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ये हैं दुनिया के 5 सबसे चौचक फाउंटेन पेन

जिनसे लिख कर ऐसी फील आएगी कि आप अमिताभ बच्चन बन ऑटोग्राफ दे रहे हों.

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फोटो - thelallantop
ज्यादा नहीं, बस आज से 20-25 साल लाइफ़ को रिवाइंड करिए. वो समय था, जब पेन का मतलब ही फाउंटेन पेन था. जब दफ़्तर स्याही सा महका करते और हर तीसरे दिन बच्चे स्कूल की सफ़ेद कमीज़ पर स्याही के धब्बे लिए हुए घर आते. पर कलम की कहानी आपके बचपन से भी बहुत, बहुत पुरानी है.
आज से लगभग 1000 साल पहले, मगरेब के ख़लीफ़ा माद-उल-मुइज़ ने अपने नौकरों से कहा, एक ऐसी कलम बनाओ जिससे मेरे हाथों पर स्याही के दाग न लगें. लोग पहले लिखा करते थे बड़े पक्षियों के पंखों से. पंख के खाली सिरे को छील कर निब जैसा बना देते थे. फिर आए डिप पेन. यानी लकड़ी या स्टील की बॉडी और मेटल की बनी निब को स्याही में डुबोकर लिखते थे. पर इन दोनों से ही हाथ गंदे हो जाया करते. मगरेब के खलीफा को उनके मन का पेन मिला या नहीं इसका तो कोई रिकॉर्ड नहीं है. पर ऐसा ही पेन तकरीबन 600 साल बाद बना जर्मनी में. मतलब तुलसीदास अगर एक जेनरेशन बाद इस दुनिया में आते तो शायद फाउंटेन पेन से लिख रहे होते.
उन्नीसवीं शताब्दी तक आते आते पेन को बनाने और इनमें निब जोड़ने की मशीनें आ गयीं थीं. पेन तेजी से बनने और बिकने लगे. नतीजतन केवल ज्ञानियों के घरों में पाए जाने वाले पेन सस्ते हो गए. घर घर तक पहुंच गए. जब मार्केट में पेन आएंगे तो ज़ाहिर सी बात है कि पेन के व्यापारी भी आएंगे. कुछ ऐसी बड़ी बड़ी पेन की कंपनियां हुईं जिन्होंने पेन के बाज़ार की शक्ल बदल दी. फाउंटेन पेन के सस्ते बॉल पॉइंट पेन से रिप्लेस हो जाने के बावजूद भी इन कंपनियों का जलवा कम न हुआ. आज भी लोग इनके फाउंटेन पेन को जेबों और फाइलों में खोंसकर अपना भौकाल टाईट रखते हैं. जानते हैं ऐसी ही 5 कम्पनियों का इतिहास, शॉर्ट-कट में:
1.स्टेटलर staedtler स्टेटलर कंपनी मशहूर थी पेंसिल बनाने के लिए. पेंसिल की फैक्ट्री शुरू होने के 150 साल पहले से ही स्टेटलर परिवार अपने घर में हाथों से पेंसिल बनाया करता था. स्टेटलर नाम एक ब्रांड अपनी पेंसिलों की वजह से ही बना. पेंसिल फैक्ट्री से फाउंटेन पेन बनाने तक का सफ़र 100 साल का रहा. हालांकि समय के साथ कंपनी ने बॉल पॉइंट पेन बनाये, पर इनके फाउंटेन पेन आज भी अपने क्लासी लुक के लिए जाने जाते हैं.
2. वॉटरमैन waterman 100 साल से भी ज्यादा पुरानी वॉटरमैन कंपनी का बनाया हुआ पहला पेन मजबूत रबर का बना हुआ था. इसकी निब थी सोने की. हां जी, 14 कैरेट सोना. कंपनी थी न्यू यॉर्क की. वॉटरमैन फाउंटेन पेन बनाने वाली सबसे पुरानी कंपनियों में से एक है. कहा जाता है कंपनी के मालिक लुई वॉटरमैन एक सख्त और अक्खड़ किस्म के इंसान थे. पर उनके भतीजे फ्रैंक वॉटरमैन ने कंपनी में कई बदलाव किये जिससे वॉटरमैन का ब्रांड इंटरनेशनल बन गया. इनकी एक सब्सिडियरी कंपनी शुरू हुई फ़्रांस में. वॉटरमैन कंपनी बढ़ते कॉम्पटीशन को झेल नहीं पायी. दूसरे विश्व युद्ध को ख़तम हुए 10 साल बीते कि कंपनी बंद हो गयी. लेकिन इसकी फ्रेंच सब्सिडियरी को 'बिक' नाम की कंपनी ने खरीद लिया. वॉटरमैन के ब्रांड नेम के साथ इनके फाउंटेन पेन बिकते रहे. 2011 में कंपनी को सेंट-हेर्ब्लैन ने खरीद लिया और वॉटरमैन फाउंटेन पेन आज कल फ़्रांस में बनते हैं.
3. पार्कर parker ऐसे ही नहीं अमिताभ बच्चन ने पार्कर पेन के ऐड साइन किये होंगे. बॉल पॉइंट पेन के मार्केट में आने से पहले तक पार्कर पेन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी. जॉर्ज सैफर्ड पार्कर जॉन हॉलैंड गोल्ड पेन नाम की कंपनी के सेल्स एजेंट थे. पर उन्होंने एक ऐसी चीज़ बनाई कि वो अपने मालिक से कहीं आगे निकल गए. वो चीज़ थी 'लकी कर्व'. पेन की बॉडी के अन्दर जहां से निब में इंक जाती है, उसको जॉर्ज पार्कर ने ऐसा आकार दिया कि जब भी पेन से लिखा नहीं जा रहा होता, निब के पास की अतिरिक्त इंक वो पीछे खींच कर इंक की टंकी में डाल देता. इसके लिए जॉर्ज पार्कर को पार्कर पेन का पेटेंट मिला. इनका सबसे पॉपुलर पेन रहा पार्कर 51. अकेले इस मॉडल ने 30 साल के अंदर पार्कर को 26 अरब का मुनाफ़ा दिया.
4. शेफ़र sheaffer वाल्टर शेफ़र गहनों का एक छोटा सा व्यापारी था. बहुत मेहनत कर उसने एक ऐसा लीवर बनाया जिससे पेन में इंक भरी जा सकती थी. इसी लीवर सिस्टम का प्रयोग कर के शेफ़र ने एक फाउंटेन पेन बनाया. पूरी ज़िन्दगी की कमाई लगा कर, अपनी जेवर की दुकान के पिछले कमरे में, मात्र 7 कर्मचारियों के साथ कंपनी शुरू हुई. रिस्क बड़ा था पर अपने आविष्कार को दुनिया के सामने लाने का जूनून था शेफ़र में. कंपनी और ब्रांड समय के साथ इतने बड़े हो गए कि कंपनी 2015 में 90 करोड़ रूपए में बिकी.
5. लेमी lamy जोसेफ़ लेमी नाम का एक जर्मन आदमी मशहूर पेन बनाने वाली पार्कर कंपनी के सेल्स डिपार्टमेंट में काम करता था. उसी समय एक लोकल कंपनी जिसको 'ओर्थोस पेन' के नाम से जाना जाता था, को लेमी ने खरीद लिया. आज से लगभग 80 साल पहले लेमी पेन कंपनी शुरू हुई. 'लेमी विस्टा', 'लेमी सफारी', और 'लेमी 2000' इनके सबसे पॉपुलर फाउंटेन पेन रहे हैं.

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