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राजगीर : हरियाणा के राज्यपाल के बेटे कौशल किशोर जीते कि हारे?

कौशल किशोर के पिता भी रहे हैं यहां से विधायक

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राजगीर विधानसभा चुनाव में कौशल किशोर (बाएं) ने वर्तमान जेडीयू विधायक रवि ज्योति कुमार को तगड़ी टक्कर दी.
सीट का नाम- राजगीर जिला- नालंदा नालंदा की राजगीर सीट पर हरियाणा के राज्यपाल कौशल किशोर के चुनाव लड़ने की वजह से खास बन गई. कौशल किशोर हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के बेटे हैं. सत्यदेव नारायण आर्य भाजपा के कद्दावर नेता रहे हैं और वह खुद राजगीर से 8 बार विधायक रहे चुके हैं. 2015 में यहां से हारने के बाद उन्हें हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया. कौशल किशोर ने वर्तमान विधायक रवि ज्योति कुमार को तगड़ी टक्कर दी और 16 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया.   विजयी नाम- कौशल किशोर पार्टी– जेडीयू वोट मिले- 67191   नंबर 2 नाम- रवि ज्योति कुमार पार्टी- कांग्रेस वोट मिले- 51143   नंबर 3 नाम- मंजू देवी पार्टी- एलजेपी वोट मिला - 11174   पिछले चुनाव के नतीजे: 2015 साल 2015 के विधानसभा चुनाव में राजगीर सीट से जेडीयू के टिकट पर रवि ज्योति कुमार ने जीत हासिल की थी. रवि ज्योति कुमार ने चुनाव में 62 हजार 9 वोट हासिल किया था. वहीं बीजेपी के कैंडिडेट सत्यदेव नारायण आर्य को 56 हजार 619 वोट ही मिल पाया था. इस तरह से रवि ज्योति कुमार ने सत्यदेव नारायण आर्य को 5 हजार 390 वोट के अंतर से हरा दिया था. वहीं सीपीआई के कैंडिडेट अमित कुमार पासवान, 4 हजार 668 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2010 2010 के विधानसभा चुनाव में राजगीर सीट से बीजेपी के टिकट पर सत्यदेव नारायण आर्य ने जीत हासिल की थी. सत्यदेव नारायण आर्य ने चुनाव में 50 हजार 648 वोट हासिल किया था. वहीं एलजेपी की कैंडिडेट धनंजय कुमार ने 23 हजार 697 वोट हासिल किया था. इस तरह से सत्यदेव नारायण आर्य ने धनंजय कुमार को 26 हजार 951 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था. वहीं कांग्रेस की कैंडिडेट मोनी देवी, 6 हजार 599 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही थीं. सीट ट्रिविया # अब तक यहां 16 चुनाव हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 7 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. जेडीयू को महज एक बार विजय हासिल हुई है, जबकि कांग्रेस और सीपीआई दो बार चुनाव जीत चुकी हैं. # देश के ऐतिहासिक महत्व वाली जगहों में इसका नाम है. यह मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. # यह मौर्य काल की सबसे महत्वपूर्ण साइट्स मानी जाती है. # इस जगह को बौद्ध और जैन अनुयायियों के लिहाज से बड़ा तीर्थ माना जाता है. यह 20वें जैन तीर्थंकर मुनिसुव्रत की जन्मस्थली है. # महाभारत काल में जरासंध और भगवान कृष्ण के युद्ध को भी इस स्थान से जोड़ा जाता है. # चीनी बौद्ध विद्वान ह्वेनसांग और फाह्यान ने इस जगह के बारे में विस्तार से लिखा है.