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गुजरात में कांग्रेस की हार की सारी वजहें पता चल गईं!

सात सीटें ऐसी थी जहां आज तक बीजेपी नहीं जीत पाई थी, वहां भी कांग्रेस हार गई.

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राहुल गांधी (फोटो- पीटीआई)

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रिकॉर्ड जीत के उलट कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है. बीजेपी 182 सीटों में से 156 सीटें जीत गई. वहीं कांग्रेस पिछले चुनाव में जीती गई 77 सीटों से घटकर 17 पर पहुंच गई. गुजरात में बीजेपी की जीत से ज्यादा चर्चा कांग्रेस की हार को लेकर हो रही है. दी लल्लनटॉप के राजनीतिक किस्सों पर खास कार्यक्रम 'नेतानगरी' में गुजरात में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर चर्चा हुई. इसमें एक्सपर्ट ने इस बुरी हार के पीछे कई वजहें गिनाईं.

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'कांग्रेस लड़ने के मूड में नहीं थी'

अहमदाबाद मिरर के ग्रुप एडिटर अजय उमट ने कार्यक्रम में बताया, ऐसा लगा कि कांग्रेस पार्टी इस बार चुनाव लड़ने के मूड में ही नहीं थी. कांग्रेस की प्राथमिकता में ही नहीं थी. उनकी प्राथमिकता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा थी. उन्होंने आगे कहा, 

“गुजरात में कांग्रेस ने कई सर्वे भी करवाए, इससे उनको आकलन आ गया था कि उनकी दाल नहीं गलने वाली है. अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभारी बनाया था. वो खुद ही काफी उलझे हुए थे. एक तरफ सचिन पायलट के साथ, दूसरी तरफ राजस्थान की अपनी गद्दी बचाने के लिए, तीसरी तरफ कांग्रेस के अध्यक्ष ना बन पाने के लिए. तो किसी ने गुजरात की तरफ ध्यान नहीं दिया.”

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अजय उमट की माने तो कांग्रेस के पास पब्लिक मीटिंग और दूसरी चीजों के लिए संसाधन भी नहीं थे. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी का करिश्मा अपनी जगह था. इसके अलावा कांग्रेस में उन्हें जितने भी चुनौती देने वाले लगते थे, चाहे वो हार्दिक पटेल हो, अल्पेश ठाकोर हो सबको तोड़-तोड़कर वो अपनी पार्टी में ले आए. कुछ को तो नामांकन के बाद अपनी तरफ खींच लिया. आंकड़ों को देखेंगे तो पता चलेगा कि 45 सीटों को आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के लिए बिगाड़ी है.

अजय के मुताबिक, बीजेपी ने माइक्रो मैनेजमेंट कर एक-एक सीट पर प्लानिंग की. जहां डैमेज कंट्रोल करना पड़ा, वो भी किया. लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई रणनीति बनाने वाला नहीं था जो अहमद पटेल में दिखाई देती थी. उन्होंने कहा, 

“अहमद पटेल ऐसे व्यक्ति थे जो किसी उम्मीदवार को जरूरत पड़ने पर पैसे से लेकर हर संसाधन पहुंचाने में मदद करते थे, उनके इलाक में बड़े नेताओं की रैली करवाते थे. लेकिन इस बार कांग्रेस में ऐसा कोई नहीं था. गुजरात के विधायकों से अगर बात करें तो बताएंगे कि उनका मल्लिकार्जुन खड़गे या किसी दूसरे नेताओं के साथ कोई संपर्क नहीं है. सोशल मीडिया पर भी कोई रणनीति नहीं थी.”

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'गुजरात को विकास और हिंदुत्व का कॉकटेल पसंद' 

वहीं आजतक की एडिटर (गुजरात) गोपी मनिआर घांघर ने बताया कि 27 सालों की एंटी इन्कंबेंसी थी. कांग्रेस के नेता कहते रहे कि उन्हें आम आदमी पार्टी से कोई नुकसान नहीं है. लेकिन नतीजों को देखेंगे तो 40 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां AAP दूसरे नंबर पर रही. सात सीटें ऐसी थी जहां आज तक बीजेपी नहीं जीत पाई थी, वहां भी कांग्रेस हार गई.

गोपी घांघर ने बताया, 

"गुजरात में कई आंदोलन हुए, विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन कांग्रेस के नेता कहीं दिखाई नहीं दिए. कांग्रेस को खुद सोचना है कि गुजरात के अंदर दोबारा कैसे खड़ा होना है. क्योंकि विपक्ष के तौर पर भी 17 सीटें ही आई हैं. अगर पार्टी खुद को खड़ा नहीं करती है तो 2027 में बीजेपी बनाम आम आदमी पार्टी हो जाएगा."

गोपी के मुताबिक, नरेंद्र मोदी ने पिछले 20 सालों में विकास और हिंदुत्व का ऐसा 'कॉकटेल' बनाया जो गुजरात के लोगों को खूब पसंद है. आम आदमी पार्टी भी उसी रास्ते चलना चाहती थी, इसलिए उन्हें फायदा भी हुआ.

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