“तेजस्वी यादव हमको एक्स्ट्रिमिस्ट इसलिए बोलते हैं क्योंकि मेरे चेहरे पर दाढ़ी है. सिर पर टोपी है. मैं नमाजी हूं. अपने रब की इबादत करता हूं. किसी के आगे नहीं झुकता हूं.”
पिछली बार सीमांचल में तेजस्वी का खेल बिगाड़ने वाले ओवैसी इस बार भी जादू दिखा पाएंगे?
साल 2020 के Bihar Assembly Election में सीमांचल से NDA को 12 सीट और महागठबंधन को 7 सीट और AIMIM को पांच सीटों पर जीत मिली थी.


AIMIM के सदर असदुद्दीन ओवैसी जब यह बयान दे रहे थे तो निशाना भले ही तेजस्वी यादव पर था लेकिन साधे जा रहे थे सीमांचल के मुसलमान. तेजस्वी और ओवैसी के बीच की इस सियासी नूरा कुश्ती की वजह है सीमांचल की 24 सीटों पर मुसलमानों की संख्या. दोनों खुद को मुसलमानों को सच्चा रहनुमा साबित करने पुरज़ोर कोशिश में जुटे हैं. पिछली बार तो ओवैसी ने सीमांचल में पांच सीटें झटक कर तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने के सपने पर पानी फेर दिया था. पर क्या वह पिछला रिकॉर्ड इस बार भी दोहरा पाएंगे? इस बार के चुनाव में सीमांचल में मुस्लिम समाज को कौन साध पाया, समझने की कोशिश करते हैं.
पिछली बार का नतीजा क्या रहा था?बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया इन चार जिलों को सीमांचल कहा जाता है. माइनॉरिटी कमीशन ऑफ बिहार के मुताबिक, सीमांचल के किशनगंज में 67 फीसदी, कटिहार में 42 फीसदी, अररिया में 41 फीसदी और पूर्णिया में 37 फीसदी मुस्लिम आबादी है. सीमांचल के इन चार जिलों में 24 विधानसभा सीटें हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से NDA को 12 सीट (बीजेपी 8, जदयू 4), महागठबंधन को 7 सीट (कांग्रेस 5, राजद 1, भाकपा माले 1) और ऑल इंडिया मजलिस ए इतेहादुल मुसलमीन (AIMIM) को पांच सीटों पर जीत मिली थी. तब राजद और कांग्रेस ने 11-11 सीटों पर चुनाव लड़ा था. ओवैसी ने जिन पांच सीटों पर बाजी मारी, वो पिछले चुनाव में तीन राजद और दो सीट पर कांग्रेस के हिस्से आई थीं.
AIMIM की इस जीत को महागठबंधन के लिए खतरे की तरह देखा गया. क्योंकि बिहार में मुस्लिम आबादी राजद और कांग्रेस के लिए कोर वोटर मानी जाती है. ओवैसी की पार्टी ने 2020 चुनाव में अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. पर महागठबंधन की ज्यादा फजीहत इस बात पर हुई कि इन पांच में से तीन सीटों पर उनके सीटिंग विधायक तीसरे नंबर पर खिसक गए. ये सीटें थी अमौर, बहादुरगंज और बायसी.
साल 2025 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस बार कांग्रेस 12 सीट, राजद 9 सीट, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी 2 सीट और भाकपा माले एक सीट पर लड़ रही है. AIMIM पूरे बिहार में 25 सीटों पर लड़ रही है. जिसमें सीमांचल की 15 सीटें शामिल है.
सीमांचल की 24 सीटों पर NDA की ओर से बीजेपी 11 सीट, जदयू 10 सीट और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) तीन सीटों पर लड़ रही है. दूसरी तरफ प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
साल 2020 के चुनाव नतीजों के बाद से अब तक AIMIM के लगभग सभी बड़े नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं. AIMIM के पांच में से चार विधायकों ने कुछ महीनों बाद राजद का दामन थाम लिया. गनीमत रही कि ओवैसी की पार्टी के बिहार चीफ और अमौर विधानसभा सीट से पार्टी विधायक अख्तरुल ईमान ही उनके साथ ही रहे. इसी को लेकर ओवैसी इस बार विश्वासघात कार्ड का सहारा ले रहे हैं. उनकी स्थिति कुछ ऐसे समझिए कि उन्होंने अपने उम्मीदवारों को पार्टी ना छोड़ने की शपथ दिलाई.
