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आपके रुपये काटकर बैंकों ने कमा लिए 9,000 करोड़, सामने आई मिनिमम बैलेंस की कहानी

वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकारी बैंकों को ये सलाह दी गई है कि वो ग्रामीण और कस्बाई इलाकों के ग्राहकों को राहत देने के लिए इस जुर्माने को कम करने या हटाने पर विचार करें.

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इंडियन बैंक ने सबसे ज्यादा जुर्माना वसूला है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

पिछले कुछ समय से कई सरकारी बैंक मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance) न रखने पर लगने वाला जुर्माना माफ कर रहे हैं. लेकिन 29 जुलाई को वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि पिछले पांच सालों में इन बैंकों ने इस जुर्माने से लगभग 9,000 करोड़ रुपये की कमाई की है. 

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वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि साल 2020-21 से 2024-25 तक, सरकारी बैंकों ने कुल 8,932.98 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला, क्योंकि लोगों ने अपने खातों में तय न्यूनतम औसत बैलेंस नहीं रखा.

ये जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी हाल ही में ये जुर्माना हटाने की घोषणा की है. बैंक ने कहा कि इसका मकसद सभी ग्राहकों को समान और सुलभ बैंकिंग सुविधा देना है. इसके अलावा, जिन अन्य सरकारी बैंकों ने ये जुर्माना हाल ही में हटाया है, उनमें केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तो मार्च 2020 से ही ये जुर्माना नहीं ले रहा है.

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वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकारी बैंकों को ये सलाह दी गई है कि वो खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों के ग्राहकों को राहत देने के लिए इस जुर्माने को कम करने या हटाने पर विचार करें. 

किस बैंक ने कितना जुर्माना वसूला?

इन पांच सालों में सबसे ज्यादा जुर्माना इंडियन बैंक ने वसूला- 1,828.18 करोड़ रुपये. उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक 1,662.42 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा 1,531.62 करोड़ रुपये के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे.

वर्ष 2020-21 में सरकारी बैंकों ने 1,142.13 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला. इसके बाद हर साल जुर्माने की रकम बढ़ती गई. 2021-22 में 1,428.53 करोड़ रुपये, 2022-23 में 1,855.43 करोड़ रुपये, 2023-24 में 2,331.08 करोड़ रुपये. हालांकि 2024-25 में ये थोड़ी घटी और 2,175.81 करोड़ रुपये रह गई.

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ये बदलाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब बैंकों पर अपने सस्ते फंडिंग स्रोत यानी चालू खाता और बचत खाता (CASA) को बनाए रखने का दबाव है. रिजर्व बैंक की हाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक अब ज्यादा ब्याज वाले फिक्स्ड डिपॉजिट और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट की ओर बढ़ रहे हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जब 2020 में ये जुर्माना हटाया था, तब इससे कई नए ग्राहकों को खाता खोलने में मदद मिली थी.

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