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दिल की बीमारी, बीपी, शुगर है तो इंश्योरेंस लेते समय इन बातों का रखें ध्यान, बिना खर्च होगा इलाज

दिल, बीपी और डायबिटीज के मरीजों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कई तरह के मिथ हैं. जिसकी वजह से लोग बीमा खरीदने से बचते या हिचकते हैं.

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बीमाकर्ता अपनी जरूरत के हिसाब से प्लान के फीचर घटा और बढ़वा सकते हैं. (साभार- Freepik)

एक समय था जब बीमा कंपनियां दिल, बीपी और शुगर के मरीजों को बीमा पॉलिसी (Insurance plan for heart patients) देने में आना करती थीं. मगर आजकल बीमा कंपनियां न सिर्फ ऐसे मरीजों को आसानी से पॉलिसी दे रही हैं. बल्कि, उनकी जरूरत के हिसाब से पॉलिसी डिजाइन करके भी दे रही हैं. दिल की बीमारी के मरीजों के लिए अब कार्डियक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Cardiac health insurance plan) आ रहे हैं. इन प्लान्स में हार्ट फेल्योर, मायोकार्डिअल इंफ्रैक्शन या हार्ट अटैक, कार्डियोमायोपैथी वगैरह बीमारियां कवर होती हैं. इन बीमारियों पर खर्चा बहुत अधिक आता है. इसलिए अगर दिल के मरीज हैं तो बेहतर होगा कि हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेने में लापरवाही ना करें.

इसी तरह बीपी और शुगर के मरीजों के लिए भी खास तरह के बीमा प्लान मार्केट (Insurance for hypertension and diabetic patients) में उपलब्ध हैं. हाइपरटेंशन को दुनिया भर में दिल की बीमारी और असमय मृत्यु के बड़े कारणों में गिना जाता है. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक देश का हर पांचवां वयस्क हाई बीपी की चपेट में है. ब्लड प्रेशर का 120-80 की रेंज में रहना सामान्य होता है. 130 से ऊपर हाई बीपी माना जाता है.

हाइपरटेंशन ही आगे जाकर कई तरह की गंभीर बीमारियों की वजह बनता है. इसलिए हाइपरटेंशन के मरीजों को किसी भी तरह की लापरवाही ना करने की सलाह दी जाती है. अगर आप या आपके जानने वाले को हाइपरटेंशन है तो अपनी स्थिति के हिसाब से इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं.

Policybaazar.com में हेल्थ इंश्योरेंस- बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंहल ने दी लल्लनटॉप को बताया कि लोगों के बीच हेल्थ प्लान को लेकर कई मिथ हैं. जिसकी वजह से लोग इंश्योरेंस प्लान लेने से हिचकते हैं. इन मिथों को दूर करना बहुत जरूरी है.

1. सिद्धार्थ ने बताया कि पहले ऐसे प्लान आते थे जिनमें कोई फेरबदल नहीं कर सकते थे. कोई फीचर हटाना या बढ़ाना चाहते हैं तो नहीं करा सकते थे, लेकिन अब अपनी सुविधा के हिसाब से बीमा प्लान बनवा सकते हैं. जैसे- किस तरह का रूम लेना चाहते हैं, विदेश में इलाज कराना चाहते हैं वगैरा-वगैरा. हर चीज अपनी जरूरत के हिसाब से जुड़वा-हटवा सकते हैं.

2. अगर हल्का फुल्का डायबिटीज है. मतलब कि इंसुलिन नहीं लेते, टैबलेट से ही काम चल जाता है. लोग डरते हैं कि बहुत प्रीमियम देना पड़ेगा और प्लान लेने से बचते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. आजकल ज्यादातर कंपनियां हल्के फुल्के डायबिटीज/हाइपरटेंशन वालों से सामान्य प्रीमियम ही लेती हैं. ज्यादा बीपी/शुगर वालों से थोड़ा ज्यादा प्रीमियम लिया जाता है.