लेकिन, 'वो चुनाव दूसरा था, ये चुनाव दूसरा है'. इस बार ओवैसी अपना दायरा बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं. पिछली बार कटिहार की सीटों पर उन्होंने कम मेहनत की थी. लेकिन इस बार माना जा रहा है कि इस इलाके में भी ओवैसी की पार्टी ने जोर लगाया है. पार्टी जिले की प्राणपुर, बरारी, बलरामपुर सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है. इस पर लंबे समय से सीमांचल पर नज़र रखने वाले पत्रकार तंजील आसिफ कहते हैं
पिछली बार जीती पांच सीटों पर क्या हाल है?AIMIM लड़ाई में उन्हीं सीटों में है, जिस पर पिछली बार जीत मिली थी. जैसे कोचाधामन सीट पर राजद से आमने सामने का मुकाबला है. बहादुरगंज, बायसी और अमौर ऐसी सीटे हैं जहां राजद, AIMIM और NDA के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. वहीं जोकीहाट में राजद के दिग्गज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के एक बेटे शाहनवाज (राजद) और दूसरे सरफराज (जनसुराज पार्टी) से लड़ रहे हैं. इसलिए वहां चतुष्कोणीय लड़ाई हो गई है. NDA और AIMIM भी फाइट में हैं. बाकी बची सीटों पर उतनी मजबूत दावेदारी नहीं है. हां ये जरूर है कि इनके वोट बढ़ने से किसी और के वोट कम हो सकते हैं. लेकिन ये जीतने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं.
AIMIM ने अमौर विधानसभा सीट से एक बार फिर से मौजूदा विधायक अख्तरुल इमान को टिकट दिया है. इमान को इस बार कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें बाहरी बताया जा रहा है. वे कोचाधामन के मूल निवासी है. जिसकी सीमा अमौर से लगती है. यह किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में आता है जहां से इमान दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.
उनके अलावा बहादुरगंज से AIMIM प्रत्याशी तौसीफ आलम की भी मजबूत दावेदारी है. आलम कांग्रेस के टिकट से चार बार विधायक रह चुके हैं. वहीं कोचाधामन से पार्टी ने राजद के पूर्व जिलाध्यक्ष सरवर आलम, बायसी से गुलाम सरवर और जोकीहाट से जदयू के पूर्व उम्मीदवार मुरशिद आलम शामिल हैं.
जोकीहाट सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला दिख रहा है. यहां तस्लीमुद्दीन के दो बेटों शाहनवाज (राजद) और सरफराज (जन सुराज) के साथ ही जदयू से पूर्व विधायक मंजर आलम और AIMIM के मुरशिद आलम मैदान में हैं.
कोचाधामन में सीधा मुकाबला राजद के मुजाहिद आलम और AIMIM के सरवर आलम के बीच है. बागी इजहार आसफी ने AIMIM को समर्थन दिया है. जिससे उनकी स्थिति थोड़ी मजबूत हो सकती है. लेकिन यहां बीजेपी की गैर मौजूदगी और मुजाहिद आलम के NDA वोटर्स के पुराने संबंधों के चलते महागठबंधन को बढ़त दिख रही है.
बायसी में राजद ने AIMIM से बगावत करके पार्टी में आए मौजूदा विधायक सैयद रुकनुद्दीन को टिकट नहीं दिया है. उनकी जगह पार्टी ने फिर से छह बार के पूर्व विधायक अब्दुस सुब्हान पर भरोसा जताया है. रुकनुद्दीन सुब्हान का समर्थन कर रहे हैं. अब देखना ये होगा कि रुकनुद्दीन अपने समर्थकों का वोट राजद को ट्रांसफर करा पाते हैं या नहीं. कहा जा रहा है किशनगंज और ठाकुरगंज में AIMIM के उम्मीदवार बहुत मजबूत स्थिति में नहीं हैं. लेकिन वो जितना वोट काटेंगे, महागठबंधन को उतना नुकसान होगा और NDA को बढ़त मिलेगी.
अख्तरुल इमान अपनी सीट पर ही फंसेAIMIM के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने साल 2020 में सीमांचल में पार्टी की कमान संभाल रखी थी. लेकिन इस बार इमान अपनी सीट में ही उलझ कर रह गए हैं. साल 2020 में जोकीहाट के विधायक शाहनवाज (तस्लीमुद्दीन के पुत्र) ने अमौर और बायसी दोनों सीटों पर AIMIM के लिए प्रचार किया था. ये दोनों सीट कुल्हैया मुस्लिम बहुल है. लेकिन उनके राजद में जाने के बाद से पार्टी के पास कोई ऐसा कुल्हैया नेता नहीं है, जिसका अपनी सीट से बाहर तक प्रभाव हो.
