पिछले साल महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखा गया था. अजित पवार सहित NCP के 31 विधायक बीजेपी-शिवसेना (शिंदे) गुट की सरकार में शामिल हो गए. इससे पहले अजित पवार के खिलाफ बीजेपी के नेताओं ने अजित पवार (Ajit Pawar) सहित इन विधायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. लेकिन अजित अब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के समकक्ष शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. वही फडणवीस जिन्होंने कहा था कि 'अजित पवार चक्की पीसिंग और चक्की पीसिंग'. बहरहाल, सिंचाई घोटाले में क्लीनचिट मिलने पर तस्वीर बदल गई है.
अजित पवार को 'चक्की पीसिंग...' कहने वाले फडणवीस ने अपने यू-टर्न पर सफाई दी
Ajit pawar पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले देवेंद्र फडणवीस अब उन्हीं के समकक्ष शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. इस बदली तस्वीर पर फडणवीस ने लल्लनटॉप के पॉलिटिकल इंटरव्यू शो 'जमघट' में खुलकर बात की है.


लल्लनटॉप के पॉलिटिकल इंटरव्यू शो 'जमघट' में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बदले रुख पर दिलचस्प जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के जो आरोप मैंने लगाए थे. वो 2010-11 में लगाए थे. जब उसकी जांच हुई तो कई आरोप सही पाए गए. कई दर्जनों सीनियर इंजीनियर चीफ इंजीनियार, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर दोषी पाए गए. कुछ लोग सस्पेंड हुए, कुछ नौकरी से हटाए गए, कुछ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई, और कुछ लोग कनविक्ट (दोषी) पाए गए. उन्होंने आगे कहा,
इसका फायदा क्या हुआ? वो जिस तरह का करप्शन करते थे. एस्टीमेट का घोटाला, टेंडर का घोटाला करते थे. पोस्ट टेंडर अपडेशन (टेंडर में गड़बड़ी) करते थे. हाई टेंडर को लो दिखाते थे. ये सारी चीजें बदली, कानून बदले , नए रूल बने, चीजे बदली, सुधार हुआ.
देवेंद्र फडणवीस ने ये बात कबूल की उन्होंने अजित पवार पर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा,
उस समय मैंने कहा था कि अजित दादा मंत्री हैं और इनके आशीर्वाद से ये सब हो रहा है. उसकी जब जांच हुई तो जांच में जितनी चार्जशीट हुई. एक चार्जशीट में एजेंसी ने कहा कि अभी तक अजित पवार या सुनील तटकरे का रोल नहीं मिला है. लेकिन हम जांच कर रहे हैं. और अगर रोल मिलेगा तो हम सप्लीमेंट्री चार्जशीट रखेंगे. और ये कब रखी थी? 8-9 साल पहले. तो अभी तक जितनी चार्जशीट हुई है किसी में भी इनका रोल डिफाइन नहीं हुआ है .
फडणवीस ने आगे कहा कि जो मैंने कहा था वो सच कहा था. लेकिन इसमें इनकी (अजित पवार) लिप्तता तो मैं नहीं बता सकता. वो एजेंसी को करना है. और उस समय तो सारी जांच उन्हीं की सरकार ने की थी. उन्होंने आगे कहा,
मैं ये मानता हूं कि घोटाला मैं बाहर लाया. इससे राज्य का फायदा भी हुआ. मैंने आरोप लगाया था. अभी तक एजेंसियां आरोप सिद्ध नहीं कर पाईं. इस मामले पर राजनीतिक जवाबदेही का तो पता नहीं लेकिन नैतिक जिम्मेदारी तो बनती है.
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क्या है सिंचाई घोटाला?2011-12 में भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट्स में महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्रालय में हुईं गड़बड़ियां उजागर की थी. CAG रिपोर्ट के मुताबिक, जल संसाधन मंत्रालय लंबे समय के लिए योजना नहीं बना रहा था, प्राथमिकता के आधार पर प्रोजेक्ट्स भी नहीं चुने जा रहे थे. साथ ही पर्यावरण से जुड़ी मंज़ूरी भी सही समय पर नहीं मिल रही थी. जिससे कई प्रोजेक्ट्स फंसे रह गए. इस बीच इकनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया कि 2001-02 से 2011-12 के बीच सिंचाई के लिए 70 हज़ार करोड़ खर्चे गए, लेकिन राज्य की सिंचाई क्षमता में सिर्फ 0.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ. उस वक्त अनुमान लगाया गया कि ये सिंचाई घोटाला करीब 35 हज़ार करोड़ का हो सकता है. सिंचाई मंत्रालय 1999 से ही NCP के पास था. घोटाला उजागर होने तक अजित पवार लंबे समय तक इस मंत्रालय के मंत्री रहे थे. बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
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