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वेब सीरीज़ रिव्यू- ऐसा वैसा प्यार

इस सीरीज़ को देखकर ये नहीं कहा जा सकता ये निरी वाहियात या अन-वॉचेबल सीरीज़ है.

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वेब सीरीज़ 'ऐसा वैसा प्यार' की चार अलग-अलग कहानियों के स्क्रीनग्रैब्स. इस सीरीज़ को आशीष पाटिल ने डायरेक्ट किया है.
नेटफ्लिक्स और एमेज़ॉन प्राइम वीडियो के बाद इरोज़ नाव भी एक एंथॉलोजी लेकर आया है. चार शॉर्ट फिल्म्स को मिलाकर बनी इस सीरीज़ का नाम है- 'ऐसा वैसा प्यार'. बेसिकली ये सीरीज़ चार अलग-अलग तरह की प्रेम कहानियों की बात करती है.
# पहली कहानी का नाम है- 'प्यार दोस्ती और जिम्मी पाजी' . इसमें प्रीत कमानी और अहसास चानना ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. ये कहानी 'एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते' वाले कॉन्सेप्ट को आइना दिखाने का काम करती है. मगर बहुत इन योर फेस तरीके से. दो दोस्त हैं, जो एक-दूसरे से लिटरली सबकुछ शेयर करते हैं. मगर जब लड़की किसी और लड़के के साथ डेट पर जाती है, लड़का जेलस फील करने लगता है. उसे लगता है कि वो उससे प्यार करता है. इज़हार-ए-मोहब्बत होता है. मगर उन दोनों को फौरन ये रियलाइज़ हो जाता है कि वो दोनों दोस्त ही अच्छे थे.
मगर इस कहानी की सबसे खास बात हैं जिम्मी शेरगिल. जिम्मी शेरगिल इंडिया के कुछ अंडर-रेटेड एक्टर्स में से एक हैं. इस कहानी में उनका ज़िक्र कई बार आता है. ऐसा लगता है मानों उन्हें ट्रिब्यूट दिया जा रहा है. ये बड़ा अच्छा लगता है. क्योंकि वी बिलीव इन जिम्मी शेरगिल सुप्रीमेसी.
पहली कहानी के मुख्य पात्र, जो पहले दोस्त होते हैं. मगर उन्हें लगता है कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं. मगर उन्हें लगता है कि वो दोस्त ही अच्छे थे. एक लड़का और एक लड़की दोस्त हो सकते हैं.
पहली कहानी के मुख्य पात्र, जो पहले दोस्त होते हैं. मगर उन्हें लगता है कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं. मगर उन्हें लगता है कि वो दोस्त ही अच्छे थे. एक लड़का और एक लड़की दोस्त हो सकते हैं.


# दूसरी कहानी का नाम है- 'प्यार इज़ अ बि*'. इसमें अदा शर्मा और अहसास चानना ने लीड रोल्स किए हैं. ये कहानी एक लड़की की है, जो एक बंदे के साथ लॉन्ग टाइम रिलेशनशिप में थी. मगर लड़के की डेथ के बाद लाइफ से उसका मन उचट जाता है. वर्कोहॉलिक हो जाती है. प्यार-मोहब्बत से विश्वास उठ जाता है. शॉर्ट में बोलें, तो उसमें हिम्मत नहीं होती कि वो फिर से किसी से प्यार करे और उसे खोने का ग़म सहे. मगर अपनी छोटी बहन के प्रेशर में वो लाइफ को एक और मौका देने का फैसला करती है. ये ऑप्टिमिज़्म की कहानी है. अपने अनुभवों के तले दबने की नहीं, उनसे सीखने की कहानी है. प्लस इसके कुछ एक सीन्स फनी हैं.
अपने खोए हुए प्रेम को याद करके रोती लड़की. इस कहानी में अदा शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई है.
अपने खोए हुए प्रेम को याद करके रोती लड़की. इस कहानी में अदा शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई है.


