सआदत हसन मंटो. सच से पर्दा उठाने की कोशिश में अश्लीलता का आरोप झेला. अदालत गए. जवाब देते-देते थक गए तो पागलखाने भेज दिए गए. हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे पर सबसे बेहतरीन लिखने वालों में से एक रहे मंटो. फ़िल्में लिखीं, रेडियो नाटक लिखे. मंटो को अदालतों और बैठकों में खुलकर बोलने वाले के तौर पर पहचाना जाता था. आज मंटो का बड्डे है. इस मौके पर उनके कहे और लिखे में से 15 वो बातें पढ़ लीजिए, जो ज़िंदगी भर काम आएंगी-
मंटो की वो 15 बातें, जो ज़िंदगी भर काम आएंगी
धर्म से लेकर इंसानियत तक, सब पर सब कुछ कहा है मंटो ने.

सच को सच लिखने में मंटो को ना कभी गुरेज़ रहा और ना हिचक
#1 ज़माने के जिस दौर से हम गुज़र रहे हैं, अगर आप उससे वाकिफ़ नहीं तो मेरे अफ़साने पढ़िए.
#2 अगर आप इन अफ़सानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो इसका मतलब है कि ज़माना ही नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त है.
#3 मेरी तहरीर में कोई ग़लती नहीं, जिस ग़लती को मेरे नाम से बताया जाता है, वो दरअसल मौजूदा सिस्टम की ग़लती है.
#4 ऐसा होना मुमकिन है कि सआदत हसन मर जाए और मंटो ज़िंदा रहे.
#5 मैं एक जेबकतरा हूं जो अपनी जेब ख़ुद काटता है, और कोई कहानी मेरी जेब से कूदकर बाहर आ जाती है.
#6 मैं सोसाइटी की चोली क्या उतारूंगा, जो है ही नंगी. मैं उसे कपड़े पहनाने की कोशिश भी नहीं करता, क्योंकि ये मेरा काम नहीं, दर्ज़ियों का काम है.
#7 मैं कहानियां नहीं लिखता, कहानियां मुझे लिखती हैं. कभी-कभी हैरत होती है कि ये कौन है जिसने इतनी अच्छी कहानियां लिखी हैं.
#8 हर बड़ा आदमी गुसलखाने में सोचता है. मगर मुझे तजुर्बे से मालूम हुआ है कि मैं बड़ा आदमी नहीं, इसलिए कि मैं गुसलखाने में नहीं सोच सकता.
#9 दुनिया में जितनी लानतें हैं, भूख उनकी मां है.
#10 मज़हब जब दिलों से निकलकर दिमाग़ पर चढ़ जाए तो ज़हर बन जाता है.
#11 मेरे जीवन की सबसे बड़ी घटना थी मेरा जन्म.
#12 मत कहिए कि हज़ारों हिंदू मारे गए या फिर हज़ारों मुसलमान मारे गए. सिर्फ ये कहिए कि हज़ारों इंसान मारे गए.
#13 सिर्फ मूर्ख ही ये सोच सकते हैं कि मज़हब को बंदूक से मार गिराया जा सकता है.
#14 मैं ऐसे समाज पर हज़ार लानत भेजता हूं, जहां उसूल हो कि मरने के बाद हर शख्स के किरदार को लॉन्ड्री में भेज दिया जाए जहां से वो धुल-धुलाकर आए.
#15 वेश्या का मकान ख़ुद एक जनाज़ा है, जो समाज अपने कंधों पर उठाए हुए है.













