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गोविंदा की दस कॉमेडी फ़िल्में, जिन्हें सौ बार भी देखेंगे तब भी हंसी आएगी

जीवन में प्रॉब्लम है? गोविंदा के पास हल है.

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वन एंड ऑनली गोविंदा.
खाने के साथ किसी को अचार चाहिए होता है, किसी को पापड़, किसी को रायता तो किसी को सलाद. लेकिन जब मैं छोटा था, मेरे को लगता था टीवी. इसी चक्कर में बचपन में मैंने कभी अकेले खाना नहीं खाया. जब भी खाया अपनी पैंट-शर्ट को साथ में खिलाया. अब ज़िंदगी में रोना-धोना तो लगा ही रहता है, तो फिल्मों में रोना-धोना क्यों देखें. इसलिए अपन तो फिल्में देखते थे भाई कॉमेडी.अगर चैनल सर्फिंग करते हुए किसी चैनल पर गोविंदा की कोई कॉमेडी फिल्म मिल गई, फ़िर तो मतलब खाने का स्वाद डबल ही हो जाता था. संघर्ष की घड़ी तब आती थी जब हर चैनल पर गोविंदा की कॉमेडी फिल्में आ रही हों. सालों बीत गए. लेकिन आदत आज भी वही है. फिल्में भी वही हैं. फिल्मों और खाने का स्वाद भी वही है. कई फिल्में तो इतनी बार देख ली हैं कि डायलॉग कंठस्थ हैं. गोविंदा के एक्सप्रेशन, कॉमिक टाइमिंग, बॉडी लैंग्वेज इतने गजब के होते हैं कि सौवीं बार भी हंसी आ ही जाती है. आज गोविंदा की 10 सबसे फनी फिल्मों और कैरेक्टर्स के बारे में बात करते हैं. #दूल्हे राजा मैं तो आप ही की तरफ़ हूं.
मैं तो आप ही की तरफ़ हूं.

'अबे तू मेरी तरफ़ है या इसकी तरफ़ है'

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1998 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'दूल्हे राजा'. पब्लिक को लगता है गोविंदा ने हिट कॉमेडी सिर्फ डेविड धवन के साथ ही दी हैं. तो बता दें इस फिल्म के डायरेक्टर डेविड नहीं बल्कि हर्मेश मल्होत्रा थे. जो पहले 'नगीना' जैसी कई फिल्में भी बना चुके थे. फ़िल्म में गोविंदा उर्फ राजा और कादर खान उर्फ केके सिंघानिया की टॉम एंड जैरी के तर्ज पर ढाबे और 5 स्टार की लड़ाई लोटपोट कर देने वाली है. साथ में जॉनी लीवर और असरानी जैसे कलाकारों की बदौलत फ़िल्म आज भी जब भी टीवी पर आती है तो बहुत अच्छी TRP पाती है. फ़िल्म का म्यूजिक भी फुलऑन गोविंदा स्टाइल है. 'सुनो ससुर जी', 'कहां राजा भोज कहां गंगू तेली' ऐसे गाने हैं जिन्हें स्किप करने का मन नहीं करता. और 'अंखियों से गोली मारे' का तो मोनोलॉग मानव कार्तिक आर्यन ने रीमेक भी बना लिया. लेकिन ओरिजनल की बात ही निराली है. इस सदाबहार म्यूजिक को कम्पोज़ किया था आनंद-मिलिंद की जोड़ी ने. ना जाने कितनी बोर दुपहरियों को इस फ़िल्म ने मनोरंजक बनाया है. #अंखियों से गोली मारे अब तो ये तलवार तब हटेगीलूलू जब तेरी गर्दन कटेगीलूलू.
अब तो ये तलवार तब हटेगी लूलू जब तेरी गर्दन कटेगी लूलू.

