प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जनवरी को दिल्ली में चुनाव प्रचार शुरू किया. प्रचार अभियान शुरू करने के लिए पीएम मोदी ने अशोक विहार को चुना. उन्होंने झुग्गी बस्ती में रहने वाले 1675 परिवारों को 'स्वाभिमान फ्लैट्स' की चाबी सौंपी. इन फ्लैट्स को झुग्गी बस्ती के स्थान पर ही बनाया गया है. वहीं राहुल गांधी ने 13 जनवरी को चुनाव अभियान शुरू किया. उन्होंने सीलमपुर के जीरो पुश्टा में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली’ की. सीलमपुर के जिस इलाके में कांग्रेस ने रैली की वहां बड़ी तादात में झुग्गियां हैं.
दिल्ली चुनाव: झुग्गी बस्तियों के लिए क्यों उमड़ रहा पार्टियों का प्यार? वहीं छिपी है जीत की चाभी
बीजेपी पिछले साल से ही झुग्गी बस्तियों पर फोकस करती आ रही है. पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार झुग्गी बस्तियों से ही शुरू किया. अरविंद केजरीवाल तो कह रहे हैं झुग्गी वालों को घर दे दिया जाए, वो चुनाव ही नहीं लड़ेंगे.

उधर अरविंद केजरीवाल लंबे समय से दिल्ली में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. हालांकि उनको झुग्गियों की याद थोड़ी देर से आई, लेकिन कसर उन्होंने भी नहीं छोड़ी. 12 जनवरी को शकूर बस्ती में केजरीवाल ने कहा कि अगर बीजेपी की केंद्र सरकार झुग्गी वालों पर किए गए केस वापस ले ले और उन्हें पुर्नस्थापित करा दे तो केजरीवाल चुनाव ही नहीं लड़ेंगे.
मोटी बात ये कि चुनाव की तारीख नज़दीक आते-आते दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में राजनीतिक पार्टियों की दौड़ तेज़ हो गई है. हर चुनाव के वक्त ये हमदर्दी जागती है, फिर अगले पांच साल झुग्गीवाले कमोबेश उसी स्थिति में पड़े रहते हैं. 5 फरवरी को दिल्ली में चुनाव हैं. बीजेपी ने काफी पहले से झुग्गी बस्तियों पर फोकस करना शुरू कर दिया था. 16 दिसंबर, 2023 को NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली बीजेपी के नेताओं ने लोगों से सीधे बातचीत करने और उनकी चुनौतियों को समझने के लिए शहर भर में 1,194 झुग्गी बस्तियों में रातें बिताईं. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में पार्टी ने झुग्गीवासियों को लुभाने के लिए पिछले नवंबर से ही काम शुरू कर दिया था. अब ये जिम्मा बीजेपी के बड़े नेताओं, सांसदों और मंत्रियों पर है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते शनिवार को दिल्ली में झुग्गी बस्ती प्रधान सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा,
"दिल्ली को 'आप-दा' से मुक्ति दिलाना झुग्गियों की जिम्मेदारी है. हमने आपकी सभी जरूरतों की सूची बनाकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पीएम मोदी को सौंप दी है. जैसे ही हम जीतेंगे, हम आपकी सभी समस्याओं को दूर कर देंगे."

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी चुनाव के दौरान दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में दौड़भाग कर रही है. पिछले चुनाव में भी बीजेपी सांसदों को ये जिम्मादारी दी गई थी कि वो झुग्गी बस्तियों में जाकर रात बिताएं और लोगों को पार्टी के पक्ष में मनाएं. नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में चुनाव से 3 दिन पहले पार्टी ने ये फैसला लिया था. कुछ ऐसी ही कवायद इस बार भी चल रही है. दिल्ली बीजेपी के नेता झुग्गी बस्तियों में प्रचार कर चुके हैं. अब बड़े नेताओं की बारी है.
दूसरी तरफ AAP एक बार फिर झुग्गीवासियों के वोट बटोरना चाहती है. केजरीवाल ने शकूर बस्ती पहुंचकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा,
"केंद्र सरकार झुग्गी वालों की चिंता नहीं करती. जल्द ही किसी और प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली की झुग्गियां तोड़ दी जाएंगी."

केजरीवाल ने दावा किया है कि शकूर बस्ती इलाके में झुग्गी का लैंड यूज बदला गया है और वहां रेलवे को टेंडर दिया गया है. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद वहां की सभी झुग्गियां हटा दी जाएंगी. वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा- "(बीजेपी) जहां सरकार में आती है, वहां की झुग्गियां तोड़ देती है."
हालांकि, केजरीवाल के आरोप पर LG विनय सक्सेना बिफर पड़े. उन्हों ने कहा कि DDA ने न तो लैंड यूज बदला है और न ही किसी तरह के तोड़फोड़ का नोटिस जारी किया है.
झुग्गी बस्ती पर क्यों टिकी दिल्ली की लड़ाई?झुग्गी में रहने वालों पर चुनाव के दौरान नेताओं का प्यार उमड़ना कोई 'अंतरआत्मा की आवाज़' नहीं है. राजनीति में बिना फायदा देखे कोई कदम नहीं उठाया जाता. हर पार्टी का झुग्गी बस्तियों में जाने का भी कारण है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की झुग्गियों में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. जिसे दिल्ली का सबसे पॉश इलाका माना जाता है उसी दक्षिण दिल्ली में 65,468 झुग्गियां हैं. चांदनी चौक में 51,958 और पूर्वी दिल्ली में 46,180 झुग्गियां हैं. इसके अलावा दिल्ली सरकार के डेटा के मुताबिक नई दिल्ली में करीब 67 हजार झुग्गियां है और पश्चिमी दिल्ली में सबसे कम 22 हजार के करीब झुग्गियां हैं.
इन झुग्गियों में दिल्ली के वोटर भी रहते हैं. ये भले ही दिल्ली के रहने वाले ना हों. यूपी, बिहार, एमपी या किसी अन्य राज्य से विस्थापित हों, लेकिन वोटर तो दिल्ली के हैं. और उन्हीं के वोट की ये पूरी लड़ाई है.
बीजेपी ने इन वोटरों को लुभाने के लिए बूथ लेवल की तैयारी की है. पार्टी ने 250 झुग्गी विस्तारक नियुक्त किए हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बीजेपी के झुग्गी-विस्तार अभियान के इन्चार्ज और दिल्ली बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी विष्णु मित्तल ने कहा,
"दिल्ली की झुग्गियों में करीब 15 लाख मतदाता हैं, जिनमें से करीब 9-10 लाख वोटर वोट देते हैं. इनमें से करीब सात लाख लोग आम आदमी पार्टी को वोट देते हैं, जबकि दो लाख वोट भाजपा को मिलते हैं. बाकी वोट कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को जाते हैं... अगर हम इनमें से चार-पांच लाख वोट और अपने पक्ष में कर लें, तो यह गेम चेंजर साबित होगा."
यही वजह है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर पार्टी के लोकल नेताओं का फोकस झुग्गी बस्तियों पर हैं. और अरविंद केजरीवाल केजरीवाल अपने पुराने मतदाताओं को अपने कब्जे से निकलने नहीं देना चाहते.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट का झुग्गी हटाने का आदेश, क्या करेंगे नरेंद्र मोदी?