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टीवी-फिल्म वालों प्लीज अब ये दिखाना बंद भी कर दो

बुझते दिए, गिरती लड़कियां, कॉलर छुडाते डॉक्टर्स. अमां कब तक यही सब दिखाओगे तुम हमको?

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Source- Zee tv
पर्दे पर कुछ दृश्यों से हम विचलित हो जाते हैं. इसलिए नहीं कि वो देखे नहीं जा सकते, बल्कि इसलिए कि वो बहुत बार दिखाए जा चुके हैं. बार-बार दिखने वाले इन सीन्स ने हमारे सिनेमा देखने के शौक की पूं कर रखी है. जानिए कौन से हैं वो सीन.

लड़का-लड़की के टकराने पर कागज फैलना

मने कागज़ गिरे. लड़की झुकेगी और लड़की के झुकने के पहले लड़का झुकेगा. अचकचा के कागज़ बटोरेगा. और कागज़ बटोरते हुए हाथ टकरा जाएंगे. लड़की जुल्फें पीछे फेंकेगी. और लड़के को इस 6 सेकण्ड के शॉट में सात जन्म का प्यार हो जाएगा. जहां कन्याएं दो किलोमीटर दूर से भी निकलो तो 'देख कर नही चलते'
कह हड़काती हैं. वहां ऐसे अपराध पर प्यार के सपने दिखाने वाले सीन्स पर तो बैन लगना बनता है.

दिए का जिंदगी से कनेक्शन

उधर हीरो का एक्सीडेंट हुआ नहीं या विलेन ने सीने में दो गोली उतारी नहीं कि इधर अम्मा का पूजाघर वाला दिया पहले ही बुझ जाएगा. इंटरनेट लगता है? माने उधर भैया ऑफलाइन हुए और इधर हरी बत्ती बंद हो गई. ये सब देखने के बाद सिगरेट जलाते में लाइटर भी बुझ जाए तो करेजा दहल जाता. सोचिए कैसा लगता अगर इधर जॉन स्नो मर रहा था, उधर विंटरफेल में दिया बुझ जाता. ओह! विंटरफेल में बचा ही कौन था?

लाइब्रेरी का रोमांस

लड़की पढ़ाकू है,सफ़ेद कुर्ता पहिन विश्वविद्यालय जाती है. लाइब्रेरी में किताब उठाती है. ठीक वही किताब दूसरी ओर से सिरीमान शशधर पांडे भी उठाते हैं. दर्शकों की सहजबुद्धि अनुमान लगा सकती है आगे क्या होता है? पर ये बताइए कि कौन सी लड़की ने आपसे तब प्रेम किया है जब पहिलेन रोज आप उसके हाथ से पुस्तक खइंच लिए थे.

हीरोइज्म का पुनरोत्थान

हीरो सौ गोली खाकर डेढ़ सौ जगह से खून चुचुआ रहा है. दो सौ गुंडों ने उसे बना के हउंका है. 206 हड्डियां मिसप्लेस हो चुकी हैं अब भुइयां में धड़ाम हो पड़ा है. इतने में विलेन उसकी अम्मा या हीरोइन को बाल से पकड़ लेता है. एक चीख निकलती है जो उसके कान तक पहुंचती है. दिमाग में कुछ करेंट टाइप्स दौड़ता है रेड-रेड फिर एक क्लोज अप. अपने चीते की उंगली हिलती है. मुट्ठी बंधती है. फिर तो बैकग्राउंड में ढिशुम-धड़ाम के साथ जो मार-कुटाई मचाता है अपना चीता कि... एक सेकेण्ड रुकिए. लूज मोशन के बाद आप तीन दिन ढंग से चल नही पाते फिर कोई इतनी मार खाकर इत्ता कुछ कैसे कर सकता है?

 

हमारे बीच ये तकिया रहेगा

हीरो-हीरोइन की कॉन्ट्रैक्ट मैरिज? (ऐसा सिर्फ फिल्मों में होता है!) और कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के बाद लड़का-लड़की घरवालों को दिखाने को एक ही बेडरूम में सोते हैं. लड़का अपने ही कमरे में सोफे पर सोने से मना कर देता है और लड़की हार मानकर दोनों के बीच तकिया रख लेती है. ये क्या है? ये है क्या?

लड़की के दुपट्टे या जूलरी का अटकना

जबर झगड़ा हुआ, लड़की खिसिया के जा रही है. पीछे से उसका दुपट्टा हीरो ने पकड़ लिया. वो रुक जाती है, भावुक होकर देखती है लेकिन कपड़ा कहीं और फंसा होता है. बेचारी के तरैना भरा आते हैं. रही-सही उम्मीद भी ढेर हो जाती है. इस सीन को इतनी बार घिसा जा चुका है कि आप दुपट्टा फंसते ही बता सकते हैं कुर्सी में फंसा है कि किवाड़ में. लेकिन चलाने वाले हैं कि अब भी चलाए जा रहे हैं.

आप कुछ करते क्यों नहीं डॉक्टर?

डॉक्टर के सिर पर चढ़कर अपना इमोशनल आउटबर्स्ट  दिखाने वाला सीन देखकर हंसी आती है. माने यार सीरियसली वो तीसरा बंदा है, उसको क्या पता कि तुम लोग रोज़ बिस्तर में बाईं तरफ सोने के लिए लड़ते हो इत्ता प्यार है, और आज तुम्हारी वजह से वो हाथ की कलाई को रेत कर हियां पड़ी है और तुम अफ़सोस में मरे जा रहे हो. प्लीज... ऐसा वाला सेंटियापा न दिखाया कीजिए हजम नहीं होता.
Source-slaughterose
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ये आर्टिकल अभी खत्म नहीं हुआ है. ये चलता रहेगा, अभी और बढ़ेगा. आप भी बताइए आप किन सीन्स से चटे हुए हैं. और हम भी जोड़ते ही जाएंगे क्योंकि ये सब अभी बंद होने वाला तो है नहीं.

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