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मलयालम सिनेमा की 5 साल से 'दबी' फाइल खुली, एक्ट्रेसेज के साथ कैमरे के पीछे क्या होता है? पता लगा

Malayalam film industry में कथित Harassment को लेकर 235 पन्नों की एक रिपोर्ट आई है. ये सच को सामने लाने का दावा कर रही है. रिपोर्ट में कई ऐसी बातें हैं जिनसे वहां हो रहे शोषण और भेदभाव के बारे में पता चलता है. जिन एक्ट्रेस को आप कैमरे के सामने चहकते हुए देखते हो, पीछे उन पर क्या बीतती है, सब पता लग गया.

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को रिपोर्ट सौंपते कमेटी के सदस्य | फाइल फोटो: इंडिया टुडे

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री (Malayalam film industry). यहां हर साल कुछ ऐसी फिल्में बनती हैं जो व्यवसायिक रूप से सफल होने के अलावा सिनेमाई मापदंडों पर भी खरी उतरती हैं. कई फिल्में अपने कॉन्टेट से दर्शकों को सोचने पर मजूबर करती रही हैं. लेकिन अब 235 पन्नों की एक रिपोर्ट आई है जो मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के सच को सामने लाने का दावा कर रही है. रिपोर्ट में कई ऐसी बातें हैं जिनसे वहां हो रहे शोषण और भेदभाव के बारे में पता चलता है. इसके पहले पन्ने में ही चेताया गया है, हर एक चीज पर भरोसा करने से. तर्क दिया है कि आसमान रहस्यों से भरा है, तारे चमकते हुए नज़र आते हैं और चांद खूबसूरत दिखाई देता है. लेकिन विज्ञान की मानें तो ऐसा कुछ भी नहीं है. 

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में क्या है?

फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध के पीछे का सच उतना चमकदार नहीं होता. वहां होने वाले शोषण के बारे में हम सालों से सुनते आए हैं. इसी तरह एक एक्ट्रेस के उत्पीड़न से जुड़ा मामला साल 2017 में सामने आया था, जिसमें अभिनेता दिलीप का नाम भी था. इसी को संबोधित करने के लिए उस साल मलयालम सिनेमा में काम करने वाली कुछ महिलाओं ने एक संस्था बनाई. वूमेन इन सिनेमा क्लेक्टिव (WCC). संस्था की सदस्यों ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मुलाकात कर उनके सामने एक याचिका दायर की. इसमें फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों की जांच करने की बात कही गई थी. केरल सरकार ने WCC की बातों को गंभीरता से लेते हुए तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई, जिसमें हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज के. हेमा, पूर्व IAS अधिकारी के.बी वलसला कुमारी और अभिनेत्री शारदा शामिल थीं. जस्टिस हेमा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट साल 2019 में सरकार के सामने रखी थी, जिसे लगभग 5 साल बाद एक RTI के जवाब मांगने पर सार्वजनिक किया गया है. 

इंट्री लेवल पर ही शुरू हो जाता है शोषण

कमेटी ने इंडस्ट्री के अंडर 30 विभिन्न कैटेगरी में काम करने वाली महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए शोषण के कम से कम 17 तरीकों की पहचान की है. इसमें इंडस्ट्री में जगह बनाने की इच्छुक महिलाओं के साथ होने वाले कास्टिंग काउच, यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और हमले शामिल हैं. जहां महिलाओं पर अक्सर भूमिकाएं सुरक्षित करने या ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए यौन संबंधों का दबाव तक डाला जाता है. रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है कि छोटी भूमिका वाले या नए लोग सबसे अधिक असुरक्षित हैं. इंडस्ट्री में महिला कलाकारों को अक्सर अपने रोल के बदले अपनी गरिमा से समझौता करने के दबाव का सामना करना पड़ता है. कई महिलाओं को तो शोषण से बचने के लिए सेट पर परिवार के सदस्यों को भी बुलाना पड़ता है.

मूलभूत सुविधाओं का गहरा अभाव

रिपोर्ट के मुताबिक शूटिंग के दौरान खाने जैसी बुनियादी सुविधाओं को भी कथित तौर पर तब तक रोक दिया जाता जब तक कि महिलाएं समझौता नहीं करतीं. लगभग सभी महिलाओं ने कहा कि कई बार तो शूटिंग के सेट पर कोई शौचालय की सुविधा या चेंजिंग रूम तक नहीं होता है, खासकर जब शूटिंग दूर-दराज के इलाकों में होती हैं. महिलाओं को आउटडोर शूटिंग के दौरान शौचालय के लिए पास के किसी जंगल या झाड़ियों में जाना पड़ता है. सेट पर पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता है. कमेटी की रिपोर्ट में महिलाओं के रहने और उनके ट्रांसपोर्टेशन में होने वाली दिक्कतों को भी रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर मौकों पर ऐसे होटलों में एक्ट्रेस को ठहराया जाता है, जहां अक्सर नशे में धुत होकर लोग दरवाजा खटखटाते हैं.

लैंगिक असमानता का करना पड़ा सामना

कमेटी के अनुसार, इंडस्ट्री में महिलाओं को लैंगिक असमानताओं का भी सामना करना पड़ता है. खासकर उनको मिलने वाले पारिश्रमिक पर. इसके अलावा सुरक्षा से संबंधित बुनियादी उपाय जैसे इंटर्नल कम्पलेन कमेटी (आईसीसी) का व्यहारिकता में न होकर केवल कागजों पर होना. महिला कर्मचारियों और प्रोड्यूसर्स के बीच होने वाले अनुबंधों को अक्सर लिखित रूप में नहीं बनाया जाता है. इससे पारिश्रमिक पर सहमति में कई दिक्कतें पैदा होती हैं.

पुरुषों का दबदबा

रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी इंडस्ट्री कुछ लोगों के इशारों पर चलती है. इनमें शीर्ष अभिनेता, निर्माता और निर्देशक शामिल हैं. रिपोर्ट में इन लोगों को ‘माफिया’ की संज्ञा दी गई है जो महिलाओं के लिए सही माहौल नहीं बनाते हैं. ये रसूखदार लोग अपने खिलाफ बोलने वालों के करियर को बर्बाद करने की ताकत रखते हैं.

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रिपोर्ट में कई दर्दनाक घटनाओं का भी जिक्र है. उदाहरण के लिए एक एक्टर को एक व्यक्ति के साथ 17 बार एक ही सीन को रिटेक करने के लिए मजबूर किया गया. उस व्यक्ति ने एक्टर को पहले हरैस किया था. एक अन्य एक्टर ने बताया कि कैसे एक निर्देशक ने उन्हें अंतरंग सीन करने के बारे में पहले से नहीं बताया और जब उन्होंने बाद में उस सीन को फिल्म में शामिल नहीं करने की गुजारिश की तो उसे धमकाया गया.

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