Sriprakash Shukla. उत्तर प्रदेश का माना हुआ डॉन. गोरखपुर से आने वाला ये लड़का 20 साल की उम्र में पुलिस रिकॉर्ड में अपनी जगह बना चुका था. बताया जाता है कि पांच-सात साल के क्राइम करियर में श्रीप्रकाश शुक्ला ने 20 से ज़्यादा मर्डर किए थे. उसका सबसे बड़ा कांड माना जाता है वीरेंद्र शाही की दिनदहाड़े हत्या. शाही महाराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा से विधायक थे. श्रीप्रकाश शुक्ला की हिट लिस्ट में अगला नंबर था उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का. उसने कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली थी. 6 करोड़ रूपये में. इसलिए पुलिस पर उसे ज़िंदा या मुर्दा पकड़ने का प्रेशर बढ़ गया था. मगर पुलिस के पास श्रीप्रकाश शुक्ला की कोई फोटो नहीं थी. श्रीप्रकाश शुक्ला की हत्या के पीछे एक्टर Suniel Shetty की एक फोटो थी.
सुनील शेट्टी की वो फोटो, जिसकी वजह से यूपी का सबसे बड़ा डॉन मारा गया
श्रीप्रकाश शुक्ला ने धमकी दी थी कि जो भी पुलिस को उसकी फोटो देगा, उसे वो 24 घंटे के भीतर मार देगा.

पुलिस रिकॉर्ड में कहीं भी श्रीप्रकाश शुक्ला की फोटो नहीं थी. कल्याण सिंह की सुपारी के बाद पुलिस ने श्रीप्रकाश शुक्ला से पहले उसकी फोटो ढूंढनी शुरू की. मगर उसके करीबी लोगों के पास भी श्रीप्रकाश की फोटो नहीं थी. बताया जाता है कि उसने अपने दोस्तों-जानकारों को धमकी दी थी. जिसने भी उसकी फोटो पुलिस को दी, वो उसे 24 घंटे के भीतर मार देगा. तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस के हाथ कुछ नहीं लग रहा था. ऐसे में उन्हें पता चला कि लखनऊ के हज़रतगंज में श्रीप्रकाश शुक्ला के एक जानकार रहते हैं. रिश्ते में वो उसके बहनोई लगते हैं. कुछ दिन पहले शुक्ला ने ही उन्हें लॉटरी का काम दिलवाया था.

पुलिस लखनऊ में श्रीप्रकाश शुक्ला के उस रिश्तेदार के घर पहुंची. पहले तो उन्होंने श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ किसी भी कनेक्शन के होने से इन्कार कर दिया. फिर पुलिस ने उनका फैमिली एल्बम देखना शुरू किया. कुछ ही दिनों पहले उनकी बिटिया का बर्थडे था. उसमें श्रीप्रकाश शुक्ला भी पहुंचा हुआ था. उस एल्बम में उसकी फोटो मिल गई. मगर मसला ये था कि इसमें सिर्फ उसकी शक्ल दिख रही थी. बॉडी का अन्य कोई हिस्सा नहीं. पुलिस ने एक जुगत लगाई. फिल्म एक्टर सुनील शेट्टी की एक फोटो ली. और सुनील शेट्टी के चेहरे पर श्रीप्रकाश शुक्ला का चेहरा चिपका दिया. शुक्ला का फेस सुनील शेट्टी की बॉडी के साथ मेल खा रहा था. पुलिस ने उसी फोटो की कॉपी मीडिया और पुलिसफोर्स में फैला दी.
आखिरकार 22 सितंबर, 1998 को पुलिस को सफलता मिली. मोबाइल नंबर सर्विलांस के ज़रिए पुलिस ने श्रीप्रकाश शुक्ला का सुराग हासिल किया और गाज़ियाबाद में हुए एनकाउंटर में उसे मार गिराया.
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