"लू लू लू लू लू लू लू लू लू"

'दूल्हे राजा' के ही डायरेक्टर हर्मेश मल्होत्रा की 2004 में रिलीज़ हुई फ़िल्म है 'अंखियों से गोली मारे'. इसका टाइटल भी 'दूल्हे राजा' के गाने से ही निकला है. राज ओबेरॉय उर्फ बोबड़ेया दादा का रोल गोविंदा के कुछ फनियेस्ट रोल्स में से एक है. गोविंदा जब-जब फ़िल्म में उधर जीभ लपलपाते थे इधर हम हंसते हुए लबलबा जाते थे. साथ में चोर बाज़ार में 'ऑनस्टी स्टोर' के मालिक भंगारी दादा के तो क्या कहने. अनेकों फिल्मों में कादर सर खुद से ही कितने डायलॉग इम्प्रोवाइज़ कर के डायरेक्टर्स का काम आसान करते आ रहे हैं. मास्टर सुब्रमण्यम जॉनी लीवर और शक्ति दादा जैसे फ़िल्म में कई ऐसे ऐसे करैक्टर हैं जो फ़िल्म का मज़ा कम नहीं होने देते. लेकिन अफसोस की बात ये है कि फ़िल्म बॉक्स आफिस पर एकदम औंधे मुंह गिरी थी. मगर टीवी पर खूब टेलीकास्ट होती रहती है. #हसीना मान जाएगी मैं कह्या गुलज़ारी लाल
मैं कह्या गुलज़ारी लाल

"साब जी.. जो चाचा है वही भतीजा है..जो भतीजा है वही चाचा है...और चाचा कोई है ही नहीं"

डेविड धवन की 1999 में आई फ़िल्म 'हसीना मान जाएगी' 1966 में रिलीज़ हुई शशि कपूर की फ़िल्म 'प्यार किये जा' से इंस्पायर्ड है. जो कि खुद 1964 में आई तमिल फिल्म 'कड़ालिक्का नेरामिल्लई' से इंस्पायर्ड है. गोविंदा और संजू बाबा फ़िल्म में भाई बने हैं. सोनू-मोनू. गोविंदा चाचा भी बन जाते हैं बीच-बीच में. गोविंदा की चाचा रायचंद की आवाज़ को लोग आज भी इमिटेट करते रहते हैं. इनके पिता हैं अमीरचंद यानी कादर खान साहब. इनके सेक्रेटरी हैं कुंज बिहारी सतीश कौशिक जी. 'सुनिए तो सही'. पूजा बत्रा और करिश्मा कपूर जी ही वो हसीनाएं हैं जिन्हें मनाया जा रहा है. इनके पिता हैं गुलज़ारी लाल यानी अनुपम खेर. इनकी बहन है संतो यानी अरूणा ईरानी. इनका नेपाली चौकीदार भी है जो डिटेक्टिव नावेल पढ़ता रहता है सारा दिन.
इस फ़िल्म में महिलाओं को लेकर कई जगह बेहद भद्दी बातें हैं, जो अगर ना होतीं तो ये फ़िल्म और ज्यादा मनोरंजक लगती. जैसे पूजा बत्रा अनुपम खेर से कहती हैं 'उसके पास मेरी कुछ वैसी फोटोज़ हैं और वो कहता है अगर उससे प्यार नहीं किया तो वो उस फोटो के पोस्टर लगवा देगा' मतलब सीधा सीधा ब्लैकमेलिंग.
मोनू अंधे होने का नाटक करता है ताकि पूजा को कपड़े बदलते हुए देख सके और ये बात मुंह पर भी बोलता है. गाना तो सुना ही होगा 'थोड़ा चीखेगी' थोड़ा चिल्लाएगी' दिल कहता है एक दिन हसीना मान जाएगी. इनके मुताबिक ईव टीज़िग ही प्यार की पहली सीढ़ी है. #एक और एक ग्यारह तारा ते सितारा.
तारा ते सितारा.

'पाजी कंट्रोल यार... ओये क्लीन बोल्ड यार'

गोविंदा के हैप्पी करैक्टर की बात चले और 2003 में रिलीज़ हुई 'एक और एक ग्यारह' के तारा सिंह का नाम ना जोड़ा जाए ऐसा तो कदापी नहीं हो सकता. डेविड धवन की इस फ़िल्म में संजय दत्त और गोविंदा चोर होते हैं. तारा-सितारा जो हिंदी-पंजाबी मिक्स ज़ुबान बोलते हैं. फ़िल्म के विलन कोबरा-पैंथर से गाने गाते हुए जूझते हैं. जब भी मूड ऑफ हो ये फ़िल्म देख लीजिए मूड ऑन हो जाएगा.
'6-6 गोली वाले बाबा हैं.. पैर छुओ नहीं तो आशीर्वाद मिलेगा' #सैंडविच मेराभांडा बचा लो यार.
मेराभांडा बचा लो यार.