# तीसरी फिल्म का नाम है- 'SRK वाला प्यार'. इसमें रजित कपूर, शीबा चड्ढा जैसे वेटरन एक्टर्स ने काम किया है. 'परमानेंट रूममेंट्स' वाली निधि सिंह भी इस कहानी का हिस्सा हैं. ये कहानी है 40 साल से साथ रह रहे एक शादीशुदा जोड़े की. उनके बीच कभी न खत्म होने वाले प्यार की. उम्मीद की. ये ट्रैजिक सी लव स्टोरी है, जिसका एंड नहीं होता. अलज़ाइमर्स से जूझ रही पत्नी सबकुछ भूल चुकी है. अपने पति को, अपने बेटे को, खुद को. उसका पति रोज सुबह उठता है और उसी जतन और प्रेम से उसकी खोई यादाश्त वापस लाने की कोशिश करता है. इसमें उसकी मदद करते हैं शाहरुख खान. वो आदमी शाहरुख का फैन. शाहरुख की फिल्मी लाइनें बोलता हैं. उनके किरदारों की तरह कपड़े पहनता है. अपनी बीमार पत्नी को ठीक करने की बजाय, उसे वैसे ही प्यार करने की कोशिश करता है.
ये बड़ी रोमैंटिक सी कहानी है, जिसे देखते हुए आपको पति के किरदार पर प्रेम आता है. मगर आप उसकी सिचुएशन में कभी नहीं होना चाहते. यही चीज़ इसे बाकी कहानियों से अलग करती है. ये एस्पिरेशनल नहीं, इंस्पिरेशनल लव स्टोरी है. मगर चुटिले ट्रीटमेंट की वजह से आपको उस कहानी में दुख का भार नहीं महसूस होता है.
'SRK वाला प्यार' के एक सीन में रजित कपूर और शीबा चड्डा.
'SRK वाला प्यार' के एक सीन में रजित कपूर और शीबा चड्डा.


# इस एंथॉलोजी की चौथी और आखिरी कहानी का नाम है- 'प्यार पिक्चर और पॉपकॉर्न'. इसमें साकिब सलीम और निधि सिंह ने एक कपल का रोल किया है. ये कहानी 'ऑपज़िट अट्रैक्ट्स' वाले कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है. ये दो लोगों की कहानी है, जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. मगर एक-दूसरे के साथ प्रेम में हैं. ये बुनियादी तौर पर थोड़ी सी ओवर द टॉप और कम यकीनी है. मगर वेल परफॉर्म्ड और एंटरटेनिंग हैं. इसे देखते हुए ऐसा लगता है मानों इसमें पहली तीन कहानियों जितनी मेहनत नहीं की गई. सबसे डिस-अपॉइंटिंग वो गुस्से और मज़ाक वाला जोक है, जो हम न जाने कितनी बार सुन और देख चुके हैं.
इस एंथॉलोजी की चौथी कहानी के एक सीन में निधि सिंह और साकिब सलीम.
इस एंथॉलोजी की चौथी कहानी के एक सीन में निधि सिंह और साकिब सलीम.


अलग-अलग कहानियों पर बात हो गई! अब ओवरऑल इस एंथॉलोजी पर बात करते हैं. इंडिया में अब तक बनी एंथॉलोजी फिल्मों ने निराश किया है. चाहे वो नेटफ्लिक्स पर आई हों या प्राइम वीडियो पर. ओनिर की I Am और नेटफ्लिक्स की Lust Stories को छोड़कर. 'ऐसा वैसा प्यार' भी इंडियन एंथॉलोजी के इसी ट्रैक रिकॉर्ड को मेन्टेन करती है. इसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता ये निरी वाहियात और अन-वॉचेबल सीरीज़ है. मगर हमें अपना स्टैंडर्ड इस हिसाब से तय नहीं करना चाहिए कि पिछली फिल्में इतनी खराब रहीं कि ये अच्छी लग रही है. जब तक हम एक दर्शक के तौर पर औसत कॉन्टेंट में संतुष्ट होते रहेंगे, हमें औसत कॉन्टेंट ही परोसा जाता रहेगा. ये चीज़ बहुत बार कही और लिखी जा चुकी है. और तब तक कही और लिखी जाती रहनी चाहिए, जब तक हमारे यहां बन रहे कॉन्टेंट में सुधार नज़र न आने लगे.
इरोज़ नाव सीरीज़ 'ऐसा वैसा प्यार' का ऑफिशियल पोस्टर.
इरोज़ नाव सीरीज़ 'ऐसा वैसा प्यार' का ऑफिशियल पोस्टर.


हालांकि 'ऐसा वैसा प्यार' में चीज़ ऐसी है, जो इसे ऐसी वैसी एंथॉलोजी से अलग करती है. इस सीरीज़ की हर कहानी से एक कैरेक्टर अगली कहानी में कैरी फॉरवर्ड होता है. उससे ऐसा लगता है मानों वो कहानी को गूंथने या पिरोने की कोशिश कर रहा है. उससे दर्शकों को एक फ्लो मिलता है. मानों किसी ने एक डोर पकड़ा दी हो कि इसे पकड़कर आगे बढ़ो. कहीं तो पहुंचोगे ही. बाकी आप खुद देखकर फैसला करिए कि इस सीरीज़ के बारे में आपकी क्या राय है.

'ऐसा वैसा प्यार' को इरोज़ नाव की वेबसाइट और ऐप पर स्ट्रीम किया जा सकता है.