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वेब सीरीज़ रिव्यू: कैंपस डायरीज़

कैसा है यूट्यूब स्टार्स हर्ष बेनीवाल और सलोनी गौर का ये नया शो?

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वेब सीरीज़ रिव्यू: कैंपस डायरीज़
न्यू ईयर के न्यू फ्राइडे पर न्यू-न्यू से लग रहे MX Player पर 'कैंपस डायरीज़' नाम की एक न्यू सीरीज़ आई है. ये एक टीनएज कॉमेडी सीरीज़ है. जो सीधे तौर से यूथ ओरिएंटेड है. कैसे हैं इस 'कैंपस डायरीज़' के भीतर के कुल 12 पन्ने यानी 12 एपिसोड्स, आइए बतलाते हैं.

# कहानी कैंपस डायरीज़ की

कहानी का सेंटर पॉइंट है एक्सेल यूनिवर्सिटी. जहां की दीवारें एक्स्ट्रा ब्राइट और स्टूडेंट्स एक्स्ट्रा लाउड हैं. वैसे तो यहां कई स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. लेकिन बेचारे सभी बैकग्राउंड में ही रहते हैं. कहानी के मेन कैरेक्टर सिर्फ छह हैं.
1. सुधीर. हरियाणा से है. पढ़ता सिर्फ़ इसलिए है कि गांव जाकर अपनी भैंसों का दूध ना निकालना पड़े. वरना दिमाग तो सुधीर का कॉलेज पॉलिटिक्स में रहता है. सुधीर कैसे भी हॉस्टल प्रेसिडेंट बनना चाहता है.
2. सुष्मिता. एकदम ब्लंट. लव-हेट रिलेशनशिप से गुज़र रही है. इनके मुंह में गाली और सिगरेट हमेशा पाई जाती है.
3. अभिलाष. सज्जन लड़का. ये मन ही मन सुष्मिता को पसंद करता है. लेकिन उसके दादा टाइप बॉयफ्रेंड की वजह से सुमड़ी में रहता है.
4. सृष्टि. पढ़ाई में एकदम सिंसियर. मार्क्स के हिसाब से किसी भी बड़े कॉलेज में हो सकती थी. लेकिन घरवालों ने क्लोज़ रखने के चक्कर में यहां एडमिशन करवा दिया.
5. राघव. सिंगापुर रिटर्न है. लेकिन पता नहीं क्यों अमेरिकन एक्सेंट मुंह पर चिपक गया है. नशे का आदी है. इसलिए कॉलेज में अटेंडेंस भी आधी रहती है.
6. प्रियंका. एक जागरूक स्टूडेंट. क्रांतिकारी विचारों वाली. हॉस्टल सेक्रेटरी का इलेक्शन लड़ रही है.
बस पूरी सीरीज़ इनके फ़िज़िक्स की इक्वेशन से लेकर रिलेशनशिप की केमिस्ट्री, स्टूडेंट पॉलिटिक्स की सिविक्स, ओल्ड ट्रॉमा की हिस्ट्री और कैंटीन में होने वाली ढेर सारी बकलोली के इर्दगिर्द घूमती है.
रैगिंग का सीन.
रैगिंग का सीन.

# रफ़ वर्क वाले पन्ने

सबसे पहले इस सीरीज़ के सबसे बड़े माइनस पॉइंट की बात करेंगे. इस शो का सबसे बड़ा माइनस पॉइंट है इसकी लेंथ. शो में कुल 12 एपिसोड हैं. जिसमें से कुछ 30 से 35 मिनट और कुछ 40 से 55 मिनट के बीच के हैं. जिस कारण शो की रिदम बरकरार नहीं रहती. ख़ासतौर से बीच के एपिसोड्स तो एकदम डल जाते हैं. जहां लगता है कहानी को सिर्फ़ च्युइंग गम की तरह खींचा जा रहा है. अंतिम एपिसोड तक जैसे-तैसे कॉफ़ी पी-पी कर पहुंचा, तो मन हुआ शो के डायरेक्टर से ट्वीट कर कह दूं कि
"अपने राइटर्स से कह देना मैं बिना सोए सुरक्षित लास्ट एपिसोड तक पहुंच गया."
खैर, इस सीरीज़ का दूसरा माइनस पॉइंट है फ्रेशनेस की कमी. ये सीरीज़ 'कोटा फैक्ट्री', 'हॉस्टल डेज़', 'कॉलेज रोमांस', 'मिस-मैच्ड' जैसे अनेक शोज़ के बाद आई है. यानी 'कैंपस डायरीज़' में हॉस्टल लाइफ, कॉलेज लाइफ, टीनएज रोमांस जो सब भी दिखता है, वो सब इन शोज़ में देखा हुआ लगता है. कुछ नयापन नहीं महसूस नहीं होता.
एक शिकायत शो की कास्टिंग को लेकर भी है. शो में जो मुख्य कलाकार हैं वो तो अच्छा परफॉर्म करते हैं. जिनके बारे में आगे बात भी करेंगे. लेकिन इनके अलावा अन्य कास्ट एकदम फ़ीकी पड़ती है. कई-कई जगहों पर तो सपोर्टिंग एक्टर्स के कारण अच्छे भले सीन की भद्द पिटते हुए भी आप शो में देखेंगे.