'उसने लिखा कुछ..इसने पढ़ा कुछ..बोल रहा है बहुत कुछ...करना पड़ेगा कुछ'

'वेलकम' वाले अनीस बाज़मी की पहली कॉमेडी फिल्म 'सैंडविच'. फ़िल्म बन तो 2003 में ही गई थी. लेकिन रिलीज़ हुई 2006 में. इस बीच फ़िल्म का टाइटल भी कई बार चेंज हुआ. पहले था 'हम दो हमारा एक' फिर हुआ 'डबल ट्रबल' अंत मे फ़िल्म रिलीज़ हुई 'सैंडविच' के नाम से. फ़िल्म में गोविंदा डबल रोल में थे. एक शेखर - एक शेरसिंह. दो बीवियां थी. एक स्वीटी यानी महिमा चौधरी और एक निशा यानी रवीना टंडन. ये फ़िल्म टेलिविज़न पर खूब चलती है. गोविंदा शेरसिंह के अवतार में ज़बरदस्त ठिठोली करते हैं. कुछ साल पहले आमिर खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 'सैंडविच उनकी फेवरेट फ़िल्म है. वो 12-13 बार इस फ़िल्म को देख चुके हैं. #भागम भाग पुड़िया बोल पुड़िया
पुड़िया बोल पुड़िया


साल 2006 में आई प्रियदर्शन की फ़िल्म 'भागम भाग'. इस मूवी में उस वक़्त प्राइम में चल रहे अक्षय के साथ थे गोविंदा. बंटी और बाबला. लेकिन जिस सीन में अक्षय के साथ  गोविंदा आए, सीन खा गए. टाइमिंग, डायलॉग डिलीवरी से फालतू से फालतू डायलॉग को भी फनी बना दिया. फ़िल्म ज़बरदस्त चली. लोगों को खूब पसंद आई. हालांकि फ़िल्म का क्लाइमेक्स 1963 में आई हॉलीवुड फिल्म 'इट्स आ मैड, मैड, मैड, मैड वर्ल्ड' से कॉपी किया गया था. फ़िल्म का कुछ हिस्सा 1995 में आई मलयालम फ़िल्म 'मनर मथाई स्पीकिंग' से लिया गया था. कुछ हिस्सा मराठी फ़िल्म 'बिंधहष्ट' से भी लिया गया था. इतनी हिस्सेदारी के बाद जो फ़िल्म बनी वो मज़ेदार थी. गोविंदा को जितना स्क्रीन टाइम मिला गोविंदा ने उसमें जान डाल दी. #पार्टनर प्रेम भाई एंड भास्कर.
प्रेम भाई एंड भास्कर.

'ब्लडी भास्कर'

2007 में गोविंदा ने ज़ोर-शोर से कमबैक किया डेविड धवन की फ़िल्म 'पार्टनर' से. पहले फ़िल्म में इनका रोल छोटा था. लेकिन सलमान ने खुद कह कर गोविंदा का रोल अपने बराबर करवाया. दोनों की जोड़ी जनता को खूब जंची और फ़िल्म सुपर डुपर हिट हुई. गोविंदा ने भास्कर दिवाकर चौधरी बनकर खूब गुदगुदाया. अपनी पुरानी फिल्मों की तरह इस फ़िल्म में भी उनकी टाइमिंग बेमिसाल थी. नतीजन पूरी फिल्म में वो सलमान पर भारी पड़े. फ़िल्म पर कॉपी करने का मुकदमा भी हुआ था. क्योंकि फ़िल्म का काफी हिस्सा 'हिच' नाम की हॉलीवुड फ़िल्म से लिया गया था. लगता है इसी मुकदमे के चक्कर में डेविड जी ने फिल्में कॉपी करनी छोड़ दी और शायद इस वजह से ये उनकी लास्ट हिट फ़िल्म बन गई. #हीरो नंबर वन तेरे प्यार में क्या-क्या ना बना मीना.
तेरे प्यार में क्या-क्या ना बना मीना.

