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सतनामी समाज ने भी भूपेश बघेल को नकार दिया? अपने ही धर्मगुरु को नहीं दिया वोट

छत्तीसगढ़ में कुल 10 सीटें ही SC के लिए आरक्षित है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं. समाज के सबसे बड़े धर्मगुरु रुद्र कुमार बघेल सरकार में मंत्री भी थे और इस बार भी नवागढ़ विधानसभा से दावेदार हैं.

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मुख्यमंत्री भुपेश बघेल और रुद्र गुरु (फ़ोटो - आजतक)

छत्तीसगढ़ की नवागढ़ सीट से सतनामी समाज के धर्मगुरु गुरु रुद्र कुमार 13000 से ज़्यादा वोटों से पीछे हैं. भारतीय जनता पार्टी के दयाल दास बघेल ने उन्हें पछाड़ा है. चुनाव आयोग के इनपुट्स (Assembly Elections 2023) के मुताबिक़, ख़बर लिखे जाने तक अपडेट ये है -


सरकार बरक़रार रहेगी या पलट जाएगी, इसका फ़ैसला जनता के हाथ में है. इसे ही डांस ऑफ़ डेमोक्रेसी कहा जाता है. लेकिन हमारे डांस की सारी परफ़ॉर्मैंस सोलो नहीं होती, कुछ ग्रुप डांस भी होता है. समय के साथ कुछ संप्रदाय और समुदाय, इकट्ठा हो कर बन जाते हैं वोट बैंक. और, ये सामुदायिक वोट बैंक सरकारें बना भी देते हैं और गिरा भी देते हैं. ऐसे ही छत्तीसगढ़ के चुनाव तय करने वाला समुदाय है, सतनामी समाज.

कौन हैं सतनामी समाज?

सतनामी समाज को सतनामपंथ, सतनामी विद्रोह या साधनपंथ भी कहा जाता है. इतिहासकारों ने कहीं-कहीं उन्हें मुंडिया और बैरागी भी लिखा है, क्योंकि अक्सर अनुयायी अपना सिर मुंडवा लेते थे. ये संप्रदाय असल में रविदसिया संप्रदाय की एक शाखा माना जाता है.

संप्रदाय की आधिकारिक स्थापना तारीख़ है, 21 अप्रैल, 1657. नारनौल ज़िले के बीर भान ने स्थापना की थी. उनके गुरु उधोदास थे, जो संत रविदास के शिष्य थे.  अधिकतर किसानों, दस्तकारों और पिछड़ी जाति के लोग इसमें जुड़े. तीन गुणों पर ज़ोर होता है - एक सतनामी भक्त की वेशभूषा धारण करता है, उचित तरीक़ों से पैसा कमाता है और किसी भी तरह का अन्याय या अत्याचार सहन नहीं करता.

चुनावी गणित

राज्य में किसानों और आदिवासियों के बाद तीसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है. कुल जनसंख्या, लगभग 25 लाख. मीडिया रपटों के मुताबिक़, छत्तीसगढ़ के 98% अनुसूचित जाति के लोग इसी संप्रदाय में हैं और विधानसभा की 90 में से 30-35 सीटों पर डिसाइडिंग फ़ैक्टर हो सकता है.

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छत्तीसगढ़ में कुल 10 सीटें ही SC के लिए आरक्षित है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं. समाज के सबसे बड़े धर्मगुरु रुद्र कुमार बघेल सरकार में मंत्री भी थे और इस बार भी नवागढ़ विधानसभा से दावेदार हैं. कहते हैं कि सतनामी समाज के मेले को सफल बनाने से लेकर बड़ा जैतखाम बनाने तक, सारा काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया है. पार्टी ने छत्तीसगढ़ में सतनाम संदेश यात्रा निकालकर समाज को अपने साथ जोड़ा है.

वहीं, भाजपा नेता पुन्नू लाल मोहले भी इसी समाज से हैं. वो भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. सूबे में समाज के सबसे सीनियर नेताओं में से हैं. अब तक लोकसभा और विधानसभा मिलाकर 10 चुनाव लड़ चुके हैं और एक बार भी हारे नहीं हैं. 'अजेय' कहे जाने लगे हैं.

पुन्नू लाल का भी दावा है, लेकिन दूसरी तरफ़ से. वो कहते हैं कि बीजेपी ने सनातनी समाज और उनके तीर्थ स्थल के विकास के लिए बहुत काम किया है.

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अपनी टैली को सुधारने के लिए इस बार भाजपा ने ऑप्टिक्स में धर्मगुरु के सामने धर्मगुरु उतारा. धर्मगुरु रुद्र कुमार बनाम धर्मगुरु बालदास. फिर भाजपा SC सीटों में सीधे अपनी पकड़ मज़बूत करने का दावा करने लगी.

छत्तीसगढ़ में इस बार के एग्ज़िट पोल्स के अनुमान के मुताबिक़, कांग्रेस को 42 से 52 सीटों पर जीत की संभावना थी. बीजेपी 36 से 46 सीटें. हालांकि, वोट शेयर में मात्र 1 फ़ीसदी का अंतर था. और अब नतीजों को देखकर कहा जा रहा है कि सतनामी समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया.