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ऋषभ शेट्टी स्टारर 'कांतारा: चैप्टर 1' का हिंदी वर्ज़न देखने के बाद पब्लिक नाराज़ क्यों हो गई?

हिंदी भाषी ऑडियंस को ऋषभ शेट्टी की 'कांतारा चैप्टर 1' देखने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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होम्बाले फिल्म्स के एक अन्य प्रोजेक्ट KGF 2 के साथ भी ऐसी समस्या आ चुकी है.

Rishab Shetty स्टारर Kantara: Chapter 1 साल की सबसे बड़ी फिल्म बनने के इरादे से मैदान में उतरी है. इसमें दो राय नहीं कि ये आपको एक अलग तरह का विजुअल एक्सपीरियंस देती है. बावजूद इसके फिल्म के हिन्दी वर्जन में कुछ ऐसी दिक्कतें देखने को मिलीं, जिसने रंग में भंग डाल दिया है. इस बात से हिंदी भाषी ऑडियंस फिल्म के मेकर्स से नाराज़ हो गई है. 

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फिल्म को साउंड, कलर और सबटाइटल के मामले में कई शिकायतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा एक-दो नहीं बल्कि हिंदी वर्जन चला रहे लगभग सभी सिनेमाहॉल मैनेजरों की शिकायत है. मुंबई के एक मल्टीप्लेक्स में काम कर रहे ऑफिशियल ने बॉलीवुड हंगामा को बताया,

"फिल्म की शुरुआत में और कुछ और सीन में बैकग्राउंड म्यूज़िक इतना तेज़ है कि डायलॉग साफ़-साफ़ सुनाई नहीं देते. इसकी वजह से दर्शकों को समझ नहीं आता कि स्क्रीन पर दिख रहे कैरेक्टर बोल क्या रहे हैं. अच्छी बात ये है कि ऐसा सिर्फ कुछ ही जगहों पर हुआ है. लेकिन फिर भी मेकर्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था."

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एक अन्य सिनेमाहॉल मैनेजर ने कहा,

“ऐसी चीज़ें आसानी से टाली जा सकती हैं और मेकर्स को इसमें सुधार करना चाहिए. अक्सर दर्शक सोचते हैं कि सिनेमा हॉल के साउंड सिस्टम में गड़बड़ी है. लेकिन असल में गलती हमारी नहीं होती. हमारे और कुछ दूसरे सिनेमा हॉल्स में भी इस फिल्म को लेकर कुछ शिकायतें आई हैं. पहले भी मेकर्स ने ऐसी सिचुएशन में सुधारी गई नई फाइल भेजी है. उम्मीद है कि इस फिल्म के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा.”

हमारे निजी अनुभव में भी इस तरह की समस्या देखने को मिली. दिल्ली-NCR के एक सिनेमा हॉल में इस फिल्म को देखते हुए महसूस हुआ कि कुछ खटक रहा है. धीरे-धीरे ऐसा लगने लगा कि फिल्म के साउंड में कुछ दिक्कत है. आवाज़ साफ-साफ सुनाई नहीं आ रही थी. साथ ही स्क्रीन पर काफ़ी अंधेरा भी नज़र आ रहा था. रात के सीक्वेंस में तो बमुश्किल ही चीजें नज़र आ रही थीं.

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इंटरनेट पर कुछ यूजर्स ने फिल्म के सब-टाइटल को लेकर भी परेशानी का सामना किया. मूवी में जब भी गुलिगा के सीन आते हैं, उन्हें हिन्दी की जगह कन्नड़ा में ही सुनाया जाता है. ये अच्छी बात है. फिल्म देखने का एक्सपीरियंस भी बेहतर होता है. मगर दिक्कत तब आती है, जब आप उन डायलॉग्स के साथ लगे सबटाइटल देखते हैं. इनका फॉन्ट साइज़ काफ़ी छोटा नज़र आता है, जिन्हें देखने के लिए आपको अपनी आंखों पर ज़ोर देना पड़ता है.

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फिल्म के सबटाइटल साइज़ को लेकर भी शिकायतें आ रही हैं.

इससे पहले होम्बाले फिल्म्स के एक अन्य प्रोजेक्ट KGF 2 के साथ भी ऐसी समस्या हो चुकी है. उस फिल्म को देखते हुए देशभर के अलग-अलग हिस्सों से ये शिकायत आई कि ये फिल्म काफ़ी लाउड है. एग्जीबिटर्स से रिक्वेस्ट की गई कि वो फिल्म का वॉल्यूम कम करें. मेकर्स ने इस बात पर ध्यान दिया और हफ़्ते भर बाद इसकी आवाज़ सुधारकर सिनेमाघरों को बेहतर प्रिंट्स भेजे. ऐसे में दर्शकों को उम्मीद होगी कि मेकर्स 'कांतारा: चैप्टर 1' के साथ भी कुछ ऐसा ही कदम उठाएं. 

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