3. वेटिंग पीरियड- पुराने प्लांस में अक्सर इस तरह की बीमारियों के लिए 4 साल तक का वेटिंग पीरियड मिलता था. इसलिए लोग बीमा प्लान लेने से हिचकते थे. मगर अब काफी कुछ बदल चुका है. थोड़ा सा ज्यादा प्रीमियम देकर आप बीपी या डायबिटीज के लिए 31वें दिन से ही क्लेम कर सकते हैं. कुछ कंपनियां पहले दिन से कवरेज दे रही हैं.

सिद्धार्थ ने ये भी बताया कि अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, या हल्के फुल्के लक्षण हैं तो उन्हें हेल्थ प्लान लेते समय इन चीजों का जरूर ध्यान रखना चाहिएः

1. सबसे पहली चीज है जिस भी कंपनी से प्लान लेने जा रहे हैं उसका क्लेम रेशियो जरूर देखें. क्लेम रेशियो का मतलब होता है क्लेम के मुकाबले कंपनी कितने क्लेम अप्रूव करती है. जितना अधिक क्लेम रेशियो.

2. प्लान लेते समय बीमा कंपनी को अपनी बीमारी के बारे सब कुछ बता दें. कितने समय से है, कितना गंभीर है, कैसी दवाई खा रहे हैं, हार्ट की कोई सर्जरी हुई है तो उसके बारे में भी बताएं. पॉलिसी के कागज आएं तो उसमें ध्यान से चेक कर लें कि आपने जो कंडीशन बताई हैं उसका जिक्र है या नहीं. 

3. वेटिंग पीरियड जरूर चेक करें. कम से कम वेटिंग पीरियड वाले प्लान लें. इसे उदाहरण से समझाते हैं. अगर कोई दिल की बीमारी से जूझ रहा है तो उसके हॉस्पिटल जाने की संभावना अधिक है. इसलिए वेटिंग पीरियड कम से कम रखने की कोशिश करें.

4. ऐसे प्लान लें जिनमें कैशलेस नेटवर्क हों. ताकि, आप सिर्फ इलाज पर ध्यान दें, पेमेंट की कोई चिंता न करनी पड़े.

5. कुछ प्लान में OPD कवर होता है. खासतौर पर डायबिटीज/शुगर/बीपी के मरीज हैं तो ओपीडी का ज्यादा खर्चा आता है. जैसे डॉक्टर से कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट और दवाइयों का खर्चा. ऐसे प्लान लें जो ओपीडी कवर करते हों.

दिल की बीमारी वालों के लिए मार्केट में उपलब्ध कुछ इंश्योरेंस प्लानः

स्टार हेल्थ कार्डियक केयर प्लान

बीमा कंपनी- स्टार हेल्थ इंश्योरेंस

बीमा प्लान- कार्डियक केयर प्लान

सम इंश्योर्ड- 3 लाख, 4 लाख रुपये

उम्र - 10 से 65 साल

कवरेज से जुड़ी जानकारी 

सेक्शन 1: एक्सिडेंट या दिल की बीमारी से इतर कोई भी ट्रीटमेंट. 

सेक्शन 2ः कार्डियक एलमेंट्स के लिए हॉस्पिटलाइजेशन का खर्चा.

सेक्शन 3: हॉस्पिटल में भर्ती होने के अलावा टेस्ट, स्कैन या फिजियोथेरेपी जैसी चीजों पर आने वाला खर्चा. 

सेक्शन 4: एक्सिडेंट में मृत्यु पर पर्सनल एक्सिडेंट कवर.

और जानकारी इस लिंक पर देख सकते हैं. Star Cardiac Care Insurance (starhealth.in)

2- बजाज अलायंस क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस

बीमा कंपनी- बजाज अलायंस

बीमा प्लान- बजाज अलायंस क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस

सम इंश्योर्ड- 1 लाख से 50 लाख रुपये

कवरेज से जुड़ी जरूरी बातें

दिल की बीमारियों समेत 10 क्रिटिकल बीमारियां प्लान में कवर होती हैं. बीमाकर्ता के अलावा पूरा परिवार इंश्योर्रड होता है. बच्चे की उम्र 6 साल से ऊपर होने पर ही क्लेम का फायदा मिलेगा.