'कमरा हमारा गाउन हमारा गाल हमारा और हाथ तुम्हारा....बहुत नाइंसाफी है ये'

1997 में आई इस फ़िल्म का टाइटल गोविंदा की पहचान बन गया. 'हीरो नंबर वन'. डेविड धवन ने ये फ़िल्म राजेश खन्ना वाली 'बावर्ची' से इंस्पायर्ड हो कर बनाई थी. फ़िल्म में करिश्मा कपूर थीं. इनसे शादी करने के चक्कर में गोविंदा राजू नौकर बन गए थे. फ़िल्म में कादर खान, परेश रावल जैसे मंझे हुए एक्टर्स तो थे ही. म्यूज़िक भी अप्रतीम था. 'सोना कितना सोना' और 'सातों जन्म तुझको पाते' जैसे गाने आज भी सबको थिरकने पर मजबूर कर देते है. इस फ़िल्म में भी थोड़ी नकलबाज़ी की गई है. फ़िल्म में सीन है जिसमे गोविंदा कार में कपड़े बदलते हैं, ब्रश करते हैं. ये सीन डेविड साहब ने क्लासिक 'मिस्टर बीन' से अंटाया था. #बड़े मियां छोटे मियां भैय्ये ये तो मेरी जौंगा है.
भैय्ये ये तो मेरी जौंगा है.

'ऐ.. अपने आप को मुग़ल-ए-आज़म और हमको अनारकली समझा है बे..... कितना नचा रहा है'

1998 में बच्चन साहब के डूबते करियर को इस फ़िल्म से तिनके का सहारा मिला. गोविंदा के साथ बच्चन साब की जोड़ी रम गई और फ़िल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. गोविंदा छोटे मियां और अमिताभ बच्चन बड़े मियां जब अनुपम खेर, सतीश कौशिक और परेश रावल के साथ जूझते हैं तो मज़ा आ जाता है. गोविंदा के यादगार कॉमिक रोल्स में छोटे मियां भी एक है. #हद कर दी आपने रियली ?
रियली ?

'बाप का राज है क्या ?.... हां मेरा नाम राज है और मैं अपने बाप का राज हूं'

साल 2000 में आई 'हद कर दी आपने' में गोविंदा ने एक्टिंग की हदें पार कर दी. बच्चे तो हाल फिलहाल 'फेस एप्प' से अलग अलग शकलें बना रहे हैं. लेकिन गोविंदा ने एक ही फ़िल्म के एक ही सीन में छह अलग-अलग मेल-फीमेल किरदार किए थे जो आजतक इनके अलावा किसी ने नहीं किए. फ़िल्म कंफ्यूजिंग कॉमेडी थी. फ़िल्म में कई सीन ऐसे हैं जिसमें गोविंदा ने बवाल मचा दिया है. म्यूज़िक की बात करें तो 'ओये राजू प्यार ना करियो' तो आज भी कईयों को सेंटी कर देता है. #स्टिल हीरो नंबर वन गोविंदा को मिला ये टाइटल उन पर पूरा सूट करता हैं. एक्सप्रेशन के मामले में इनकी टक्कर के गिनती के लोग ही हैं. आजकल एक्टर्स मोनोलॉग बोलने को एक्टिंग समझ लेते हैं. जबकि गोविंदा मोनोलॉग बोलने में इन न्यू एडमीशन बच्चों के प्रिंसिपल है. डांस का अपना एक अलग यूनीक स्टाइल जिसकी कॉपी कर कर के कितने डब्बू और कृष्णा अपनी दुकान चला रहे हैं. हां ये सच है कि बड़े पर्दे पर गोविंदा का सफर काफ़ी समय पहले ही खत्म हो चुका है. लेकिन छोटे पर्दे के रहते हुए गोविंदा का नाम कभी ओझल नहीं होगा. सालों बाद भी अगर टीवी पर कोई बच्चा कोई फिल्मी चैनल खोलेगा तो वो गोविंदा से इम्प्रेस हुए बिना रह नहीं पाएगा.

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