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महंगाई आपकी कमर तोड़ना कब बंद करेगी? RBI गवर्नर ने बता दिया!

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश में बढ़ती महंगाई पर खुलकर अपने विचार रखे हैं

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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (दाएं) | फ़ाइल फोटो: इंडिया टुडे

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी लाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है. लेकिन, खुदरा मंहगाई की दर दिसंबर 2022 तक तय सीमा (6 फीसदी) से ऊपर बने रहने की संभावना है. इस बात का जिक्र खुद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने एक लेख में किया है.

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महंगाई कब कमर तोडना बंद करेगी?

शुक्रवार, 24 जून को प्रकाशित हुए इस लेख में शक्तिकांत दास ने महंगाई को लेकर काफी कुछ बताया है. उन्होंने लिखा,

हम मंहगाई को कम करने के लिए सही ट्रैक पर जा रहे हैं. दिसंबर के बाद हमारे अनुमानों के अनुसार मंहगाई 6 फीसदी से नीचे आने की उम्मीद है. खुदरा वस्तुओं की मंहगाई मई में मामूली रूप से कम हुई और अप्रैल में बीते आठ साल में सबसे उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर रही. जो कि लगातार पांचवे महीने RBI द्वारा मंहगाई की तय सीमा 6 फीसदी से ऊपर बनी रही.

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RBI गवर्नर ने अपने लेख में आगे लिखा कि मौजूदा महंगाई की एक प्रमुख वजह वस्तुओं की सप्लाई है. फिर भी यहां मौद्रिक नीति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि महंगाई न केवल परिवारों को बल्कि व्यवसायों को भी प्रभावित करती है. साथ ही भोजन, विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं इत्यादि के मूल्य को बढ़ाती है.

शक्तिकांत दास के मुताबिक जब महंगाई के अधिक रहने की आशंका होती है, तो कंपनियां भी अपने निवेश को कम कर देती हैं या फिर निवेश को कुछ समय के लिए टाल देती हैं. हालांकि, इन सब परेशानियों के बाद भी दास का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और लगातार कोरोना महामारी से हुए नुकसान से उबर रही है.

रुपए की वैल्यू क्यों कम हो रही?

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने लेख में रुपये की गिरती वैल्यू पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा,

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रुपए में यह गिरावट मुख्य रूप से दुनिया के विकसित देशों के कुछ फैसलों की वजह से आई है. ये देश महंगाई से निपटने के लिए कड़ी मौद्रिक नीति अपना रहे हैं, जिस वजह से विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते हुए बाजार से अपने निवेश को निकाल रहे हैं.

आरबीआई गवर्नर ने अपने लेख में एक बेहद महत्वपूर्ण बात कही. उन्होंने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार देश के अल्पकालिक विदेशी ऋण की तुलना में ढाई गुना अधिक है और भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में काफ़ी बेहतर है.

हाल में बढ़ाए गए रेपो रेट पर बात करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत में तेजी से बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए यह कदम जरूरी था और आगे आने वाले समय में ऐसे और निर्णय लिए जा सकते हैं.


यह स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे रोहित ने लिखी.

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