# फेयर वर्क वाले पन्ने

शो का मजबूत पक्ष है इसकी राइटिंग. जिससे पता नहीं क्यों शुरुआत से ही हमें 'TVF' के तड़के की सुगंध आ रही थी. लेकिन शो तो ये TVF का नहीं था. बाद में जब इसके क्रिएटर और राइटर का नाम पढ़ा तब समझ आया आखिर ऐसा क्यों था. 'कैंपस डायरीज़' को लिखा है प्रेम मिस्त्री और अभिषेक यादव ने. प्रेम ने ही ये शो डायरेक्ट किया है. और ये दोनों ही 'कोटा फैक्ट्री', 'परमानेंट रूममेट्स' जैसे TVF के किचन से निकले शोज़ के पीछे के हेड शेफ रहे हैं. इस शो में भी अभिषेक और प्रेम ने कॉलेज कैंटीन में चलने वाली गप्पों से लेकर एकतरफ़ा, दोतरफ़ा, चौतरफ़ा मोहब्बत के समीकरणों तक सबको महीन डिटेल्स के साथ उतारा है.
राइटिंग में आने वाले रेफरेंस मज़ेदार लगते हैं. सीरीज़ में आपको 'गेम ऑफ थ्रोन्स' से लेकर 'ब्रेकिंग बैड' तक खूब सारे पॉप कल्चर रेफ़्रेंस मिल जाएंगे. इन संवादों में गालियां भी थोक के भाव से फिट की गई हैं. जो कई जगह नेचुरल लगती हैं. लेकिन कई जगह बहुत फोर्स्ड लगती हैं. मानो ह्यूमर की बाल्टी में रंग खत्म हो गया, तो गालियों का गुब्बारा मार दिया. इन 'एक्स्ट्रा' गालियों से बचते तो शो ज़्यादा मज़ेदार होता. तारीफ़ यहां शो के सिनेमैटोग्राफर जेरिन पॉल की भी बनती है. जिन्होंने कॉलेज कैंपस को बहुत ही खूबसूरत ढंग से पेश किया है.
सुष्मिता एंड सान्या.
सुष्मिता एंड सान्या.

# एक्टिंग कैसी रही

इस शो की कास्ट का सबसे पॉपुलर चेहरा हैं हर्ष बेनीवाल. हर्ष जानेमाने यूट्यूबर हैं. मोस्टली अपने यूट्यूब चैनल पर कॉमेडी गैग्स बनाते हैं. यहां भी उन्होंने मोस्टली अपने चैनल वाली कॉमेडी ही की है. एक बहुत ही 'क्लीशे' हरयाणवी एक्सेंट के साथ. लेकिन कुछ इमोशनल सीन्स में उनकी परफॉरमेंस देख उनका एक्टिंग ग्राफ उठता दिखता है. एकदम तेज़तर्रार सुष्मिता के रोल में सलोनी खन्ना इम्प्रेस करती हैं. उनके वो सीन्स, जहां वो एकदम बेबाकी से कॉलेज सिर पर उठा लेती हैं, मज़ेदार लगते हैं. इम्प्रेस करने के मामले में सलोनी से सवा ग्राम ज़्यादा इम्प्रेस किया सान्या का किरदार निभा रहीं सृष्टि रिंदानी ने. एक स्मॉल टाउन नर्ड किस्म की लड़की के रोल को सृष्टि ने बारीकी से पकड़ा है. सान्या का किरदार कई अप-डाउन से गुज़रता है. इस अप-डाउन को सृष्टि अपनी एक्टिंग से सी-सॉ की तरह काबलियत से मैनेज करती हैं.
अभिलाष की भूमिका में ऋत्विक साहोर सहज रहे. हालांकि उनके लिए अभिलाष का किरदार रूटीन जॉब रहा होगा. वो ऐसे कॉलेज स्टूडेंट के किरादर कई सालों से निभाते आ रहे हैं. एक जागरूक क्रांतिकारी किस्म की प्रियंका के रोल में सलोनी गौर भी अपना काम बखूबी करती हैं. यहां स्पेशल मेंशन बनता है राघव गुप्ता का रोल निभाने वाले अभिनव शर्मा का. एक ड्रग एडिक्ट स्टोनर के बेसिक नुआन्सेस अभिनव ने खूब पकड़े हैं. उनकी आंखें, आवाज़ आपको संदेह में डाल देंगी कि कहीं वो वाक़ई में तो नशे में नहीं हैं.
अभिनव शर्मा ने स्टोनर का रोल कमाल किया है.
अभिनव शर्मा ने स्टोनर का रोल कमाल किया है.

# देखें या नहीं

'कैंपस डायरीज़ में खूब सारा ह्यूमर है, मज़ेदार रेफ़्रेंसेस है, कैची पंचलाइन्स हैं. जो आपको खूब हंसाती भी हैं. लेकिन दिक्कत है इस शो की लेंथ. जिस कारण ह्यूमर बैक टू बैक नहीं आता. बीच-बीच में कुछ सीन बहुत ही गैरज़रूरी आते हैं. जो शो का पेस और दर्शक के मनोरंजन का फ्लो दोनों को ही स्लो कर देते हैं. जिस कारण ये शो अच्छे-बुरे के बीच में पड़ने वाली 'ठीक-ठाक' कैटेगरी में गिरता है. ये है हमारी राय, बाकी फैसला आपका.