलग-अलग किरदार और covid के साथ उनका संघर्ष. कहानी में एक बुज़ुर्ग हैं, जिनका नाम है नागेश्वर राव, जो अपने कुत्ते के साथ एक फ्लैट में रहते हैं, covid के प्रति बहुत सचेत हैं. तैयारी और इंतज़ार कर रहे हैं हैदराबाद जाने का जहाँ उनकी बेटी रहती है जो गर्भवती है.

नागेश्वर राव के किरदार में प्रकाश बेलवाड़ी

कॉलेज में पढ़ाई करने वाले कपल हैं, जिन्होंने बस अभी-अभी उस भावना को महसूस करना शुरू किया है जहां तक विज्ञान और दुनिया के कुछ हिस्सों में समाज नहीं पहुंच पाया है, जिसे हम 'प्यार' कहते हैं और अब वो उस खाली जगह की तलाश में हैं जहां वो खुलकर और छुपकर प्यार का इज़हार उसके सबसे प्रत्यक्ष माने जाने वाले रूप में कर सके. यह लड़का जिस अपार्टमेन्ट में रहता है उसी बिल्डिंग में रहती है एक कमर्शियल पायलट, मून अल्वेस जो वहां अकेले रहती है और खाना पकाने की शौक़ीन है.

मून एल्विस के किरदार में आहना कुमरा 

एक लड़की है, मेहरू, जो बदनाम कहे जाने वाले इलाके में 'नामी' लोगों का मन बहलाने का काम करती है लेकिन उसकी माँ को लगता है कि उनकी बेटी मुंबई के किसी हॉस्पिटल में नर्स है. एक परिवार है जिसमें पति-पत्नी के अलावा 2 बेटियाँ भी हैं. पति गोल-गप्पे, टिक्की का ठेला लगाता है जिसका कर्जा चुकाया जाना अभी बाकी है और पत्नी, नागेश्वर राव के घर में काम करती है. India Lockdown हमारे आपके lockdown के अनुभवों को जोड़कर बनाई गई है. वो सारी चीजें जो उस वक़्त हमारे आसपास घट रही थीं, सब आपको इसमें देखने को मिलेगी. 

मेहरू के किरदार में श्वेता बासु प्रसाद 

Lockdown के दौरान युवा लड़के-लड़कियों का ऑनलाइन चैटिंग करना, घर में नए-नए तरह के पकवान बनाना, अकेलापन महसूस करना, पैनिक होना या फिर प्रवासी मजदूरों का सड़कों पर दिखना. इसके अलावा रेड लाइट एरिया में काम कर रही औरतों ने उस वक़्त किन मुसीबतों का सामना किया, उसे भी दिखाने की कोशिश की गई है. नागेश्वर राव का किरदार निभा रहे प्रकाश बेलवाड़ी ने हमेशा की तरह अच्छा काम किया है. एक बुज़ुर्ग जो अपनी उम्र के कारण बहुत संभलकर चलते हैं और  covid को लेकर बहुत डरे हुए हैं. उन्हें अपनी बेटी के पास हैदराबाद जाना है क्यूंकि वो प्रेग्नेंट है. नागेश्वर lockdown के दौरान अपनी बेटी तक पहुंच पाते है या नहीं? यही है उनके हिस्से की कहानी. प्रकाश जब भी स्क्रीन पर आते हैं उनका अभिनय आपको चिंता, दुःख और थोड़े से दर से भर देता है.

Lockdown के दौरान सबसे मार्मिक कहानी थी प्रवासी मजदूरों की. यही हमें इस मूवी में भी देखने को मिलता है. माधव प्रकाश टिक्की-गोलगप्पे का ठेला लगाता है और उसकी पत्नी फूलमती लोगों के घर में साफ़-सफाई करती हैं. इनकी दो बेटियाँ भी हैं. दोनों दिन-रात मेहनत करके घर चलाने की कोशिश में लगे ही होते हैं कि lockdown का ऐलान हो जाता है. Lockdown, प्रशासन और भूख से लड़ते हुए माधव अपने घर बिहार पहुंच पता है या नहीं यह आपको India Lockdown देखकर ही पता चलेगा. माधव प्रकाश का किरदार निभा रहे प्रतीक बब्बर और उनकी पत्नी का किरदार निभा रही सई  ताम्हणकर ने बहुत अच्छा काम किया है. प्रवासी मजदूरों के रूप में ये दोनों जब भी स्क्रीन पर आते हैं आपको इनके लिए दया और चिंता ज़रूर महसूस होगी.

प्रवासी मजदूर 

रेड लाइट एरिया में काम करने वाली मेहरू की कहानी  आपको lockdown के उस हिस्से में ले जाएगी जिसके बारे में हमने आस-पास और ख़बरों में सबसे कम सुना और पढ़ा है. मेहरू ने गाँव में रह रही अपनी माँ से झूठ बोला है कि वो मुंबई में नर्स है. किसी तरह हर महीने मेहरू अपनी माँ को पैसे भेजती रहती है लेकिन lockdown के बाद वो कैसे इस चुनौती का सामना करती है इसके लिए आपको India Lockdown ज़रूर देखनी चाहिए. मेहरू के किरदार में श्वेता बासु प्रसाद ने अच्छा काम किया है.

कॉलेज कपल के किरदार में सात्विक भाटिया और ज़रीन हिशाब और इसी के साथ पायलट मून अल्वेस के रूप में अहाना कुमरा कुछ ज्यादा असर नहीं छोड़ पाते. Lipstick under my Burkha जैसी फिल्म में अच्छा अभिनय कर चुकी अहाना को देखकर लगता है कि वो अपने किरदार को जिंदादिल दिखाने के लिए कुछ ज्यादा ही रियेक्ट करने की कोशिश कर रही हैं. सात्विक, ज़रीन और मून की यह कहानी और अभिनय उतना असरदार नहीं दिखाई पड़ता जितना की मेहरू, नागेश्वर राव और माधव और उनके परिवार का लगता है.India Lockdown हम सबकी कहानी है लेकिन जो कुछ दिखाया गया है उन सबके बारे में काफी बातें आलरेडी हो चुकी हैं.  कहानी ख़त्म होने के बाद कुछ ज्यादा असर छोड़ नहीं पाती है. आखिर में इतना कह सकते हैं कि डायरेक्टर और लेखकों ने हम सबकी ज़िन्दगी को छुआ ज़रूर है लेकिन कहानी को शायद थोडा और पकड़कर रखने की ज़रुरत थी.

वीडियो देखें: कैसी है ‘दृश्यम २’?