पिछले कई महीनों से सोने-चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. सोना और चांदी आलटाइम हाई पर पहुंच चुके हैं. कई लोगों ने इन धातुओं में निवेश करके मोटा पैसा कमाया होगा तो कुछ चूक गए होंगे. लेकिन अगर आप सोने -चांदी की कीमतों में आई तेजी का फायदा उठाने से चूक गए हैं तो कॉपर (तांबा) अगली महफिल लूटने की तैयारी में है. जी हां, जिस धातु को आप अब तक सिर्फ इंडस्ट्रियल मेटल समझ रहे हैं वह आपको मोटा फायदा भी करा सकती है.
हम-आप सोना-चांदी करते रहे, उधर कॉपर महफिल लूटने की तैयारी में है?
जानकारों का कहना है कि अगला साल कॉपर का है क्योंकि साल 2026 में कॉपर की कीमतों में तेजी की जोरदार संभावना है. इस साल अब तक कॉपर के दाम (Copper Price) 35% से ज्यादा उछल चुके हैं
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मार्केट एनॉलिस्ट्स कॉपर की तुलना सिल्वर (चांदी) से कर रहे हैं. साल 2025 में तेजी के मामले में चांदी ने सोने को भी पीछे छोड़ दिया है. चांदी इस साल अब तक 138% उछल चुकी है. वहीं, सोने में 68% से अधिक की बढ़त दर्ज की गई है. चांदी में साल 1979 के बाद की सबसे बड़ी सालाना तेजी है. लेकिन जानकारों का कहना है कि अगला साल कॉपर का है क्योंकि साल 2026 में कॉपर की कीमतों में तेजी की जोरदार संभावना है. इस साल अब तक (1 जनवरी 2025 से 22 दिसंबर 2025 के बीच) कॉपर के दाम (Copper Price) 35% से ज्यादा उछल चुके हैं . सिर्फ पिछले हफ्ते इसकी कीमत 3% से ज्यादा उछल चुकी है.
कॉपर की सप्लाई और डिमांड में भारी अंतरन्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दुनियाभर के कई मार्केट एनालिस्ट्स से कॉपर को लेकर कुछ दिन पहले एक सर्वे कराया था . इस सर्वे के मुताबिक, साल 2025 में कॉपर की सप्लाई 1.24 लाख टन कम रहने की बात कही गई है. अगले साल यानी 2026 में कॉपर की सप्लाई में यह कमी 1.5 लाख टन तक पहुंचने की आशंका है. इसका मतलब है कि यानी बाजार जितनी कॉपर की मांग है उसके मुकाबले तांबा कम पड़ेगा. दुनियाभर में बिजली ग्रिड को आधुनिक बनाने अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है, जिससे तांबे की मांग तेजी से बढ़ रही है.
निवेश बैंकिंग फर्म मैक्वेरी का अनुमान है कि इस साल (2025) दुनिया में कॉपर की कुल मांग 2.7 करोड़ टन रहेगी. यह साल 2024 के मुकाबले 2.7% ज्यादा है. इसमें चीन की मांग में 3.7% की बढ़ोतरी शामिल है. वहीं, मैक्वेरी का कहना है कि अगले साल चीन के बाहर दुनिया के बाकी देशों में कॉपर की मांग करीब 3% बढ़ सकती है.
मार्केट के जानकार कॉपर को लेकर बुलिश क्यों हैं?दुबई स्थित एमिरेट्स इन्वेस्टमेंट बैंक (Emirates Investment Bank) में डायरेक्टर (वेल्थ मैनेजमेंट) डॉक्टर धर्मेश भाटिया ने लल्लनटॉप को बताया कि साल 2025 में कॉपर की कीमतों में तेज उछाल आया है. इंटरनेशनल मार्केट (लंदन मेटल एक्सचेंज) में कॉपर के दाम लगभग 11,800–12,000 डॉलर प्रति टन पर पहुंच चुके हैं. दुनिया में कॉपर (तांबा) का रेफरेंस भाव मुख्य रूप से LME यानी London Metal Exchange में ही तय होता है. वहीं भारत के प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज MCX यानी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कॉपर का भाव करीब 1,100 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रहा है. भारत का मेटल बाजार ( MCX) के भाव काफी हद तक लंदन मेटल एक्सचेंज कॉपर प्राइस से जुड़े होते हैं.
धर्मेश भाटिया का कहना है कि कॉपर की कीमतों में तेजी के सबसे बड़े दो कारण हैं . पहला है कॉपर की कम सप्लाई और इसकी लगातार बढ़ती मांग. खासतौर से इंडस्ट्री में कॉपर की मांग बढ़ रही है. उनका कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में कॉपर का दाम 15,000 डॉलर प्रति टन तक जा सकता है. इसी तरह भारत में कॉपर का भाव 1,300 रुपये प्रति किलो पर पहुंच सकता है.
ब्रोकरेज फर्म RKB वेंचर्स के फाउंडर राकेश बंसल ने X पोस्ट में लिखा है कि कॉपर की लगातार बढ़ती मांग के चलते इसकी कीमतें नई ऊंचाई को छू सकती हैं. उनका कहना है कि सप्लाई की कमी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( AI) डेटा सेंटर्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर की बढ़ती मांग से कॉपर में जोरदार तेजी देखने को मिल सकती है. वे आगे लिखते हैं कि ये तेजी इतनी हो सकती है कि आपने इसकी कल्पना नहीं की होगी. उनका यहां तक कहना है कि अब कॉपर लोगों को लखपति बनाएगा.
