बिहार चुनाव (Bihar Election Dates) की तारीखों का ऐलान हो गया है. 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सहित तीनों चुनाव आयुक्त 4-5 अक्टूबर को बिहार के दौरे पर थे. वहां उनके चुनावी तैयारियों की समीक्षा कर दिल्ली लौटने के बाद 6 अक्टूबर को चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया.
EC ने बिहार चुनाव की घोषणा की, इन तारीखों को होगा मतदान
इस बार दो ही चरणों में होगा बिहार में मतदान. 14 नवंबर नवंबर को आएंगे नतीजे.
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चुनाव की घोषणा से पहले बिहार में नई मतदाना सूची (SIR) को लेकर खूब विवाद हुआ. CEC ज्ञानेश कुमार ने साफ किया कि अगर अभी भी किसी का नाम मतदाता सूची से छूट गया है तो वो आवेदन कर सकता है. उन्होंने कहा कि नामांकन से पहले मतदाता सूची में शामिल होने का आवेदन किया जा सकता है. इसके अलावा मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात को भी दोहराया कि डाक मतपत्रों की गिनती को अंतिम दो चरणों की मतगणना से पहले पूरा करना अनिवार्य होगा.
बिहार के अलावा 7 अन्य राज्यों की 8 विधानसभाओं के लिए उपचुनावों की भी घोषणा की गई है. जम्मू-कश्मीर के नागरोटा और बड़गाम, राजस्थान की अंता, झारखंड की घाटशिला (ST), तेलंगाना की जुबली हिल्स, पंजाब की तरन तारन, मिजोरम की डंपा (ST) और ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को वोटिंग होगी. इनके नतीजे भी 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.
बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में मतदान हुआ था. 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है. सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक बिहार दौरे में राजनीतिक दलों ने चर्चा के दौरान मतदान के चरणों की संख्या कम करने अपील की थी. सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक दलों के साथ हुई बैठक में सत्तारूढ़ एनडीए ने एक ही चरण में मतदान कराने की मांग की थी. जबकि विपक्ष ने दो चरणों में चुनाव की मांग की. दोनों पक्षों ने ज़ोर देकर कहा कि चुनाव 25 अक्टूबर से शुरू होने वाले छठ पर्व के तुरंत बाद कराए जाएं.
2020 में हुए पिछले बिहार विधानसभा चुनाव COVID-19 महामारी के दौरान कराए जाने वाले पहले विधानसभा चुनाव थे. उस समय मतदान तीन चरणों में 28 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच हुआ था और नतीजे 10 नवंबर को आए थे. पिछली बार कुल मतदान प्रतिशत 56.93% रहा, जिसमें महिलाओं की भागीदारी 59.69% और पुरुषों की 54.45% थी.
2020 चुनाव में आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर 117 सीटें हासिल की थीं. बीजेपी को 74 सीटें मिलीं थी. हालांकि, जेडीयू का प्रदर्शन अपेक्षाकृत नहीं रहा और नीतीश की पार्टी को 43 सीटों से संतोष करना पड़ा. पिछले चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटें हासिल हुई थीं.
इस बार भी बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. NDA का नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथ में ही है. दूसरी तरफ तेजस्वी के नेतृत्व के आरजेडी और कांग्रेस ताल ठोंक रहे हैं. लेकिन पिछले चुनाव से इस बार जो सबसे बड़ा बदलाव है वह है प्रशांत किशोर की राजनीति में एंट्री. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए रणनीति बनाने वाले और कुछ साल पहले तक नीतीश कुमार के बेहद नज़दीकी रहे प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना की है और पार्टी चुनाव में ताल ठोंक रही है.
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