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ओडिशा में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी BJP, BJD से गठबंधन क्यों नहीं बना?

हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में BJD ने भाजपा के उम्मीदवार अश्विनी वैष्णव का समर्थन किया था. इसे नवीन पटनायक की पार्टी की ओर से गठबंधन के लिए भाजपा को दिए गए सॉफ्ट सिग्नल की तरह देखा गया था. इसके बाद ही गठबंधन की अटकलों को और हवा मिली थी.

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BJD ने साल 2009 में सीट बंटवारे की चर्चा विफल होने के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को छोड़ दिया था. (फोटो- ट्विटर)

बीजेपी ओडिशा में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी. बीजेडी से गठबंधन को लेकर 6 मार्च से चली आ रही अलग-अलग बैठकों के बाद दोनों पार्टियों के बीच बातचीत विफल हो गई है (BJP-BJD alliance talks failed). अब बीजेपी ने ऐलान कर दिया है कि वो अकेले लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने सोशल मीडिया वेबसाइट X पर बताया,

“विगत 10 वर्षों से नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा की बीजू जनता दल पार्टी केंद्र की पीएम मोदी की सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के प्रसंगों में समर्थन देती आई है. इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं. अनुभव में आया है कि देशभर में जहां डबल इंजन की सरकार रही है, वहीं विकास व गरीब कल्याण के कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं. लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहन-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है.”

सामल ने आगे लिखा, “4.5 करोड़ ओडिशावासियों की आशा, अभिलाषा और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित भारत तथा विकसित ओडिशा बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी इस बार लोकसभा की सभी 21 सीटों और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.”

दिल्ली बैठक में क्या हुआ था?

इससे पहले 8 मार्च को ओडिशा भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने बताया था कि नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के साथ गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई. इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार सामल ने कहा था,

“हमारी वरिष्ठ नेताओं के साथ चुनावी तैयारी को लेकर बैठक हुई थी. इसलिए हम दिल्ली गए थे. गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. आने वाले चुनाव में हम कैसे खड़े होंगे, इसे लेकर हमारी तैयारी पर बैठक हुई थी.”

सामल ने उसी वक्त कहा था कि भाजपा लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अकेले खड़ी होगी.

(ये भी पढ़ें: बीजेडी और बीजेपी के बीच ये रिश्ता क्या कहलाता है?)

जानकारी हो कि BJD ने साल 2009 में सीट बंटवारे की चर्चा विफल होने के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को छोड़ दिया था. तब दोनों के बीच 11 साल पुराना गठबंधन टूटा था. साल 2019 में भाजपा ने ओडिशा में 8 लोकसभा सीटें जीती थीं. इसी साल विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 23 सीटें अपने नाम की थीं. वहीं BJD ने 12 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था और विधानसभा चुनाव में 112 सीटें जीती थीं.

हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में BJD ने भाजपा के उम्मीदवार अश्विनी वैष्णव का समर्थन किया था. इसे नवीन पटनायक की पार्टी की ओर से गठबंधन के लिए भाजपा को दिए गए सॉफ्ट सिग्नल की तरह देखा गया था. उधर पीएम मोदी हाल ही में जब राज्य के दौरे पर थे तो नवीन पटनायक के साथ उनकी गर्मजोशी की भी खूब चर्चा हुई थी. इसके बाद गठबंधन की अटकलों को और हवा मिली थी. अब सब हवा-हवाई हो गया है.

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