राजद से बदले की रणनीति!राजद ने ओवैसी के चार विधायक तोड़ लिए थे. फिर भी उनकी पार्टी बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनना चाह रही थी. क्योंकि वक्फ बिल पर मुखर रहने और वोटर अधिकार यात्रा के बाद से सीमांचल के मुसलमानों का झुकाव एक बार फिर से महागठबंधन की ओर हो रहा था. अख्तरुल इमान ने राजद सुप्रीमो लालू यादव को गठबंधन में शामिल करने के लिए पत्र भी लिखा. लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया. इसके बदले राजद नेताओं ने ओवैसी को हैदराबाद तक महदूद रहने की नसीहत दे दी. यही नहीं एक इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने ओवैसी को ‘एक्सट्रीमिस्ट’ करार दे दिया. इसके बाद से ओवैसी का चुनावी अभियान काफी एग्रेसिव रहा है. वो राजद और तेजस्वी यादव पर हमलावर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार फैजान अहमद के मुताबिक,
सीमांचल में जातियों में बंटी मुस्लिम राजनीतिओवैसी का कैंपेन इस बार काफी अलग तरह का है. वो जीतने के लिए कम किसी को हराने के लिए ज्यादा लड़ते दिख रहे हैं. वो लोगों को बता रहे हैं कि ओवैसी टोपी पहनता है, दाढ़ी रखता है. इसलिए तेजस्वी उनको एक्सट्रीमिस्ट बता रहे हैं. फिर उनमें और नरेंद्र मोदी में क्या अंतर है? यानी ओवैसी इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं. इसमें उनको कितनी सफलता मिलेगी ये देखना होगा लेकिन वो 8 से 10 सीटों पर महागठबंधन को नुकसान जरुर पहुंचा सकते हैं.
सीमांचल में मुस्लिम समुदाय जाति समूह में बंटा है. सुरजापुरी, कुल्हैया और शेरशाहाबादी. सुरजापुरी और कुल्हैया खुद को देसी मुस्लिम कहते हैं. वहीं शेरशाहाबादी मुस्लिम पश्चिम बंगाल से आए हैं. ये खुद का संबंध शेरशाह से बताते हैं.
सीमांचल में सुरजापुरी मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है. इस समुदाय की अनुमानित आबादी 24.5 लाख है. नौ विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है. कोचाधामन, बहादुरगंज, किशनगंज, ठाकुरगंज, बलरामपुर, अमौर, बायसी, प्राणपुर और कदवा. महागठबंधन ने नौ में से आठ सीटों पर सुरजापुरी प्रत्याशी दिया है. वहीं NDA के पास कोई सुरजापुरी उम्मीदवार नहीं है. जबकि ओवैसी ने बहादुरगंज, कोचाधामन और अमौर सीट से सुरजापुरी उम्मीदवार पर भरोसा जताया है.
शेरशाहबादी मुस्लिम समुदाय की बात करें तो उनकी आबादी करीब 13 लाख है. बरारी, मनिहारी, कोढ़ा, ठाकुरगंज और किशनगंज सीट पर उनका अच्छा-खासा प्रभाव है. महागठबंधन में कांग्रेस ने बरारी सीट से शेरशाहबादी समुदाय से आने वाले प्रत्याशी तौकीर आलम को टिकट दिया है, जबकि NDA के पास इस समुदाय का कोई प्रत्याशी नहीं है. वहीं AIMIM ने बरारी सीट से शेरशाहबादी उम्मीदवार दिया है. लेकिन वो मुख्य लड़ाई में नहीं है.
सीमांचल में तीसरी मुसलिम जाति समुदाय है कुल्हैया. इनकी आबादी सीमांचल में लगभग 12.5 लाख है. जोकीहाट, अररिया, अमौर, बेसी और कस्बा सीटों पर इनका वोट निर्णायक है. जदयू ने दो कुल्हैया उम्मीदवारों को टिकट दिया है. दोनों पूर्व विधायक रहे हैं. जोकीहाट से मंजर आलम और अमौर से सबा जफर. महागठबंधन ने अररिया और जोकीहाट से कुल्हैया उम्मीदवार दिया है. जबकि AIMIM ने बायसी और जोकीहाट में कुल्हैया उम्मीदवार पर भरोसा जताया है.
वीडियो: राजधानी: तेजस्वी और नीतीश बिहार में पहले राउंड की वोटिंग से कन्फ्यूज हो गए ?





















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