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'जोगी' फिल्म के सबसे सेंसटिव सीन को अली अब्बास ज़फर ने कैसे शूट किया?

एक सीन में दिलजीत दोसांझ दंगे से बचने के लिए अपने बालों को काटते हैं. इसी सीन को कैसे शूट किया गया इस बारे में अली ने बात की.

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दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'जोगी' नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है. वहां से देख सकते हैं.

दिलजीत दोसांझ की हाल ही में एक फिल्म आई है. नाम है ‘जोगी’. अली अब्बास ज़फर के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को ऑडियंस से ठीक-ठाक रिस्पॉन्स मिला. 1984 में हुए सिख दंगों पर आधारित इस फिल्म में कुछ सीन्स बहुत सेंसटिव हैं. खासकर वो सीन जब दिलजीत का किरदार दंगे से बचने के लिए अपने बालों को काटता है. गुरुद्वारे के उस सीन की सभी ने तारीफ की. इस सीन को संवेदनशीलता से फिल्माने के लिए अली अब्बास ज़फर के डायरेक्शन की तारीफ हुई. अब अली ने इस सीन को शूट करने के पीछे की कहानी बताई है.  

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इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में अली ने बताया,

सबसे ज़रूरी बात ये थी कि जब भी मैं इस स्क्रिप्ट को पढ़ता, तो मुझे लगता कि ये सीन उस समुदाय के साथ न्याय तो कर रहा है न. जब दिलजीत ने ये स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मैंने उनसे पूछा कि क्या हमें इससे कुछ चीज़ें हटा देनी चाहिए, जो सेंसटिव हैं? मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा. उन्होंने बस ये बोला कि आपने जो लिखा है, वो सच में हुआ था. दिलजीत वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि ये सीन ही फिल्म की जान है. इस समुदाय से जुड़ा कोई भी व्यक्ति अपने समुदाय की जान बचाने के लिए ये कुर्बानी देगा. और इसीलिए ये सीन फिल्म का सबसे ज़रूरी सीन है.

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सीन को शूट करने को लेकर अली ने कहा,

जब मैं सेट पर आया, मैंने कैमरा सेट किया. और सभी क्रू मेंम्बर्स से कह दिया कि हम इस सीन को तीन या चार बार शूट नहीं करेंगे. ये सीन एक टेक में किया जाएगा. मैंने अपने टेक्निशियन्स से भी कह दिया था कि ये सीन सिर्फ एक बार में शूट किया जाएगा. इसलिए जो भी करना हो पहले से तैयारी कर लें. मैंने ये भी कहा कि अपने-अपने कैमरों को लॉक करके बाहर चले जाएं. जब दिलजीत आए तो मैंने उनसे बस पांच मिनट बात की. उन्हें बताया कि मैं सीन में क्या चाहता हूं. मैंने उनसे ये भी कहा कि इस सीन को मुझसे बेहतर आप स्क्रीन पर करेंगे. मैं आपको बस मोटिवेशन दे सकता हूं. लेकिन इस सीन में मैं आपको डायरेक्ट नहीं करना चाहता. ये आपका सीन है. आपको इसे अपना बनाकर करना है.

अली ने आगे बताया,

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मैं इस सीन के बारे में बात करते हुए बहुत इमोशनल हो जाता हूं. उस वक्त वहां सिर्फ 5-6 लोग मौजूद थे. सभी शूट के वक्त नीचे देख रहे थे. सभी की आंखों में आंसू थे. ये आप तभी फील कर सकते हो, जब आप फिल्म देखोगे. तभी आपको समझ आएगा कि फिल्म में दिलजीत उस वक्त क्या कर रहे हैं. फिल्म का ये पूरा सीन मेरे द्वारा किए गए सबसे मुश्किल सीन्स में से एक था. मगर जितना ही ये मुश्किल था उतना ही खूबसूरत भी.

कुछ ऐसा ही सीन आपको आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में भी देखने को मिलता है. जब दंगे भड़कने के बाद लाल की मां (मोना सिंह) टूटे हुए कांच से अपने बेटे के सिर का बाल काट देती है. ताकि 84 के दंगों में उसकी जान न जाए. खैर, ‘जोगी’ फिल्म में दिलजीत के साथ हितेन तेजवानी, कुमुद मिश्रा भी दिखाई दिए थे. आप चाहें तो इसका रिव्यू हमारी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं. ‘जोगी’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है.

वीडियो: मूवी रिव्यू: जोगी

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