भारत समेत विदेश में इलाज कराने पर भी बीमा का पैसा मिलेगा.

पॉलिसी रिन्यू कराने पर बीमा का पैसा बढ़वा सकते हैं.

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जा सकते हैं.

3. बीमा प्लान- ICICI प्रू हार्ट प्रोटेक्ट प्लान

बीमा कंपनी- ICICI प्रूडेंशियल जनरल इंश्योरेंस

बीमा प्लान- ICICI प्रू हार्ट प्रोटेक्ट प्लान

सम इंश्योर्ड-  75 लाख रुपये तक

न्यूनतम उम्र- 5 साल से 40 साल तक

कवरेज से जुड़ी कुछ और जानकारी

इस प्लान में दिल की बीमारियों और कैंसर दोनों के लिए बीमा मिलता है. अगर पहले से दिल की बीमारी या कैंसर के कुछ छोटे मोटे लक्षण हैं तो उन्हें आगे जाकर प्रीमियम से छूट मिल जाती है.

हार्ट और कैंसर के लिए अलग अलग पैसा इंश्योर्ड रहता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक दिल की बीमारियों के लिए 25 लाख रुपये और कैंसर के इलाज पर 50 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है.

हॉस्पिटल में भर्ती हुए तो हर दिन 5000 रुपये का कैश बेनेफिट मिलेगा.

क्रिटिकल बीमारियों के लिए सर्वाइवल पीरियड बहुत अहम होता है. बीमारी का इलाज करने के लिए मरीज अगर सर्वाइवल पीरियड तक सही सलामत रहता है तभी उसे बीमा का पैसा मिलता है. इस प्लान में हार्ट कवर के लिए 7 दिनों का सर्वाइवल पीरियड है. कैंसर कवर के लिए सर्वाइवल पीरियड जीरो है.

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जा सकते हैं.

4. HDFC अर्गो हेल्थ इंश्योरेंस एनर्जी प्लान 

बीमा कंपनी- HDFC अर्गो

न्यूनतम उम्र- 18 वर्ष

सम इंश्योर्ड- 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये

कवरेज से जरूरी जानकारी

डायबिटीज और हाइपरटेंशन के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने पर पहले दिन का पूरा खर्चा कवर होगा. प्लान के अंदर कोई वेटिंग पीरियड नहीं है. यानी प्लान खरीदने के अगले दिन ही अगर इन बीमारियों के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है तो बीमा के पैसे मिलेंगे. हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद के सभी खर्चे भी कवर होंगे. किसी भी खर्चे पर कोई सब लिमिट नहीं है.

2. आदित्य बिड़ला एक्टिव हेल्थ प्लेटिनम एनहैंस्ड प्लान 

बीमा कंपनी- आदित्य बिड़ला कैपिटल

न्यूनतम उम्र - 18 साल

सम इंश्योर्ड- 2 लाख से 2 करोड़ रुपये तक

कवरेज से जुड़ी जरूरी जानकारी- हॉस्पिटल में भर्ती होने पर, उससे 60 दिन पहले और हॉस्पिटल डिस्चार्ज होने के 180 दिनों बाद होने वाले सभी खर्च पॉलिसी में कवर होते हैं.

हेल्थ रिटर्न, रिकवरी बेनेफिट, क्रोनिक मैनेजमेंट प्रोग्राम, बड़ी बीमारी के मामले में दूसरे डॉक्टर की राय, एक्सपर्ट वेलनेस कोच इस प्लान के कुछ और फायदे हैं.

अगर किसी साल कोई क्लेम नहीं करते हैं तो सम इंश्योर्ड 50 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है.

2 साल के लिए पॉलिसी लेने पर 7.5 पर्सेंट और 3 साल के लिए पॉलिसी लेते हैं. 10 फीसदी का लॉन्ग टर्म डिस्काउंट मिलेगा.

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएं.

नोट- ये सभी बीमा प्लान सिर्फ जानकारी के लिए हैं. कोई भी प्लान खरीदने से पहले सारी जानकारियां अच्छे से पता कर लें.