इंटरनेशनल मार्केट (COMEX) में चांदी 40 साल बाद कच्चे तेल से भी महंगी हो गई है. इंटरनेशनल मार्केट में चांदी का भाव पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस के स्तर के पार पहुंच गया है.
चांदी पर छाई महंगाई ने कच्चे तेल को भी पीछे छोड़ दिया, ऐसा 40 साल बाद हुआ है
दि हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 दिसंबर को एमसीएक्स पर चांदी का भाव 8179 रुपये 2 लाख 5 हजार 934 रुपये रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.
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बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ये एक दुर्लभ ऐतिहासिक घटना है. चांदी अब WTI (कच्चे तेल की किस्म) कच्चे तेल के एक बैरल से भी महंगी हो गई है. WTI क्रूड ऑयल का भाव 56 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले करीब 40 साल पहले चांदी का भाव कच्चे तेल से आगे निकल गया था. वहीं, विदेशों में जारी तेजी के चलते मल्टी कमोडिटी एक्सचेज (MCX) में भी चांदी नई ऊंचाई पर पहुंच गई. दि हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 दिसंबर को एमसीएक्स पर चांदी का भाव 8179 रुपये 2 लाख 5 हजार 934 रुपये रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.
COMEX और MCX दोनों ही कमोडिटी एक्सचेंज हैं. इन एक्सचेंजों में सोना, चांदी, कच्चा तेल जैसी कमोडिटी की ट्रेडिंग यानी खरीद-फरोख्त होती है. COMEX अमेरिका में स्थित एक इंटरनेशनल कमोडिटी एक्सचेंज है और इसकी कीमतों को वैश्विक बाजार के लिए मानक माना जाता है. जब COMEX पर चांदी या सोने के दाम बढ़ते हैं, तो उसका असर दुनिया भर के बाजारों पर पड़ता है. वहीं, MCX भारत का प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज है.
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अब समझते हैं कि चांदी के दाम क्यों चढ़ रहे हैं?अमेरिका में 16 दिसंबर को रोजगार के आंकड़े जारी हुए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में नवंबर महीने में बेरोजगारी दर चढ़कर 4.6% पहुंच गई है. इस वजह से माना जा रहा है कि अगले साल भी अमेरिका में ब्याज दरें घट सकती हैं. जानकारों का कहना है कि फेडरल रिजर्व साल 2026 में ब्याज दरों में दो बार और कटौती कर सकता है. हाल ही में फेड ने अपनी ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी.
इसके अलावा भी कई कारण हैं जिसकी वजह से चांदी में उछाल देखने को मिल रहा है. इसकी औद्योगिक मांग बढ़ी है. खासतौर से सोलर एनर्जी , पावर ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी तकनीकों में चांदी का इस्तेमाल बढ़ा है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि ईवी, सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों और मोबाइल फोन जैसे आधुनिक उभरते उद्योगों में चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है.
चांदी में आई विस्फोटक तेजी के बाद निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस समय बाजार में प्रवेश करना सही रहेगा. जानकारों की राय इस मुद्दे पर बंटी हुई है. पीएल वेल्थ में प्रोडक्ट हेड राजकुमार सुब्रमण्यम ने लाइव मिंट से कहा,“चांदी में सोने की तुलना में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. लेकिन कमोडिटी अपसाइकल के दौरान इसमें कहीं ज्यादा तेजी की संभावना भी होती है, जिसकी वजह बढ़ती औद्योगिक मांग और रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी है.” सुब्रमण्यम ने यह भी बताया कि भारत में चांदी की मांग अब तेजी से सोलर मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बढ़ रही है.
ऐसे में अगर आने वाले दिनों में चांदी की कीमतों में 3 से 5 परसेंट की गिरावट आती है, तो ट्रेडर्स को ‘बाय ऑन डिप्स’ यानी गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए. वहीं, बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि मौजूदा स्तर से भले ही कुछ प्रॉफिट बुकिंग देखने को मिल सकती है, लेकिन चांदी की कीमतें आगे भी मजबूत बनी रहने की संभावना है.”
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