राकेश बंसल ने Business Today से बातचीत में कहा कि बिजली की खपत में बढ़ रही है और आगे और बढ़ने की उम्मीद है. वायरिंग, पावर ग्रिड और दूसरे उद्योगों में कॉपर की अहम भूमिका के चलते इसकी मांग लगातार बढ़ेगी. इलेक्ट्रिफिकेशन में कॉपर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और भारत में लगातार नए डेटा सेंटर्स बन रहे हैं. यह कॉपर के बिना संभव ही नहीं है. भारत में तो कॉपर उत्पादन करने वाली एक ही बड़ी कंपनी है हिंदुस्तान कॉपर है. भारत में भी कॉपर की सप्लाई में कमी बनी हुई है. बंसल ने बिजनेस टुडे से कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों में भी तांबे की जरूरत होती है, लेकिन इसकी सप्लाई सीमित है. उन्होंने आगे कहा, "अगर आप कॉपर की खदान खोलना चाहते हैं, तो ऐसा नहीं है कि आप आज ही तांबा निकाल लेंगे. खनन एक ऐसा काम है जिसमें कुछ भी रातोंरात नहीं होता."
गोल्डमैन सैक्स का कॉपर आउटलुकएनडीटीवी प्रॉफिट में छपी एक रिपोर्ट में दुनिया की जानी-मानी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स के हवाले से लिखा गया है कि साल 2009 के बाद कॉपर फिर से सबसे बड़ी सालाना तेजी की तरफ बढ़ रहा है. इसकी वजह ये है कि कॉपर की कई खदानों में उत्पादन में व्यवधान देखने को मिल रहा है. इसके अलावा AI डेटा सेंटर्स व एनर्जी ट्रांजिशन से भविष्य में जोरदार मांग की उम्मीद के चलते इसके दामों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है.
गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान जताया है कि साल 2026 में कॉपर की कीमतें औसतन 11,400 डॉलर प्रति मीट्रिक टन रह सकती हैं. वहीं ब्रोकरेज फर्म ने लंबी अवधि (2035 तक) में कॉपर का दाम 15,000 डॉलर प्रति टन का अनुमान दोहराया है. इन्वेस्टमेंट बैंक का यह भी कहना है कि साल 2026 में कॉपर के दाम एल्यूमिनियम से ज्यादा चढ़ेंगे. ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि चीन में एल्यूमिनियम का उत्पादन बढ़ रहा है जबकि कॉपर की शार्टेज बनी हुई है. इसके अलावा मशहूर निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी सिटीग्रुप ने कहा है कि अगले साल (2026) में इंटरनेशनल मार्केट में कॉपर का भाव 13 हजार डॉलर प्रति टन तक पहुंच सकता है.
अगर आपको कॉपर खरीदना तो कैसे खरीद सकते हैं?इंटेलिसिस वेंचर्स (Intelisys Ventures) के फाउंडर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित सुरेश जैन का कहना है कि भारत में अगर कोई कॉपर में निवेश करना चाहता है तो सबसे सीधा तरीका MCX है. इस कमोडिटी एक्सचेंज के जरिए कॉपर में निवेश किया जा सकता है. यहां भी शेयर बाजार की तरह कमोडिटीज की ट्रेडिंग होती है. जो लोग MCX के जरिये कॉपर या दूसरी कमोडिटीज में ट्रेडिंग करना चाहते हैं उन्हें सेबी द्वारा रजिस्डर्ड ब्रोकरेज फर्म या निवेश प्लेटफॉर्म ( मोतीलाल ओसवाल, शेयर खान, जेरोधा, एंजेल वन वगैरा) में कमोडिटी ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना जरूरी होता है. यहां पर आप शेयरों की तरह अलग अलग कमोडिटी में ट्रेडिंग कर सकते हैं. अगर आपको MCX पर कॉपर खरीदना है तो इसके अलग-अलग फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में ट्रेडिंग कर सकते हैं.
MCX पर कॉपर के मुख्य कॉन्ट्रैक्ट्स स्टैंडर्ड कॉपर फ्यूचर्स और कॉपर मिनी फ्यूचर्स में आप अपनी सुविधा मुताबिक अलग-अलग लॉट में ट्रेडिंग कर सकते हैं. इसके अलावा जो निवेशक सीधे कमोडिटी नहीं लेना चाहते, वे कॉपर से जुड़ी कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं. भारत में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड एकमात्र सरकारी कंपनी है जो तांबे की माइनिंग करती है, इसलिए कॉपर की कीमतों में तेजी का इसे सीधा फायदा मिलता है.
जानकारों का कहना है कि सोने-चांदी की तरह फिजिकल कॉपर (किसी दुकान या कंपनी से) खरीदना निवेश के लिहाज से ज्यादा व्यवहारिक नहीं माना जाता, क्योंकि यह भारी होता है. इसका स्टोरेज और इसको बेचने में दिक्कत रहती है. इसलिए आम निवेशकों के लिए MCX पर कॉपर में निवेश करना ज्यादा आसान और सुरक्षित विकल्प माना जाता है.
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