The Lallantop

महबूबा मुफ्ती चुनाव नहीं लड़ेंगी, कारण 5 साल पहले बोली गई एक बात

Jammu Kashmir Assembly Elections के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दोनों पार्टियां हमेशा सत्ता में रहने के लिए एक साथ आती हैं.

post-main-image
Mehbooba Mufti का कहना है कि वो अगर सीएम बन भी गईं तो भी वो केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पार्टी के एजेंडे को पूरा नहीं कर पाएंगी. (फोटो- PTI)

जम्मू-कश्मीर में चुनाव (Jammu Kashmir Election) से पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का बड़ा एलान सामने आया है. महबूबा ने कहा कि वो जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. मुफ्ती का कहना है कि वो अगर सीएम बन भी गईं तो भी वो केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पार्टी के एजेंडे को पूरा नहीं कर पाएंगी.

28 अगस्त को चुनाव न लड़ने की सूचना देते हुए PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा,

"मैं भाजपा के साथ एक सरकार में मुख्यमंत्री रही हूं. उस सरकार ने  साल 2016 में 12 हजार लोगों के खिलाफ FIR वापस ले ली थी. क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं? मैंने पीएम मोदी के साथ एक सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था. क्या आज ऐसा कर सकते हैं? मैंने जमीन पर संघर्ष विराम लागू करवाया था. क्या आज ऐसा किया जा सकता है? यदि आप मुख्यमंत्री के रूप में एक FIR वापस नहीं ले सकते हैं, तो ऐसे पद पर रहने पर कोई क्या कर सकता है?"

महबूबा मुफ्ती से इस फैसले के पीछे का कारण भी पूछा गया. साथ ही ये भी कहा गया कि क्या चुनाव लड़ने को लेकर उनका मन इस लिए बदला है क्योंकि उनके धुर विरोधी उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक चुनाव में भाग नहीं लेने के अपने रुख से यू-टर्न ले लिया है? दी हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जवाब में मुफ्ती ने कहा,

"उमर ने खुद कहा है कि उन्हें चपरासी के तबादले के लिए भी लेफ्टिनेंट गवर्नर के दरवाजे पर जाना होगा. मैं चपरासी के तबादले को लेकर चिंतित नहीं हूं, लेकिन क्या हम अपना एजेंडा लागू कर सकते हैं?"

दरअसल, अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से ही महबूबा मुफ्ती कहती रही हैं कि वो चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी. हालांकि. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग सीट से चुनाव लड़ा था. ये उनकी पारंपरिक सीट रही है. 

इधर, 27 अगस्त को नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी की गई लिस्ट में उमर अब्दुल्ला का नाम शामिल था. जबकि उमर ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लेने की बात कही थी. पार्टी ने 27 अगस्त को 32 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गांदरबल से चुनाव लड़ेंगे. इसी सीट से उन्होंने 2008 में जीत हासिल की थी.

जम्मू-कश्मीर चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दोनों पार्टियां हमेशा सत्ता में रहने के लिए एक साथ आती हैं. उन्होंने कहा,

“साल 2002 में जब हमने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, तो हमारे पास एक एजेंडा था. हमने सैयद अली गिलानी को जेल से रिहा कराया था. क्या आप आज ऐसा करने के बारे में सोच सकते हैं? साल 2014 में जब हमने भाजपा सरकार के साथ गठबंधन किया तो हमारे पास गठबंधन का एक एजेंडा था. उसमें हमने लिखित में कहा था कि अनुच्छेद 370 को नहीं छुआ जाएगा, AFSPA को निरस्त किया जाएगा, पाकिस्तान और हुर्रियत के साथ बातचीत की जाएगी, बिजली परियोजनाओं की वापसी की जाएगी, आदि. हमारे पास तब एक एजेंडा था.” 

महबूबा ने कहा कि जब कांग्रेस और NC गठबंधन करते हैं तो ये सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए होता है.

बारामूला से लोकसभा सांसद शेख अब्दुल राशिद और अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को चुनाव से पहले जेल से रिहा किए जाने की संभावना पर महबूबा ने कहा कि ये अच्छी बात होगी. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वो उन कम चर्चित लोगों को भी रिहा करने पर विचार करे जो जमानत के हकदार हैं, लेकिन उन्हें इससे वंचित कर दिया गया है.

वीडियो: नेता नगरी: कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वाले वादे पर BJP और मोदी से कहां बड़ी चूक हो गई?