सावधान: आगे स्पॉइलर हैं.
साल 2029 चल रहा है. आपने अब तक जो कुछ भी देखा वो भूल जाइए. लोगन अब वैसा नहीं है जैसा वो कभी था. म्यूटेंट बीते ज़माने की बातें हो गए हैं. दुनिया बदल चुकी है, बहुत ज्यादा. सालों से कोई नया म्यूटेंट पैदा नहीं हुआ है. आपने जो नाम सुने हों अब वो कोई नहीं हैं. ट्रेलर देखकर अगर आप डेडपूल के होने का अंदाज़ा लगा रहे हैं तो आप गलत हैं. कोई नहीं है, न मैग्नेटो, न स्टॉर्म, न साइक्लोप्स, न मिस्टीक और ना ही रोग या आइसमैन. सब मर चुके हैं. आप जिन्हें जानते हैं उनमें बस वोल्वरिन और प्रोफ़ेसर जेवियर बचे हैं. ये ब्रदरहुड ऑफ़ म्यूटेन्ट्स का दौर नहीं है, जेवियर के भरे-पूरे स्कूल का समय भी नहीं है. दुनिया कोलाहल भरी उदासी में जीती है. ये फिल्म देखना, घर तबाह होने के सालों बाद घर लौटने जैसा है. जहां आप अपना देखा, अपना जाना कुछ नहीं पाएंगे.

वो लोगन जो फीनिक्स से भिड़ गया था, वो लोगन जो स्ट्राइकर की लाख कोशिशों के बाद नहीं मरा. वो लोगन जिस पर परमाणु धमाके का असर नहीं होता, जो वियतनाम से लेकर जापान तक लड़ आया है. उसके संघर्ष अब इतने बड़े नहीं हैं. वो जूझता है कि टेक्सास में उसे जितनी चाहिए उतनी दवाइयां मिल जाए. वो ड्राइवरी करता है. सड़क पर उठाईगिरों से पिटता है. इसकी हीलिंग पावर कम होती जा रही है. आंखों से धुंधला दिखता है, वो लड़ना भी नहीं चाहता, उसमें लड़ने की ताकत नहीं बची. वो जीना भी नहीं चाहता, उसमें जीने की इच्छा भी नहीं बची. आप उस वोल्वरिन को देखते हैं, जो कमजोर है, इतना कमजोर कि जो एडमेंटियम उसे अपराजेय बनाता है. उसी से बनी गोली मारकर खुद को ख़त्म कर लेना चाहता है. ये ब्रायन सिंगर वाला नहीं, जेम्स मैनगोल्ड का वोल्वरिन है.

प्रोफेसर जेवियर, लोगन और उनका एक और दोस्त कैलिबन एक ऐसी कबाड़ सी जगह में रहते हैं, जहां कभी धातु अलग की जाती थी. आपके सामने स्क्रीन पर जब एडमेंटियम से भरा एक बूढ़ा खड़ा हो, जिसकी एक-एक हरकत पर आपने पिछले 17 बरस से नज़र रखी हो तो ये खुद में बहुत सिम्बॉलिक हो जाता है. मैनगोल्ड ने अपनी कहानी में आपको धरातल पर ला पटका है. वैसे ही जैसे लोगन कहता है, असल ज़िंदगी में लोग मरते हैं. लोग मरते हैं, लोगन घाव खाता है. डेढ़ सदी से भरते घाव अब भरने की रफ़्तार धीमी कर चुके हैं. उन उंगलियों के पास जहां से त्रिनखे निकलते हैं, अब घाव के कारण पस निकलता है. आपका हीरो बूढ़ा हो गया है. लड़ने की ताकत नहीं बची, आप अब भी उससे प्यार करेंगे? ये हताशा के बाद की फिल्म है. एक ऐसा समय जब आपका खुद के अस्तित्व से विश्वास उठ जाए. अपने होने की वजह ही समझ न आये. ये विश्वास उठना तब और खतरनाक होता है, जब आपका इतिहास इतना खूनी रहा हो. हर वो चीज दांव पर लग जाती है, जिसके लिए आप कभी खड़े हुए थे.

ऐसे में लोगन की ज़िंदगी में लौरा आती है. न चाहते हुए भी उसके पास एक मकसद होता है लौरा को बचाने का. रीवर्स से. रीवर्स इस कहानी के विलेन नहीं हैं. न वो कंपनी जहां से लौरा छूट कर भागी है. न वो काइयां डोनाल्ड पियर्स जो मशीनी हाथों के साथ ट्रेलर में दिखता है. फिल्म का विलेन आदमी का लालच है. जो अपने फायदे के लिए एक खतरे को ख़त्म कर, खुद की ही आदमजात के लिए नया ख़तरा खड़ा करने में लग जाती है. ये भविष्य की झलक भी है और जिस ओर हम जा रहे हैं उसका अगला चरण भी दिखाती है. आदमी खुद का हाथ किसी के खून से नहीं रंगना चाहता. शांति के नाम पर वो सामने वाले को चुप कराना चाहता है लेकिन उसके लिए वो खुद नाकाफी है. ऐसे में वो हथियार बनाता है, जो उसके खिलाफ उठने वाली आवाजें बंद करें. लेकिन वही हथियार पलटकर उसके सामने खड़े हो जाएं तो?

फिल्म में एक अच्छा खासा सीक्वेंस है, साल 1953 की एक फिल्म 'शेन' का. डायरेक्टर जॉर्ज स्टीवेंस की इस फिल्म का लोगन की फिल्म पर खासा असर दिखता है. फिल्म के आख़िरी दृश्यों में उस पुरानी फिल्म के एक दृश्य का जो इस्तेमाल किया गया है. वो आपको एक अलग ही लेवल पर ले जाकर छोड़ता है. यहां जेवियर्स, लौरा और बाकी किरदारों के बारे में ज्यादा जानबूझकर नहीं लिखा जा रहा है, वर्ना आपका फिल्म देखने का मजा खराब हो जाएगा. ये पढ़ने नहीं देखने वाली फिल्म है. वादा है कि अगर आप फिल्म देखकर लौटते हैं तो इस दृश्य के प्रभाव में हफ्ते भर रहेंगे. https://www.youtube.com/watch?v=QqiFxD-VJbk लोगन आज तक बनी एक्स-मेन फिल्मों में सबसे महान फिल्म है. इस फिल्म ने ह्यू जैकमैन का लेवल कहीं और ऊपर पहुंचा दिया है. इस फिल्म ने इस पूरी सीरीज को एक मीनिंग दे दी है. ये एक आम सुपरहीरो फिल्म नहीं है. ये महानायक के अति मानवीय पहलू को दिखाती है, जिसे वो अपनी ढेर सी कमियों के बाद भी नकार नहीं पाता. ये फिल्म लोगन की लेगेसी का अंतिम दस्तावेज भी नहीं है. ये उसे वहां छोड़कर आती है. जिसकी कल्पना रसेल क्रो के जरिए वोल्वरिन के रोल को पाने वाले ह्यू ने भी 17 साल पहले नहीं की थी. ये फिल्म आपका पीछा नहीं छोड़ेगी. इस फिल्म के आपको सपने आएंगे. आपको खुद को ये यकीन दिलाना होगा कि अब आप कभी पर्दे पर वोल्वरिन को कुछ नया करते नहीं देख पाएंगे.
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